Saturday, 4 May 2024

मिगसन ग्रुप की दादागिरी, रेरा के आदेश को भी दिखाया ठेंगा

Greater Noida : नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत पूरे उत्तर प्रदेश में बिल्डरों की धोखाधड़ी को रोकने के लिए गठित…

मिगसन ग्रुप की दादागिरी, रेरा के आदेश को भी दिखाया ठेंगा

Greater Noida : नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत पूरे उत्तर प्रदेश में बिल्डरों की धोखाधड़ी को रोकने के लिए गठित रियल स्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (UP RERA) के आदेशों को नोएडा व ग्रेटर नोएडा के बिल्डर नहीं मान रहे हैं। बिल्डरों की धोखेबाजी की इस लिस्ट में अब मिगसन ग्रुप का भी नाम जुड़ गया है। मिगसन ग्रुप के एक प्रोजेक्ट में वर्ष-2016 में फ्लैट बुक कराने वाले बॉयर को 8 साल बाद भी फ्लैट नहीं मिला है।

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2016 में खरीदा था फ्लैट

ग्रेटर नोएडा के मिगसन ग्रुप के खिलाफ थाना बीटा-2 में नितेश कुमार पुत्र सत्यपाल सिंह मलिक निवासी सेक्टर स्वर्णनगरी ग्रेटर नोएडा ने एफआईआर…. दर्ज कराई है। एफआईआर…. में नितेश ने मिगसन बिल्डर के डायरेक्टर सुनील मिगलानी, यश मिगलानी, मैनेजर पंकज गुप्ता व पवन रस्तोगी के नाम हैं। नितेश का आरोप है कि 16 मार्च वर्ष-2016 को मिगसन के प्रोजेक्ट व्यान ईटा-।। में उन्होंने फ्लैट बुक कराया था। उन्हें फ्लैट का कब्जा 2020 तक मिलना था। फ्लैट के लिए चेक के जरिए उन्होंने मिगसन बिल्डर को 26 लाख, 41 हजार रूपये का भुगतान किया था। अलॉटमेंट लेटर में शर्त थी कि अगर फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं मिलता है तो कंपनी बॉयर को 15 प्रतिशत की वार्षिक दर से भुगतान करेगी।

नितेश ने आरोप लगाया कि मिगसन बिल्डर ने उन्हें 8 साल बाद भी फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है। जब वह बिल्डर के ऑफिस गये तो वहां उन्हें बाउंसरों द्वारा धमकाया भी गया। वर्ष-2022 में उन्होंने रेरा में शिकायत की थी जहां से उन्हें भुगतान का आदेश भी दिया गया। इसके बावजूद बिल्डर पर कोई असर नहीं पड़ा और उसने रेरा के आदेश को ठेंगा दिखा दिया।

नितेश ने बताया कि मिगसन बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार सौरभ अरोरा, गौरव जैन, आरती भी हुए हैं। गौरव जैन ने बिल्डर के खिलाफ ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में धारा-420, 406, 467, 468 व 471 में एफआईआर भी दर्ज करा रखी है।

पुलिस ने बिल्डर के खिलाफ नहीं लिखी थी रिपोर्ट

पीड़ित नितेश का आरोप है कि बीटा-2 थाने की पुलिस ने मिगसन बिल्डर के खिलाफ उनकी एफआईआर लिखने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने वर्ष-2023 में गौतमबुद्धनगर पुलिस आयुक्त कार्यालय को डाक से शिकायत भेजी। वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने न्यायालय की शरण ली। फिर जाकर एफआईआर लिखी गयी है।

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