अखलाक हत्याकांड में सुनवाई अब 18 दिसंबर को होगी
यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-321 के तहत की गई है। अभियोजन ने 15 अक्टूबर को मामला वापस लेने की अर्जी अदालत में लगाई थी। इस मामले में अभी गवाही तथा साक्ष्य की जांच चल रही है।

Greater Noida News : जारचा कोतवाली क्षेत्र के बिसाहड़ा गाँव में अखलाक हत्याकांड के मामले में अदालत ने सुनवाई की तारीख 18 दिसंबर तय कर दी है। अब 18 दिसंबर को बचाव पक्ष के वकील यूसुफ सैफी ने बताया कि 18 दिसंबर को वे उप्र सरकार द्वारा केस वापसी के हलफनामा पर आपत्ति दर्ज करेंगे। यह मामला जनपद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चल रहा है। शासन के आदेश के बाद सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) ने अदालत में केस वापसी का प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर आज सुनवाई होनी थी।
CrPC धारा 321 के तहत सरकार ने उठाया कदम
बता दें कि उप्र शासन ने 26 अगस्त 2025 को जारी शासनादेश में यह मामला वापस लेने का निर्णय लिया था। संयुक्त निदेशक अभियोजन ने 12 सितंबर को पत्र जारी कर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश प्रार्थना-पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा अभियोजन वापसी की अनुमति दी गई है। यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-321 के तहत की गई है। अभियोजन ने 15 अक्टूबर को मामला वापस लेने की अर्जी अदालत में लगाई थी। इस मामले में अभी गवाही तथा साक्ष्य की जांच चल रही है।
न्याय व्यवस्था की हत्या कर रही उप्र सरकार : वृंदा करात
माकपा की वरिष्ठ नेत्री तथा पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि उप्र सरकार इस मामले में केस वापस लेने की पहल करके न्याय व्यवस्था की हत्या कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया केस वापसी का आधार तथ्य से परे है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की यह कवायद एक राजनीतिक एजेंडे के तहत की जा रही है जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि एक मॉब लिचिंग के तहत अखलाक की हत्या कर दी गई थी तथा मामले में गवाह तथा साक्ष्य की कार्रवाई विचाराधीन है। इसके बीच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केस वापसी का निर्णय कानून के नाम पर मजाक है। Greater Noida News
Greater Noida News : जारचा कोतवाली क्षेत्र के बिसाहड़ा गाँव में अखलाक हत्याकांड के मामले में अदालत ने सुनवाई की तारीख 18 दिसंबर तय कर दी है। अब 18 दिसंबर को बचाव पक्ष के वकील यूसुफ सैफी ने बताया कि 18 दिसंबर को वे उप्र सरकार द्वारा केस वापसी के हलफनामा पर आपत्ति दर्ज करेंगे। यह मामला जनपद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चल रहा है। शासन के आदेश के बाद सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) ने अदालत में केस वापसी का प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर आज सुनवाई होनी थी।
CrPC धारा 321 के तहत सरकार ने उठाया कदम
बता दें कि उप्र शासन ने 26 अगस्त 2025 को जारी शासनादेश में यह मामला वापस लेने का निर्णय लिया था। संयुक्त निदेशक अभियोजन ने 12 सितंबर को पत्र जारी कर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश प्रार्थना-पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा अभियोजन वापसी की अनुमति दी गई है। यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-321 के तहत की गई है। अभियोजन ने 15 अक्टूबर को मामला वापस लेने की अर्जी अदालत में लगाई थी। इस मामले में अभी गवाही तथा साक्ष्य की जांच चल रही है।
न्याय व्यवस्था की हत्या कर रही उप्र सरकार : वृंदा करात
माकपा की वरिष्ठ नेत्री तथा पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि उप्र सरकार इस मामले में केस वापस लेने की पहल करके न्याय व्यवस्था की हत्या कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया केस वापसी का आधार तथ्य से परे है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की यह कवायद एक राजनीतिक एजेंडे के तहत की जा रही है जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि एक मॉब लिचिंग के तहत अखलाक की हत्या कर दी गई थी तथा मामले में गवाह तथा साक्ष्य की कार्रवाई विचाराधीन है। इसके बीच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केस वापसी का निर्णय कानून के नाम पर मजाक है। Greater Noida News











