ग्रेटर नोएडा में प्लॉट विवाद ने लिया आपराधिक मोड़, धमकी पर केस दर्ज

शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी व उसके साथियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि तथ्यों की पड़ताल के साथ-साथ कथित आरोपियों की पहचान और भूमिका भी खंगाली जा रही है

निर्माण कार्य रोकने के आरोप में केस, पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
निर्माण कार्य रोकने के आरोप में केस, पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 02:10 PM
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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के बादलपुर थाना क्षेत्र में प्लॉट पर निर्माण को लेकर विवाद अब आपराधिक मामले में बदल गया है। पीड़ित का आरोप है कि जब भी वह अपने प्लॉट पर निर्माण कार्य शुरू करता है, एक नामजद व्यक्ति अपने कुछ अज्ञात साथियों के साथ मौके पर पहुंचकर काम रुकवा देता है और जान से मारने की धमकी देकर डराने की कोशिश करता है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी व उसके साथियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि तथ्यों की पड़ताल के साथ-साथ कथित आरोपियों की पहचान और भूमिका भी खंगाली जा रही है

221 गज के प्लॉट पर ‘दबंगई’ का आरोप

पुलिस को दी गई शिकायत में ग्राम कचेडा वारसाबाद निवासी देवेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2024 में ग्रेटर नोएडा के छपरौला गांव में 221 वर्ग गज का प्लॉट ग्राम दुजाना निवासी जगदीश से खरीदा था। खरीद के बाद उन्होंने प्लॉट की बाउंड्री भी करा दी थी। देवेंद्र का आरोप है कि इसके बावजूद संजय त्यागी निवासी संजयनगर, गाजियाबाद अपने कुछ साथियों के साथ बार-बार उनके प्लॉट पर पहुंचता है और निर्माण कार्य कराने पर मारपीट व जान से मारने की धमकी देता है।

निर्माण रुकवाने की कोशिश का आरोप

देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, आरोपी संजय त्यागी प्लॉट को अपना बताकर उस पर दावा जता रहा है और निर्माण रुकवाने की कोशिश कर रहा है। पीड़ित का यह भी कहना है कि ग्रेटर नोएडा के छपरौला इलाके में पहले से चल रहे जमीन विवाद के चलते वह लगातार डर और दबाव में है।शिकायत में पीड़ित ने आरोप लगाया कि संजय त्यागी और उसके पिता ने कथित तौर पर छपरौला क्षेत्र में फर्जी पट्टों के जरिए बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त की थी। पीड़ित का दावा है कि वर्ष 2013-14 के दौरान जांच के बाद सरकारी स्तर पर उनके परिवार के कुछ पट्टे निरस्त किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद आरोपी अब भी उन्हीं भूखंडों को अपना बताकर कब्जे का प्रयास कर रहा है।

डीसीपी तक पहुंचा मामला

पीड़ित का कहना है कि उसने पहले भी ग्रेटर नोएडा के संबंधित पुलिस स्तर पर शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने सेंट्रल जोन के डीसीपी को लिखित शिकायत दी। प्रारंभिक जांच के बाद बादलपुर पुलिस ने आरोपी संजय त्यागी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और दस्तावेजों, प्लॉट के स्वामित्व से जुड़े रिकॉर्ड तथा मौके की स्थिति के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। Greater Noida News

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ग्रैप-4 के नियमों का उल्लंघन करने पर ग्रेनो प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई

ग्रेटर नोएडा एनजीटी के आदेशों का पालन कराने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से भी अभियान चलाया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों पर भारी पेनल्टी भी लगाई जा रही है। प्राधिकरण के परियोजना विभाग की तरफ से अब तक कपंनियों और व्यक्तियों पर मिलाकर करीब 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।

greno atharity
ग्रेनो प्राधिकरण
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar18 Dec 2025 06:29 PM
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Greater Noida News : एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी की तरफ से ग्रैप-4 लागू है। ग्रेटर नोएडा एनजीटी के आदेशों का पालन कराने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से भी अभियान चलाया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों पर भारी पेनल्टी भी लगाई जा रही है। प्राधिकरण के परियोजना विभाग की तरफ से अब तक कपंनियों और व्यक्तियों पर मिलाकर करीब 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।

ग्रैप-4 के नियमों का पूरा पालन करने के निर्देश दिए

दरअसल, एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के साथ ही निर्माण कार्यों पर भी रोक लग गई है। निर्माण सामग्रियों को भी ढककर रखने के निर्देश हैं। ग्रेटर नोएडा एरिया में ग्रैप-4 के नियमों का पालन कराने के लिए प्राधिकरण प्रतिबद्ध है। प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने ग्रैप-4 के नियमों का पूरा पालन करने के निर्देश दिए हैं। एसीईओ सुमित यादव के नेतृत्व में प्राधिकरण की परियोजना विभाग की पूरी टीम अपने एरिया में नजर रख रही है और जहां भी उल्लंघन मिल रहा है, टीम उन पर पेनल्टी भी लगा रही है, फिर चाहे वह कंपनी हो या फिर निवासी, सभी पर यह कार्रवाई की जा रही है। 

उल्लंघन मिलने पर 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लग चुकी 

प्राधिकरण की टीम विगत दो दिनों में 46 जगहों पर उल्लंघन मिलने पर 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगा चुकी है। प्राधिकरण की तरफ से जुर्माने की रकम 1 सप्ताह में प्राधिकरण के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही निर्माण सामग्री को ढककर रखने और पानी का नियमित छिड़काव करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन पर पेनल्टी लगाई गई है उनमें बिल्डर, औद्योगिक इकाइयां और निवासी भी शामिल हैं। ईटा वन के जिन 22 लोगों पर पेनल्टी लगाई गई है, उनमें यहां के निवासी शामिल हैं, जो कि ग्रैप-4 के नियमों की अवहेलना करते हुए निर्माण कर रहे थे। प्राधिकरण के एसीईओ सुमित यादव ने कहा है कि प्रदूषण को रोकने के लिए तय नियमों का पालन न करने वालों पर प्राधिकरण की तरफ से कार्रवाई जारी रहेगी।

कंपनी/आवंटी का नाम-- सेक्टर-- पेनल्टी(रुपये)

1. एटीएस -सेक्टर-1 -5 लाख

2. बृंदा (स्काई वार्ड) -सेक्टर-1 -5 लाख

3. मनोज शर्मा -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

4. बटुकनाथ शुक्ल -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

5. एबीएस डेवलपर्स -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

6. ऐस ग्रुप -12 -1 लाख

7. सिवीटेक -12 -1 लाख

8. फ्यूजन -12 -1 लाख

9. फ्यूजन फैबरिक्स -10 -1 लाख

10. एनडीकॉन कंस्ट्रक्शन -ईकोटेक-8 -1 लाख

11. सुविज फोइल -ईकोटेक-8 -1 लाख

12. स्पार्किंग ह्यूज जेम्स -ईकोटेक-8 -1 लाख

13. संदीप कुमार -भनौता -1 लाख

14. धर्मवती -भनौता -1 लाख

15. सतेंद्र -भनौता -1 लाख

16. जयपाल आदि -भनौता -1 लाख

17. मनोज गौतम -छपरौला -1 लाख

18. हाइवे मैनशन -सहारा सिटी -1 लाख

19. मुकेश -छपरौला -1 लाख

20. शिवम सैनी -छपरौला -1 लाख

21. हर्षवर्धन -छपरौला -1 लाख

22. हरीश सिंघल -छपरौला -1 लाख

23. कंपलेंट कनवेयर सिस्टम -ईकोटेक-6 -50 हजार

24. बीएलसी इंजीनियरिंग सर्विसेज -ईकोटेक-6 -25 हजार

25. 22 अन्य -ईटा वन -6.70 लाख

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नमो भारत ट्रेन परियोजना : ग्रेटर नोएडा से गुरुग्राम तक 286 घर-दुकानों पर चलेगा बुलडोजर

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।

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दुकानों और घरों में तोड़फोड़(फाइल फोटो)
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar15 Dec 2025 01:22 PM
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Greater Noida News : एनसीआर में आधुनिक और तेज परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित नमो भारत ट्रेन परियोजना एक ओर विकास का नया अध्याय लिखने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर यह सैकड़ों परिवारों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। गुरुग्राम से फरीदाबाद और नोएडा होते हुए ग्रेटर नोएडा तक बनने वाले इस कॉरिडोर की जद में बड़ी संख्या में घर, दुकानें और धार्मिक स्थल आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।

घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरेगा रूट

प्रस्तावित ट्रेन रूट गुरुग्राम के इफको चौक से शुरू होकर फरीदाबाद और नोएडा के कई घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होते हुए ग्रेटर नोएडा तक जाएगा। सर्वे में सामने आया है कि ट्रैक निर्माण के लिए 286 मकान और दुकानें हटानी पड़ेंगी। इसके अलावा, 13 धर्मशालाएं और धार्मिक ढांचे भी इस परियोजना की सीमा में आ रहे हैं।

धार्मिक स्थलों पर भी संकट

रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रमुख धार्मिक स्थल प्रस्तावित रूट में बाधा बन रहे हैं। इनमें पियाली चौक स्थित जाट धर्मशाला, शहीद चौक के पास बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, फरीदाबाद के एनआईटी क्षेत्र के पास एक धार्मिक स्थल, और नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलाके के कई छोटे धार्मिक ढांचे शामिल हैं। प्रशासन इन सभी को हटाने की तैयारी में है।

प्रभावित लोगों की बढ़ी बेचैनी

तोड़फोड़ की आशंका सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में असमंजस और नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन मुआवजे और पुनर्वास को लेकर अब तक कोई ठोस और पारदर्शी योजना सामने नहीं आई है। जिन परिवारों की आजीविका दुकानों पर निर्भर है, उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि विस्थापन के बाद जीवन कैसे चलेगा।

प्रशासन का पक्ष

एनसीआरटीसी का दावा है कि नमो भारत ट्रेन परियोजना एनसीआर के समग्र विकास के लिए बेहद अहम है। निगम का कहना है कि प्रभावित परिवारों को सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास दिया जाएगा। हालांकि, जमीनी स्तर पर लोग अब भी लिखित आश्वासन और स्पष्ट कार्ययोजना का इंतजार कर रहे हैं। नमो भारत ट्रेन जहां एनसीआर को विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा देने का सपना दिखा रही है, वहीं यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या विकास की कीमत आम लोगों के घर और रोजगार से चुकाई जानी चाहिए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संतुलन को कैसे साधता है।

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