होगी बड़ी क्रांति: दुनिया भर में बनेंगे लकड़ी के शहर

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International News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar15 MAR 2024 02:07 PM
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Sweden News : विश्व (World)  में जल्दी ही एक बड़ी क्रांति होगी। क्रांति का अर्थ कोई आंदोलन या खूब खराबा नहीं होता है। क्रांति का मतलब होता है बड़ा परिवर्तन ऐसा ही एक बड़ा परिवर्तन जल्दी ही पूरी दुनिया (World) में नजर आएगा। इस अनोखी क्रांति के द्वारा पूरी दुनिया में लकड़ी से बने हुए शहर नजर आएंगे। लकड़ी के शहर यानि वुडन सिटी विश्व (World) के लिए एक बड़ी सौगात यानि जीआईएफटी (GIFT) की तरह से होंगे। लकड़ी के शहर दुनिया में एक नए युग की शुरूआत करेंगे।

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स्वीडन से होगी शुरूआत

आपको बता दें कि स्वीडन देश की सरकार ने अपने देश में वुडन सिटी (लकड़ी का शहर) बनाने का फैसला किया है। इस फैसले का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। लकड़ी के शहर को लेकर जाने-माने पत्रकार तथा लेखक सुधीर कुमार ने एक लेख लिखा है। सुधीर कुमार के लेख को पढ़वाने से पहले आपको बता दें कि जैसे ही स्वीडन में वुडन शहर (लकड़ी का शहर) का प्रयोग होगा। वैसे ही दुनिया के हर शहर में लकड़ी के शहर बनते हुए नजर आएंगे।

लकड़ी के शहर में होगा आपका भी घर

सुधीर कुमार ने लिखा है कि विश्व में एक बड़ी क्रांति होने वाली है। स्वीडन ने दुनिया का सबसे बड़ा 'लकड़ी का शहर' (वुडन सिटी) राजधानी स्टॉकहोम के सिकला में स्थापित करने की घोषणा की है। इस काष्ठ-शहर की सभी इमारतें जैसे घर, रेस्तरां, कार्यालय, अस्पताल, विद्यालय और दुकानें लकड़ी से निर्मित होंगी। इसका उद्देश्य सिकला को ऐसा शहर बनाना है, जिसकी जलवायु परिवर्तन में हिस्सेदारी नगण्य हो। इस परियोजना की शुरुआत 2025 में होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस प्रस्तावित काष्ठ-शहर को टिकाऊ वास्तुकला और सतत शहरी विकास के एक नए युग के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, घर के निर्माण में लकड़ी का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है। औद्योगिक क्रांति से पूर्व लकड़ी महत्वपूर्ण निर्माण सामग्री हुआ करती थी, पर बढ़ते आधुनिकीकरण और आर्थिक संपन्नता के कारण निर्माण सामग्री में सीमेंट, बालू, ईंट और लोहे का वर्चस्व हो गया। दुष्परिणाम यह हुआ कि कंकरीट के जंगल बसाए जाने लगे, जिससे ग्लोबल वामिंग की समस्या गहराती चली गई। कंकरीट की तुलना में लकड़ी से बने घर कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं। कम ऊष्मा अवशोषण के कारण ऐसे घर अपेक्षाकृत ठंडे भी रहते हैं और कंकरीट पर हमारी निर्भरता कम करते हैं। दुनिया भर में बालू की कमी का संकट गहरा रहा है, जिससे निर्माण कार्य बाधित हो रहे हैं। बालू के बेलगाम दोहन के कारण जलस्रोत का आधार भी समाप्त हो रहा है। सीमेंट एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक निर्माण सामग्री है, जिसके बिना आधुनिक निर्माण की कल्पना नहीं की सकती है। लेकिन इसके 'कार्बन फुटप्रिंट' को देखते हुए निर्माण कार्यों में इसका कम इस्तेमाल करने और वैकल्पिक रूप में लकड़ी का उपयोग बेहतर समाधान हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, लकड़ी के घर अधिक भूकंपरोधी होते हैं और इनमें उपयोग होने वाली लकडय़िां भी अग्निरोधी होती हैं। हालांकि ऐसे दौर में, जब दुनिया भर में बनावरण सिकुड़ते जा रहे हैं, तब बड़े पैमाने पर काष्ठ-घरों का निर्माण पर्यावरण असंतुलन का कारण बन सकता है। भारत में आज भी पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में अधिकांश घर लकड़ी और बांस की सहायता से ही बनाए जाते हैं। झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में आज भी लोग मिट्टी से निर्मित घरों में रह रहे हैं। बहरहाल, जलवायु परिवर्तन हमें परंपरा की ओर लौटने का अवसर दे रहा है।

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सात समुद्र पार से हुई घोषणा भारत में मोदी को हराने वाला कोई नहीं, फिर जीतेंगे पीएम मोदी

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USA News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 MAR 2024 02:29 PM
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USA News : भारत में रोज नारे लगाते हैं कि “आएगा तो मोदी ही” अब इसी प्रकार की आवाज सात समुंदर पार अमेरिका (USA) से भी आई है। अमेरिका (USA) के आधा दर्जन सांसदों ने घोषणा कर दी है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार फिर से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनेंगे। अमेरिका (USA) के सांसदों का यहां तक कहना है कि भारत में नरेंद्र मोदी को हारने वाला कोई नहीं है। अमेरिका (USA) के सांसदों ने भारत तथा अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत बनाने की मांग भी रखी है।

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अमेरिका के सांसद रिच मैककॉर्मिक का बड़ा बयान

अमेरिका (USA) में रिपब्लिकन पार्टी के सांसद रिच मैककॉर्मिक ने कहा है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और आने वाला कोई नेता नहीं है अपने बयान में अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद रिच मैककॉर्मिक ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक लोकप्रिय नेता बलति हुए भरोसा जताया कि वह आगामी लोकसभा चुनाव फिर जीतेंगे। जॉर्जियाई सांसद ने कहा, मोदी अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हैं और मुझे लगता है कि वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मैककॉर्मिक ने भारत दौरे को याद कर कहा, मैंने PM के साथ लंच कर पार्टी लाइन से परे उनकी लोकप्रियता देखी। अर्थव्यवस्था, विकास, सर्व कल्याण और दुनिया में प्रवासी प भारतीयों के लिए उनकी सकारात्मकता, रणनीतिक संबंधों को प्रभावित करने वाली है। उन्होंने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही इसके साथ ही अमेरिका (USA) में भारतवंशी सांसद श्री थानेदार ने कहा कि डावासी पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने गत 10 वर्षों में 'अच्छी प्रगति' की है। जब वह पीएम चुने गए थे तो भारत दुनिया की 10वीं अर्थव्यवस्था था, बहुत जल्द यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसे नजर अंदाज नहीं कर सकते। उन्होने माना कि नरेंद्र मोदी फिर से PM बनने वाले हैं।

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अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने भारत- अमेरिकी रिश्ते को प्रगाढ़ करने की दिशा में काम किया है और दोनों लोकतांत्रिक देशों में बेहद मजबूत संबंध हैं। भारत ने 10 वर्ष में काफी प्रगति की है। । यह उल्लेखनीय है। अमेरिका के प्रभावशाली सांसद मैट कार्टराइट ने कहा है कि उनके देश को भारत से अधिक योग्य पेशेवरों की जरूरत है। उन्होंने ग्रीन कार्ड जारी करने के वास्ते देश के लिए सात प्रतिशत कोटा खत्म करने की भी पैरवी की। इसकी वजह से भारत से यहां आने वाले पेशेवरों को ग्रीन कार्ड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने भारतीयों को महत्वपूर्ण बताया।

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चिंताजनक: दुनिया का 12वां सबसे दु:खी देश है भारत, रिपोर्ट में खुलासा

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Most Unhappy Country 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 MAR 2024 05:27 PM
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Most Unhappy Country 2024 :  भारत देश में रहने वालों के लिए एक चिंता को बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। हाल ही में जारी हुई वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में भारत को बहुत ही दु:खी देश बताया गया है। वल्र्ड हैपीनेस रिपोर्ट को यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क नामक संस्था जारी करती है। वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट साल में एक बार जारी की जाती है। वर्ष-2024 की वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में दुनिया के दु:खी देशों की श्रेणी में भारत 12वें स्थान पर है।

Most Unhappy Country 2024

दुनिया का 12वां दु:खी देश है भारत

वर्ष-2024 की वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में दुनिया के 137 देशों में भारत नीचे से 12वें स्थान पर आया है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत दुनिया के देशों में 12वां सबसे दु:खी देश है। वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट का यह आंकड़ा पूरे भारत के नागरिकों के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ताजा वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में अफगानिस्तान दुनिया का सबसे दु:खी देश है। हम विस्तार से बता रहे हैं कि कौन-कौन से देश सबसे ज्यादा दु:खी देश हैं।

कैसे तैयार होती है वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट

वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट को तैयार करने में मुख्य रूप से 6 बातों का ध्यान रखा जाता है- सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, आय, आजादी, लोगों के बीच उदारता की भावना और भ्रष्टाचार का न होना। इंसान के खुश रहने के लिए इन सभी बातों का होना जरूरी है। जो देश इन सभी कारकों पर खरा नहीं उतरता या कम अंक हासिल करता है, वो सबसे दुखी देश माना जाता है। इन्हीं 6 बातों के आधार पर तैयार की गई वल्र्ड हैपिनेस की गई वल्र्ड हैपिनेस की ताजा रिपोर्ट में भारत दुनिया का 12वां सबसे दु:खी देश बताया गया है।

जान लीजिए दुनिया के 9 दु:खी देशों को

ताजा वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में दुनिया का सबसे अधिक दु:खी देश अफगानिस्तान है। 137 देशों की लिस्ट में अफगानिस्तान सबसे निचले पायदान के साथ दुनिया का सबसे दुखी देश है। तालिबान के शासन में अफगानिस्तान बेहद कम जीवन प्रत्याशा, गरीबी, भुखमरी से जूझ रहा है। दशकों तक युद्ध का मैदान रहे अफगानिस्तान में लोग महंगाई, बेरोजगारी और तालिबान के कू्रर शासन के बीच निराशा से भरपूर जीवन जीने को मजबूर हैं।

लेबनान

सबसे दुखी देशों की लिस्ट में लेबनान का स्थान दूसरा है। यह देश सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल, आर्थिक अस्थिरता झेल रहा है जहां के लोग समाज और सरकार से नाखुश दिखते हैं।

सिएरा लियोन

सिएरा लियोन सबसे दुखी देशों की लिस्ट में दुनिया में तीसरे और अफ्रीका में पहले स्थान पर है। यहां की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और राजनीति की अस्थिरता से लोगों के बीच असंतोष की भावना है। सामाजिक उथल-पुथल से जूझ रहे इस देश के नागरिक खाने-पीने की जरूरतें भी नहीं पूरी कर पा रहे हैं।

जिम्बॉब्वे

वल्र्ड हैपिनेस रिपोर्ट में चौथे स्थान पर जिंबाब्वे है। जिम्बॉब्वे भी फिलहाल कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है जिसे लेकर वहां के लोग में निराशा और हताशा घर कर गई है।

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो

लंबे समय से संघर्ष, राजनीतिक उथल-पुथल, तानाशाही शासन, लोगों का जबरदस्ती पलायन झेल रहा कांगो सबसे दुखी देशों की लिस्ट में पांचवें स्थान पर है। चारों तरफ से चुनौतियों से घिरे कांगो के लोग देश की स्थिति देख असंतोष और निराश हैं।

बोत्सवाना

बोत्सवाना में भी राजनीतिक-सामाजिक स्थिरता की कमी है जिससे लोग संतुष्ट नहीं हैं और यह देश सबसे दुखी देशों की लिस्ट में छठे स्थान पर है।

मलावी

बढ़ती जनसंख्या, बंजर जमीन और सिंचाई की सुविधा का न होना जैसी मुश्किलें झेल रहा मलावी दुखी देशों की लिस्ट में सातवें स्थान पर है। यहां के लोगों के पास खाने-पीने की चीजों की कमी है और अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है। सीमित संसाधनों के बीच बढ़ती जनसंख्या के बोझ तले दबे मलावी के लोगों में निराशा है।

कोमोरोस

कोमोरोस की अस्थिरता का आलम यह है कि इसे 'तख्तापलट का देश' कहा जाता है। यहां के लोग सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता से बेहद निराशा की स्थिति में हैं और यह 8वां सबसे दुखी देश है।

तंजानिया

आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता झेल रहा तंजानिया सबसे दुखी देशों की लिस्ट में 9वें स्थान पर है।

भारत का सगा छोटा भाई है एक देश, मार्च में मनाता है स्वतंत्रता दिवस

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