Ortolan bunting Dish: पाप की थाली, मुंह छिपाकर खाते हैं यह पारंपरिक डिश

फ्रांस में ऑर्टोलान बंटिंग नाम का एक पक्षी है, जिसकी डिश लोग मुंह छिपाकर खाते हैं...

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calendar30 Nov 2025 06:13 PM
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Ortolan bunting Dish: हम भारतीय खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं। अपनी पसंद का खाना खाने के लिए दूर सफर करने को भी तैयार रहते हैं। सड़क-गली-मुहल्ले जहां भी अपनी पसंदीदा डिश दिख जाए, उसे सरेराह बड़े चाव से चटखारे लेकर खाने लगते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि फ्रांस की एक ऐसी स्पेशल डिश है, जिसे वहां के लोगों को मुंह छिपाकर खाना पड़ता है। अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि मुंह छिपाकर खाना पड़े, वो भी स्पेशल डिश को। तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके बारे में। दरअसल, फ्रांस में इस स्पेशल डिश को ‘पाप की थाली’ 'Sinful Dish' कहते हैं। इस थाली को लोग मुंह छिपाकर खाना पसंद करते हैं। यह परंपरा कोई आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है। इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह आपको हैरान कर देगी। यह डिश एक पक्षी से तैयार की जाती है, जिसे ऑर्टोलान बंटिंग (Ortolan bunting) कहते हैं और इसे खाने से जुड़ी अजीब प्रथा में लोग भगवान से अपने पाप छुपाने के इरादे से खुद को रूमाल से ढंककर इसे खाते हैं। सिर ढंककर खाना खाना अपने आप में अजीब है, लेकिन यह उनकी एक परंपरा का हिस्सा है।

क्रूरता के कारण कहते हैं ‘पाप की थाली’:

आप सोच रहे होंगे कि लोग इसे ‘पाप की थाली’ क्यों कहते हैं? तो इसके पीछे एक कहानी है। ये पक्षी हर साल शरद ऋतु में अफ्रीका की ओर माइग्रेट करते हैं। उसी दौरान घात लगाकर शिकारी इनको पकड़ लेते हैं। शिकारी इसके बाद इनको कई दिनों तक कैद करके रखते हैं और इन्हें जबरन जरूरत से ज्यादा खाना खिलाते हैं, ताकि इनका वजन ज्यादा हो जाए। उन्हें इतना ज्यादा अनाज और बीज खिलाए जाते हैं, ये पक्षी ऑर्टाेलन बंटिंग गुब्बारे जैसे फूल जाते हैं। उनका वजन 3 गुना बढ़ जाता है। इसके बाद, उन्हें एक कंटेनर के भीतर आर्मग्नैक ब्रांडी में डुबोकर मैरीनेट किया जाता है। फिर परोसे जाने से पहले उन्हें केवल 8 मिनट में तोड़ा जाता है और फिर इनको आग में भून दिया जाता है। हर साल करीब 30 हजार ऑर्टोलन बंटिंग पक्षी पकड़े जाते हैं।

एक निवाले में खत्म करना पड़ता है:

परंपरा यह भी है कि एक ऑर्टाेलन पक्षी को एक ही बार में खाया जाना चाहिए, न कि अलग-अलग निवाले में। यही नहीं परंपरा ये भी है कि इस पक्षी को एक बार में ही खाना चाहिए। जब खाने में इतनी क्रूरता दिखाई जाती है, तो यह भी एक कारण है कि इसे पाप की थाली कहते हैं।

आखिर मुंह ढंककर खाने की वजह क्या है:

दरअसल इसके पीछे वजह है इस पक्षी के साथ होने वाली क्रूरता। Ortolan bunting के पकड़े जाने से लेकर पकाकर खाए जाने तक इस पर बहुत जुल्म किया जाता है। इसमें क्रूरता की हद कर दी जाती है। इसे खाते हुए भी लोग पक्षी की नाजुक हड्डियों और उसकी चोंच को काटते हैं। लोग इसे बड़ा क्रूरता से चबाकर थूक देते हैं। परंपरा के अनुसार लोग इस पक्षी को खाया जाना पाप मानते हैं। यही वजह है कि इन्हें छिपाकर खाने की परंपरा है, ताकि कोई इन्हें पाप करते देख न ले। लोग परंपरा तो निभा लेते हैं, लेकिन इसे खाना पाप मानते हैं। इसलिए अपना सिर ढंककर ईश्वर से अपने पाप को छुपाते हैं और अपने पाप की माफी मांगते हैं। हालांकि, यूरोप के कई देशों में इस पक्षी के मांस को खाने पर अब प्रतिबंध घोषित किया गया है। खुद फ्रांस ने भी इस पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन फिर भी कई जगह इसे परंपरा के नाम पर छिप कर खाया जाता है।

Ortolan bunting Dish: कैसे बनी शान की प्रतीक

हालांकि अब इसे खाने व शिकार पर कई देशों व खासकर फ्रांस में प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन दशकों पहले यह डिश उत्तरी यूरोप में अमीर घरों के डायनिंग टेबल की शान हुआ करती थी। रोमन सम्राटों से लेकर फ्रांसीसी राजाओं तक के यहां इसे शाही मेज पर सजाया जाता था। राजाघराने के लोग इन पक्षियों को खाना शान के प्रतीक के रूप में मानते थे। यह इतना विशिष्ट था कि परंपरागत रूप से केवल बहुत अमीर और पादरी लोगों के लिए ही उपलब्ध था। ऑर्टाेलन छोटे, भूरे और फिंच जैसे होते हैं। उनका सिर हरा-भूरा होता है और शरीर ऐसा लगता है जैसे यह किसी गौरैया का हो। लंबाई तकरीबन 6 इंच होती है।

मौत से जूझ रहे हिंदी फिल्मों के चर्चित कॉमेडियन जूनियर महमूद; 58 सालों से है इंडस्ट्री से रिश्ता

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Ortolan bunting Dish: पाप की थाली, मुंह छिपाकर खाते हैं यह पारंपरिक डिश

फ्रांस में ऑर्टोलान बंटिंग नाम का एक पक्षी है, जिसकी डिश लोग मुंह छिपाकर खाते हैं...

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Ortolan bunting Dish: हम भारतीय खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं। अपनी पसंद का खाना खाने के लिए दूर सफर करने को भी तैयार रहते हैं। सड़क-गली-मुहल्ले जहां भी अपनी पसंदीदा डिश दिख जाए, उसे सरेराह बड़े चाव से चटखारे लेकर खाने लगते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि फ्रांस की एक ऐसी स्पेशल डिश है, जिसे वहां के लोगों को मुंह छिपाकर खाना पड़ता है। अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि मुंह छिपाकर खाना पड़े, वो भी स्पेशल डिश को। तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके बारे में। दरअसल, फ्रांस में इस स्पेशल डिश को ‘पाप की थाली’ 'Sinful Dish' कहते हैं। इस थाली को लोग मुंह छिपाकर खाना पसंद करते हैं। यह परंपरा कोई आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है। इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह आपको हैरान कर देगी। यह डिश एक पक्षी से तैयार की जाती है, जिसे ऑर्टोलान बंटिंग (Ortolan bunting) कहते हैं और इसे खाने से जुड़ी अजीब प्रथा में लोग भगवान से अपने पाप छुपाने के इरादे से खुद को रूमाल से ढंककर इसे खाते हैं। सिर ढंककर खाना खाना अपने आप में अजीब है, लेकिन यह उनकी एक परंपरा का हिस्सा है।

क्रूरता के कारण कहते हैं ‘पाप की थाली’:

आप सोच रहे होंगे कि लोग इसे ‘पाप की थाली’ क्यों कहते हैं? तो इसके पीछे एक कहानी है। ये पक्षी हर साल शरद ऋतु में अफ्रीका की ओर माइग्रेट करते हैं। उसी दौरान घात लगाकर शिकारी इनको पकड़ लेते हैं। शिकारी इसके बाद इनको कई दिनों तक कैद करके रखते हैं और इन्हें जबरन जरूरत से ज्यादा खाना खिलाते हैं, ताकि इनका वजन ज्यादा हो जाए। उन्हें इतना ज्यादा अनाज और बीज खिलाए जाते हैं, ये पक्षी ऑर्टाेलन बंटिंग गुब्बारे जैसे फूल जाते हैं। उनका वजन 3 गुना बढ़ जाता है। इसके बाद, उन्हें एक कंटेनर के भीतर आर्मग्नैक ब्रांडी में डुबोकर मैरीनेट किया जाता है। फिर परोसे जाने से पहले उन्हें केवल 8 मिनट में तोड़ा जाता है और फिर इनको आग में भून दिया जाता है। हर साल करीब 30 हजार ऑर्टोलन बंटिंग पक्षी पकड़े जाते हैं।

एक निवाले में खत्म करना पड़ता है:

परंपरा यह भी है कि एक ऑर्टाेलन पक्षी को एक ही बार में खाया जाना चाहिए, न कि अलग-अलग निवाले में। यही नहीं परंपरा ये भी है कि इस पक्षी को एक बार में ही खाना चाहिए। जब खाने में इतनी क्रूरता दिखाई जाती है, तो यह भी एक कारण है कि इसे पाप की थाली कहते हैं।

आखिर मुंह ढंककर खाने की वजह क्या है:

दरअसल इसके पीछे वजह है इस पक्षी के साथ होने वाली क्रूरता। Ortolan bunting के पकड़े जाने से लेकर पकाकर खाए जाने तक इस पर बहुत जुल्म किया जाता है। इसमें क्रूरता की हद कर दी जाती है। इसे खाते हुए भी लोग पक्षी की नाजुक हड्डियों और उसकी चोंच को काटते हैं। लोग इसे बड़ा क्रूरता से चबाकर थूक देते हैं। परंपरा के अनुसार लोग इस पक्षी को खाया जाना पाप मानते हैं। यही वजह है कि इन्हें छिपाकर खाने की परंपरा है, ताकि कोई इन्हें पाप करते देख न ले। लोग परंपरा तो निभा लेते हैं, लेकिन इसे खाना पाप मानते हैं। इसलिए अपना सिर ढंककर ईश्वर से अपने पाप को छुपाते हैं और अपने पाप की माफी मांगते हैं। हालांकि, यूरोप के कई देशों में इस पक्षी के मांस को खाने पर अब प्रतिबंध घोषित किया गया है। खुद फ्रांस ने भी इस पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन फिर भी कई जगह इसे परंपरा के नाम पर छिप कर खाया जाता है।

Ortolan bunting Dish: कैसे बनी शान की प्रतीक

हालांकि अब इसे खाने व शिकार पर कई देशों व खासकर फ्रांस में प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन दशकों पहले यह डिश उत्तरी यूरोप में अमीर घरों के डायनिंग टेबल की शान हुआ करती थी। रोमन सम्राटों से लेकर फ्रांसीसी राजाओं तक के यहां इसे शाही मेज पर सजाया जाता था। राजाघराने के लोग इन पक्षियों को खाना शान के प्रतीक के रूप में मानते थे। यह इतना विशिष्ट था कि परंपरागत रूप से केवल बहुत अमीर और पादरी लोगों के लिए ही उपलब्ध था। ऑर्टाेलन छोटे, भूरे और फिंच जैसे होते हैं। उनका सिर हरा-भूरा होता है और शरीर ऐसा लगता है जैसे यह किसी गौरैया का हो। लंबाई तकरीबन 6 इंच होती है।

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यहां मिलते हैं भगवान, आचार्य चाणक्य से जाने कब, कैसे और कहां

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Chanakya Niti
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calendar07 Dec 2023 02:43 PM
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Chanakya Niti : रोजाना लाखों करोड़ों लोग भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर जाते हैं। भगवान को प्राप्त करने के लिए अनेकों धार्मिक कर्म करते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ही भगवान के दर्शन हो पाते हैं। भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु लोग ना जाने क्या क्या उपाय करते हैं। भगवान को लेकर आचार्य चाणक्य का कथन स्पष्ट है। उनका कहना है कि भगवान इंसान के आसपास ही रहते हैं, लेकिन इंसान भगवान को पहचान ही नहीं पाता है, जिस कारण वह व्य​र्थ ही इधर उधर भटकता है।

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कौन हैं आचार्य चाणक्य ?

आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कुटनीतिज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक में अपने राजनीति सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। जिनका महत्त्व आज भी स्वीकार किया जाता है। कई विश्वविद्यालयों ने कौटिल्य (चाणक्य) के ‘अर्थशास्त्र’ को अपने पाठ्यक्रम में निर्धारित भी किया है। महान मौर्य वंश की स्थापना का वास्तविक श्रेय अप्रतिम कूटनीतिज्ञ चाणक्य को ही जाता है। चाणक्य एक विव्दान, दूरदर्शी तथा दृढसंकल्पी व्यक्ति थे और अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति के आचार्य थे।

कहां बसते हैं भगवान

भगवान को लेकर आचार्य चाणक्य का कहना है कि,

''काष्ठपाषाण धातुनां कृत्वा भावेन सेवनम।

श्रद्धया च तथा सिद्धिस्तस्य विष्णोः प्रसादतः''

आचार्य चाणक्य भावना को भगवान प्राप्ति का महत्वपूर्ण साधन बताते हुए कहते हैं कि काष्ठ, पाषाण या धातु की मूर्तियों की भी भावना और श्रद्धा से उपासना करने पर भगवान की कृपा से सिद्धि मिल जाती है।

न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मुपमये। भावे ही विद्यते देवस्तस्मात् भावो ही कारणम्।।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ईश्वर न काष्ठ में है, न मिट्टी में, न मूर्ति में। वह केवल भावना में रहता है। अतः भावना ही मुख्य है। अर्थात ईश्वर वास्तव में लकड़ी, मिट्टी आदि की मूर्तियों में नहीं है। वह व्यक्ति की भावना में रहता है। व्यक्ति की जैसी भावना होती है, वह ईश्वर को उसी रूप में देखता है। अतः यह भावना ही सारे संसार का आधार है।

शांति ही तप है

शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्पर सुखम् । न तृष्णया परो व्याधिर्न च धर्मो वयापरः ।।

महत्त्वपूर्ण संसाधनों को चर्चा करते हुए आचार्य चाणक्य कहते है कि शांति के समान कोई तपस्या नहीं है, संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है, तृष्णा से बढ़‌कर कोई व्याधि नहीं है और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। अर्थात अपने मन और इन्द्रियों को शांत रखना ही सबसे बड़ी तपस्या है। संतोष ही सबसे बड़ा सुख है, मनुष्य की इच्छाएं सबसे बड़ा रोग हैं, जिनका कोई इलाज नहीं हो सकता और सब पर दया करना ही सबसे बड़ा धर्म है।

Selfish Person : मतलबी लोगों की सबसे बड़ी पहचान है झूठ बोलना, हमेशा रहे सावधान