Benefits of kundru: आपने कुंदरू का नाम सुना होगा यह जंगली पौधा होता है। कुंदरू का पौधा बेल यानी लता के आकार में होता है और इस पर लगने वाले फल खीरे ककड़ी के बच्चे की तरह बस छोटे-छोटे तीन चार इंच तक के होते हैं। देखने में परवल जैसे लगते हैं। कुंदरू की एक विशेषता है कि इसको देखभाल के लिए और इसकी खेती के लिए भारी-भरकम रकम देकर बीज लाने की जरूरत नहीं बल्कि यह कुंदरू की बेल से छोटी कलम से ही तैयार किए जा सकते हैं। जंगली पौधे पर लगने वाली इस सब्जी को क्या हम खा सकते हैं
बाजार में कुंदरू का अचार भी खूब मिलता है
Benefits of kundru: आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि कुंदरू की सब्जी मधुमेह की बीमारी में बहुत कारगर मानी गई है और हड्डियों को मजबूत रखने में भी कुंदरू का इस्तेमाल लोकप्रिय है। और सबसे अच्छी बात यह है कि आप इसे घर की बालकनी में भी या आप बड़े आंगन के किसी कोने में मचान बनाकर आराम से लगा सकते हैं और इसकी एक बेल आपको लगभग 20 किलो कुंदरू का उत्पादन देगी। यानी सेहत से भरपूर कुंदरू आपकी कमाई का भी बेहतर माध्यम है। कुंदरू की खेती बहुत कम रख रखा है आपके साथ कम लागत से लगभग दोगुनी का मुनाफा दे देती है। आज हम आपको बता रहे हैं कि आप अपने घर में कैसे लगा सकते हैं और इसकी खेती कैसे कर सकते हैं और कुंदरु स्वास्थ्य के हिसाब से आयुर्वेद में किन-किन बीमारियों में लाभकारी बताया गया है। कुंदरू के बारे में हम आपको विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
कुंदरू की खेती करने का उचित समय
Benefits of kundru: जलवायु के दृष्टिकोण से खेती की बुवाई का समय फरवरी का महीना अनुकूल होता है। सितंबर और अक्टूबर का महीना भी कुंदरू की खेती की बुआई के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
कुंदरु के गुण…. कुंदरू विटामिन बी मिनरल कैल्शियम और फाइबर से भरपूर हल होता है। रक्त शर्करा को संतुलित करने हड्डियों को मजबूत करने में कुंदरू बहुत प्रभावी है ऐसा माना जाता है कि मधुमेह के बीमार रोगियों के लिए तो कुंदरू अमृत के समान है। 100 ग्राम कुंदरू में 0/08 मिलीग्राम विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन), 0.07 मिलीग्राम विटामिन-बी 1 (थियामिन), 1.6 ग्राम-फाइबर और 40 मिलीग्राम कैल्शियम होता है।इसमें फ्लेवोनोइड्स, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, कैल्सियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए और सी की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है | जिस वजह से कुंदरू का सेवन करना लाभकारी होता है |
कुंदरू को कई नामों से जाना जाता है
Benefits of kundru: कुंदरू एक बारहमासी बेल वाली सब्जी का पौधा हैं, जो गर्म जलवायु में पनपता है। कुंदरू का वैज्ञानिक नाम कोकिनिया ग्रैंडिस है। कुंदरू के देश के कई हिस्सों में अन्य सामान्य नाम टिंडोरा, टिंडोरी, ना मुझे भी जाना जाता है। कुंदरू के फल स्वाद में खीरे जैसे होते हैं, लेकिन आकार में खीरे की तुलना में बहुत छोटे (लगभग 2 इंच) होते हैं। कुंदरू की बेल 40 फीट से अधिक लम्बाई तक बढ़ती है।
देखने में कैसा होता है कुंदरू का पौधा
Benefits of kundru: कुंदरू का पौधा खरे की बेल जैसा होता है और इसे बी के बजाय कलम से अधिकतर लगाने का प्रचलन है। बेल का आकार होने की वजह से आप आप अपने गमले में बालकनी में लगाकर घर में उगा सकते हैं बस आपको ऐसे सपोर्ट देने के लिए रसिया बस की खपत से दाल तैयार करना होगा।
भारत में कुंदरू का अपरदन कहां कहां पाया जाता है
Benefits of kundru: भारत में कुंदरू की खेती पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्य में की जाती है | देश के कुछ भागो में किसान भाई कुंदरू की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कर व्यापारिक तौर पर अधिक उत्पादन प्राप्त कर ज्यादा लाभ भी कमा रहे है।
कुंदरू का बीज(Kundru Improved Seeds) कुंदरू की उन्नत किस्मों में इंदिरा कुंदरू सुलभा सीजी 35, इंदिरा कुंदरू 35 इंदिरा कुंदरू 5, आदि शामिल है।
जलवायु, अर्थ पंडाल और मिट्टी की जरूरत
Benefits of kundru: कुंदरू की खेती के लिए आम तौर पर गर्म एवं आद्र जलवायु की जरूरत होती है | भारत के उत्तरी इलाको में जहा ठण्ड अधिक होती है, वहां पैदावार कम प्राप्त होती है | बारिश के मौसम में इन्हे केवल 100 से 150 CM वर्षा की जरूरत होती है | किन्तु आधुनिक तकनीक के चलते सिंचित क्षेत्रों में इसकी खेती सरलता से कर सकते है | 30 से 35 डिग्री तापमान कुंदरू के लिए अनुकूल माना जाता है।
मिट्टी का चुनाव
Benefits of kundru: कुंदरू की खेती के लिए हालांकि किसी विशेष प्रकार की मिट्टी की जरूरत नहीं होती यह पैदा यह पौधा कहीं भी जंगल में भी आराम से पनप जाता है लेकिन अच्छी खेती के लिए कार्बनिक पदार्थो से युक्त बलुई दोमट मिट्टी मिट्टी चुनाव से उत्पादन बेहतर होता है। भारी मिट्टी और जल भराव वाली भूमि में कुंदरू की खेती से बचना चाहिए। क्योकि पौधे की लताएं जल भराव को सहन नहीं कर पाती है | इसकी खेती में भूमि लगभग 7 P.H. मान वाली होनी चाहिए
खंबे और रस्सी के जाल और अर्थ अस्थाई पंडाल की खास जरूरत
कुंदरू की बिच्छू की तेजी से फैलती है अगर उसे जगह नहीं मिलेगी तो फल विकसित होने और तोड़ने में मुश्किल आएगी इसलिए कुंदरू की खेती में बांस के खंभे लगाकर या अर्थ स्थाई पंडाल लगाकर रस्सी का ताना-बाना बुना जाता है जिस पर बेल को अच्छे से बांधकर मचान बनाया जाता है। मचान व्यवस्था से खेती में आसानी होती है और जो उत्पादन हम 20 तन प्राप्त करते हैं वह हम 40 टन तक प्राप्त कर सकते हैं। आंध्र प्रदेश के रहने वाले सुशील रेडी और उनके पति आदि नारायण रेड्डी इसका जीवन उदाहरण है उन्होंने शुरू में बस के साधारण कब्जा से मचान बनाया था लेकिन खंबे छोटे होने के कारण खेती उत्पादन को काटना और संभालना मुश्किल पड़ रहा था फिर उन्होंने सरकारी योजना के अंतर्गत 30000 का लोन लिया और फिर अर्थ स्थाई पंडाल लगाकर उसकी खेती की तो उसका उधर उत्पादन उन्होंने 20 तन से 40 तन प्राप्त किया।
इस किसान दंपत्ति ने आधे एकड़ में कुंदरू लगाकर दोगुना उत्पादन करके मुनाफा कमाया।
खेत की तैयारी
Benefits of kundru: खेत को गुड आई और जुदाई के साथ इसमें कंपोस्ट खाद भी मिलाकर मिट्टी को हल्का भुरभुरा तैयार किया जाता है और इसके उपरांत कलम की रूपई के लिए छोटे छोटे गड्ढे बनाए जाते हैं ताकि उसमें अंकुरित को कलम को लगाया जा सके इसके लिए कतार बद्ध ढंग से पौधे लगाए जाते हैं और उन में लगभग डेढ़ डेढ़ मीटर का अंतर जरूर रखा जाता है। ताकि उस बेल को मचान तक पहुंचने में और उत्पादन के समय उसकी कटाई चटाई और फल प्राप्त करने में पूरी आसानी हो सके।
कलम कैसे तैयार करते हैं
Benefits of kundru: कुंदरू की 4 से 5 12 महीने पुरानी लता से 5 या छह गांठ वाली 12 से 15 सेंटीमीटर की कलम काट लेते हैं फिर उसे कलाम को मिट्टी और गोबर से सन कर पॉलिथीन में रख देते हैं । 50 60 दिनों में इन कलम से जेड निकलना शुरू हो जाती है इसके बाद हम इनकी खेत में रोपाई कर सकते हैं। और जब हम पंक्तिबद्ध इनको लगते हैं तो 10 मादा पौधों के बीच एक नर पौधा लगाया जाता है।
कुंदरू फसल सिंचाई
कुंदरू की फसल में पौधों को गर्मियों के मौसम में 4 से 5 दोनों के अंतराल पर पानी देकर मिट्टी में नमी बनाए रखना चाहिए। और अधिक पानी भी नहीं लगाना चाहिए इससे उन की पत्तियां पीली पढ़कर गिरने लगती हैं।
विभिन्न प्रकार के कीड़े मक्खी से बचाव के लिए
Benefits of kundru: विभिन्न प्रकार के कीड़ों से बचने के लिए नीम नीम का काला पानी में मिलाकर या फिर गोमूत्र भी छिड़कना चाहिए इससे कीटनाशक बिल को प्रभावित नहीं करते। | पतियों पर धब्बे या खराब होने की बीमारी में 0.1 प्रतिशत बाविस्टीन की मात्रा का मिश्रण तैयार कर उसका छिड़काव करे।
कुंदरू विभिन्न बीमारियों में लाभप्रद, मधुमेह की बीमारी में अमृत के समान कुंदरू की सब्जी
Benefits of kundru: सब्जी शुगर के मरीजों के लिए अमृत समान मानी जा सकती है. यह सब्जी विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, । कुंदरू की सब्जी डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए बेहद चमत्कारी चमत्कारी मानी गई है. एक अध्ययन के मुताबिक कुंदरू में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. कई रिसर्च में भी यह बात सामने आ चुकी है कि डायबिटीज की दवाएं लेने के अलावा रोज कुंदरू का सेवन किया जाए तो शुगर कंट्रोल में बहुत लाभ मिलता है।
कोलेस्ट्रॉल काम करने में लाभकारी– कुंदरू डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है. कुंदरू का सेवन करने से शरीर में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है.।
हड्डियों मजबूती के लिए बेहतरीन कुंदरू विटामिन सी, विटामिन ए, आयरन और कैल्शियम से भरपूर होने के कारण हड्डियों की मजबूती के लिए सेहतमंद है। सहित कई विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होती है. इसका सेवन करने से हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचने में भी आसानी होती है।
इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत
. विटामिन सी की भरपूर मात्रा होने से कुंदरू की सब्जी इम्यून सिस्टम को मजबूत मजबूत बनाने में सहायक है।. इससे बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.।
पाचन तंत्र को दुरस्त करता है कंदुरु– माना जाता है कि कुंदरू की सब्जी खाने से कब्ज और अपच की समस्या दूर हो जाती है. इससे पाचन तंत्र को दुरुस्त किया जा सकता है।
त्वचा की बीमारियों में लाभकारी
Benefits of kundru: हल्का और सुपाच्य होने के कारण कंदरू की सब्जी त्वचा रोगों में बहुत लाभकारी है यह त्वचा को दुरस्त रखने में लाभकारी है।
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं छोटे से नाम वाली है कंदरू सब्जी सेहत से भरपूर और कमाई का खजाना है
मीना कौशिक
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