कौन था हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी? इजरायल के दावे में लेबनान कमांडर ढेर

इजरायल ने अपने बयान में कहा कि लक्ष्य हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी थे जिन पर आरोप है कि वे बीते वर्षों से सीरिया-लेबनान बेल्ट में इजरायल के खिलाफ हमलों और कथित साजिशों को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

लेबनान में ड्रोन स्ट्राइक के बाद इजरायल का बड़ा दावा
लेबनान में ड्रोन स्ट्राइक के बाद इजरायल का बड़ा दावा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 12:08 PM
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Hussein Mahmoud Marshad Al-Jawhari : लेबनान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बीते गुरुवार सुबह एक ड्रोन स्ट्राइक ने इलाके में हलचल बढ़ा दी। इजरायली सेना का दावा है कि इस हमले में ईरान की कुद्स फोर्स का एक शीर्ष कमांडर मारा गया। इजरायली रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईडीएफ और शिन बेट ने मिलकर ऑपरेशंस यूनिट से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी को टारगेट किया। वहीं लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि सीरियाई सीमा की ओर जाने वाली सड़क पर एक वाहन पर ड्रोन से हमला हुआ, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इजरायल ने अपने बयान में कहा कि लक्ष्य हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी थे जिन पर आरोप है कि वे बीते वर्षों से सीरिया-लेबनान बेल्ट में इजरायल के खिलाफ हमलों और कथित साजिशों को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

यूनिट 840 क्या है, जिसका नाम सामने आया?

इजरायली बयान में जिस ऑपरेशंस यूनिट का जिक्र किया गया, उसे यूनिट 840 के नाम से भी जाना जाता है। इजरायल का दावा है कि यही यूनिट इजरायल के खिलाफ गतिविधियों को “निर्देशित” करती है और इसके लिए जिम्मेदार मानी जाती है। सेना ने हमले से जुड़ा ड्रोन फुटेज जारी करने की बात भी कही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली पक्ष ने अल-जौहरी को एक “अत्यंत पेशेवर इंटेलिजेंस ऑपरेटिव” के तौर पर पेश किया और दावा किया कि उनके पास सामान्य तौर पर कुद्स फोर्स के कथित टेरर ऑपरेटिव्स की तुलना में अधिक उन्नत क्षमताएं थीं।

ईरान के लिए ‘बड़ा झटका’ क्यों बताया जा रहा है?

इस घटनाक्रम को ऐसे समय में अहम माना जा रहा है, जब इसी साल इजरायली हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मारे जाने के दावे सामने आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जून को हुए एक इजरायली हमले में आईआरजीसी (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी की मौत का दावा किया गया था। सलामी को इजरायल और अमेरिका समेत विरोधी देशों के प्रति सख्त रुख के लिए जाना जाता था। रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर किसी देश ने हमला किया तो तेहरान “कड़ा जवाब” देगा। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 13 जून से 23 जून के बीच चले संघर्ष के दौरान इजरायल-यूएस के संयुक्त हमलों में ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी और उप कमांडर-इन-चीफ जनरल गुलाम अली राशिद की मौत की भी खबरें सामने आई थीं। Hussein Mahmoud Marshad Al-Jawhari

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सऊदी अरब में शराब क्यों है ‘नो एंट्री’? एक घटना जिसने इतिहास पलट दिया

कुछ ही पलों में गोलियां चलीं ब्रिटिश वाइस-काउंसल की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह वारदात सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि वही चिंगारी बनी, जिसने सऊदी अरब को अपनी नीतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया।

सऊदी अरब में शराब पर पाबंदी की कहानी
सऊदी अरब में शराब पर पाबंदी की कहानी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 11:02 AM
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Saudi Arabia : सऊदी अरब में शराब पर सख्त पाबंदी को अक्सर लोग केवल धार्मिक फैसले के रूप में देखते हैं, लेकिन इसकी जड़ें उससे कहीं ज्यादा गहरी हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रतिबंध के पीछे एक ऐसी शाही घटना भी थी, जिसने पूरे किंगडम को भीतर तक झकझोर दिया था। मामला इतना गंभीर था कि यह सिर्फ शाही परिवार की प्रतिष्ठा तक सीमित नहीं रहा,इसने सऊदी अरब की आंतरिक सुरक्षा, प्रशासनिक नियंत्रण और दुनिया के सामने उसकी छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए। यही वजह है कि शराब पर रोक वहां सिर्फ ‘कानून’ नहीं बनी, बल्कि राज्य की सख्ती और व्यवस्था की निर्णायक घोषणा बनकर इतिहास में दर्ज हो गई।

1951: वह घटना जिसने इतिहास मोड़ दिया

साल 1951 में सऊदी अरब के जेद्दा शहर में घटी एक खौफनाक घटना ने पूरे किंगडम की नीतियों की दिशा ही बदल दी। शाही परिवार से जुड़े युवा राजकुमार मिशारी बिन अब्दुलअजीज शराब के नशे में जेद्दा स्थित ब्रिटिश वाइस-काउंसल सिरिल ओसमैन के आवास पर पहुंचे। नशे की हालत में उनके व्यवहार ने माहौल को शर्मनाक बना दिया। जब हालात बिगड़ते देख ओसमैन ने राजकुमार को वहां से जाने को कहा, तो यह बात शाही अहंकार पर चोट बन गई। बताया जाता है कि अपमान और गुस्से से तिलमिलाया राजकुमार अगले ही दिन और अधिक उग्र रूप में दोबारा लौटा। इस बार जब शराब और महिला को लेकर उसकी मांग को सख्ती से ठुकरा दिया गया, तो उसने पिस्तौल निकाल ली। कुछ ही पलों में गोलियां चलीं ब्रिटिश वाइस-काउंसल की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह वारदात सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि वही चिंगारी बनी, जिसने सऊदी अरब को अपनी नीतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया।

शाही परिवार और किंगडम के लिए बड़ा झटका

यह वारदात महज एक हत्या नहीं थी, बल्कि यह एक राजनयिक की हत्या थी और आरोप शाही परिवार के सदस्य पर लगे। नतीजा यह हुआ कि सऊदी अरब की अंतरराष्ट्रीय साख को ऐसा झटका लगा, जिसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी। सत्ता के गलियारों में यह संदेश साफ हो गया कि शराब का मसला सिर्फ सामाजिक अनुशासन या नैतिकता तक सीमित नहीं है; यह शासन की पकड़, आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति तक को संकट में डाल सकती है। इसी दबाव और पृष्ठभूमि में तत्कालीन शासक किंग अब्दुलअजीज अल सऊद ने एक निर्णायक कदम उठाया और पूरे सऊदी अरब में शराब के उत्पादन, आयात और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया। यही वह कठोर फैसला था, जिसने किंगडम की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को नई दिशा दी और दुनिया के सामने उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की मुहर लगा दी।

संक्षेप में पूरी कहानी

1951 में जेद्दा से उठा यह मामला सऊदी अरब के लिए सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं रहा, बल्कि किंगडम की प्रतिष्ठा और शासन-व्यवस्था के लिए बड़ा संकट बन गया। आरोप है कि शाही परिवार के युवा राजकुमार मिशारी बिन अब्दुलअजीज नशे की हालत में ब्रिटिश वाइस-कॉन्सुल सिरिल ओसमैन के घर पहुंचे और वहां अभद्रता पर उतर आए। जब उन्हें रोका गया तो बात टलने के बजाय और भड़क गई। अगले ही दिन गुस्से और नशे में वापस लौटकर राजकुमार ने कथित तौर पर गोली चला दी ओसमैन की मौके पर मौत हो गई और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हुईं। इस राजनयिक हत्याकांड ने सऊदी अरब की अंतरराष्ट्रीय छवि को झकझोर दिया, जिसके बाद राजा अब्दुलअजीज ने निर्णायक कदम उठाते हुए पूरे देश में शराब के उत्पादन, आयात और सेवन पर सख्त प्रतिबंध लागू कर दिया और यही फैसला आगे चलकर किंगडम की सामाजिक पहचान की सबसे कठोर लकीर बन गया।

आज का सऊदी अरब: सख्ती के बीच सीमित ढील

समय के साथ सऊदी अरब की शराब नीति में कुछ सीमित और नियंत्रित बदलावों के संकेत भी दिखने लगे हैं हालांकि इसे ढील नहीं, बल्कि “कड़े नियमों के भीतर प्रबंध” कहा जा सकता है। 2024 में सरकार ने दूतावासों को अपने कर्मचारियों के लिए सख्त शर्तों के साथ सीमित मात्रा में शराब आयात की अनुमति दी, ताकि राजनयिक जरूरतों को नियंत्रित ढंग से पूरा किया जा सके। इसी के साथ गैर-मुस्लिम राजनयिकों और चुनिंदा विदेशी निवासियों के लिए नियंत्रित पहुंच की व्यवस्था पर भी काम आगे बढ़ा। उधर एक्सपो 2030 और फीफा वर्ल्ड कप 2034 जैसे बड़े वैश्विक आयोजनों की तैयारियों के बीच, नीति-निर्माता एक ऐसे “कंट्रोल्ड सेल” मॉडल पर भी विचार कर रहे हैं, जिसमें पहुंच सीमित हो, निगरानी सख्त रहे और किंगडम की सामाजिक-सांस्कृतिक सीमाएं भी कायम रहें। Saudi Arabia


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Falcon 50 क्यों है ‘पावरफुल’ बिजनेस जेट? राफेल कंपनी का विमान फिर चर्चा में

हादसे के बाद जिस विमान की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह Falcon 50 है और इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसे बनाने वाली कंपनी Dassault Aviation वही फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी है जो राफेल फाइटर जेट तैयार करती है।

Dassault Falcon 50 बिजनेस जेट
Dassault Falcon 50 बिजनेस जेट
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 12:42 PM
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Falcon 50 : लिबिया की सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद की एक विमान हादसे में मौत की खबर सामने आई है। बताया गया कि वह Dassault Falcon 50 बिजनेस जेट से अंकारा (तुर्की) से अपने देश लौट रहे थे। इस दुर्घटना में अल-हद्दाद समेत कुल 8 लोगों के मारे जाने की सूचना है। हादसे के बाद जिस विमान की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह Falcon 50 है और इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसे बनाने वाली कंपनी Dassault Aviation वही फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी है जो राफेल फाइटर जेट तैयार करती है। इस रिपोर्ट में जानिए Falcon 50 का इतिहास, इसकी तकनीकी क्षमता, कौन-कौन इसका इस्तेमाल करता है और इसकी कीमत कितनी मानी जाती है।

Falcon 50: कब लॉन्च हुआ और क्यों हुआ मशहूर?

Falcon 50 को 1976 में लॉन्च किया गया था। यह एक सुपर मिड-साइज़ बिज़नेस जेट माना जाता है, जिसे खास तौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए जाना जाता रहा। इसकी पहचान ट्रांस-अटलांटिक (समुद्र पार) नॉन-स्टॉप उड़ान क्षमता और भरोसेमंद प्रदर्शन रही है।

हालांकि यह मूल रूप से कमर्शियल/बिज़नेस ट्रांसपोर्ट के लिए बना, लेकिन समय के साथ इसका इस्तेमाल सरकारी और सैन्य जरूरतों में भी बढ़ा VIP मूवमेंट, विशेष मिशन और कुछ देशों में सर्विलांस भूमिकाओं तक।

राफेल वाली इंजीनियरिंग, लेकिन भूमिका अलग

Dassault Aviation की इंजीनियरिंग का “सिग्नेचर” राफेल और Falcon दोनों में साफ दिखता है, लेकिन दोनों की भूमिका दो अलग-अलग दुनिया की है। Rafale जहां एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है जिसका मकसद हवा में कॉम्बैट, स्ट्राइक और डिफेंस ऑपरेशन को अंजाम देना है वहीं Falcon 50 एक प्रीमियम बिज़नेस/ट्रांसपोर्ट जेट है, जिसे आरामदायक यात्रा, लंबी रेंज और ऑपरेशनल सेफ्टी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया। कहने का मतलब यह कि कंपनी वही है, टेक्नोलॉजी का डीएनए भी वही, लेकिन जरूरतें अलग होने के कारण मिशन, डिजाइन फिलॉसफी और परफॉर्मेंस प्राथमिकताएं पूरी तरह बदल जाती हैं एक तरफ युद्ध की मशीन, दूसरी तरफ VIP ट्रैवल का भरोसेमंद प्लेटफॉर्म।

Falcon 50 कितना पावरफुल? (टेक्निकल प्रोफाइल)

Falcon 50 को पावरफुल और भरोसेमंद बनाने के पीछे इसकी ट्राई-इंजन डिज़ाइन और हाई-एल्टीट्यूड पर स्थिर उड़ान क्षमता सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। तीन इंजन होने के कारण यह जेट न सिर्फ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि लंबे रूट्स पर भी संतुलित परफॉर्मेंस देता है। यह विमान करीब 41 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है, जिससे खराब मौसम और एयर ट्रैफिक से ऊपर निकलकर स्मूद फ्लाइट संभव हो पाती है। डायमेंशन की बात करें तो Falcon 50 की लंबाई लगभग 18.5 मीटर और विंगस्पैन करीब 18.9 मीटर है, जबकि इसका अधिकतम टेक-ऑफ वेट लगभग 17.3 टन तक जाता है। यही वजह है कि यह जेट करीब 5,700 किलोमीटर की लंबी दूरी बिना रुके तय करने के लिए जाना जाता है। लगभग 915 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ Falcon 50 बिज़नेस और VIP ट्रैवल के लिए समय-बचत और आराम दोनों का भरोसा देता है। कुल मिलाकर, इस जेट की डिजाइन फिलॉसफी का केंद्र कमर्शियल सेफ्टी, रिलायबिलिटी और लॉन्ग-रेंज परफॉर्मेंस रहा है, जिसने इसे दुनिया के भरोसेमंद प्राइवेट जेट्स में शुमार किया।

Falcon 50 का इस्तेमाल कौन करता है?

Falcon 50 का इस्तेमाल आमतौर पर तीन बड़े वर्गों में सबसे ज्यादा देखा जाता है कॉर्पोरेट जगत, सरकारी तंत्र और डिफेंस सेटअप। बड़े बिज़नेस एग्जीक्यूटिव्स इसे तेज़, आरामदायक और टाइम-सेविंग कॉर्पोरेट ट्रैवल के लिए चुनते रहे हैं। वहीं कई सरकारें इसे VIP ट्रांसपोर्ट और विशेष ड्यूटी के लिए उपयोग में लाती हैं, जहां सुरक्षा और गोपनीयता प्राथमिकता होती है। तीसरी श्रेणी में मिलिट्री/डिफेंस यूनिट्स आती हैं, जो जरूरत के मुताबिक इसे अलग-अलग भूमिकाओं जैसे लॉजिस्टिक सपोर्ट, विशेष मिशन या आधिकारिक मूवमेंट में तैनात करती रही हैं। रिपोर्ट्स में यह भी उल्लेख मिलता है कि US Air Force और French Air Force सहित कई एजेंसियां Falcon सीरीज़ के विमानों को अपनाती रही हैं। हालांकि Falcon 50 कमर्शियल मार्केट का हिस्सा है, लेकिन इसकी कीमत और ऑपरेशनल कॉस्ट इसे आम यात्रियों की “रेगुलर फ्लाइट” कैटेगरी से बाहर कर देती है। यही वजह है कि यह जेट ज्यादातर ओनरशिप या चार्टर मॉडल पर ही उड़ता दिखता है यानी यह विमानन की दुनिया में एक तरह से “प्राइवेट क्लब” का हिस्सा माना जाता है।

Falcon 50 की कीमत कितनी?

क्योंकि Falcon 50 का नया प्रोडक्शन अब बंद माना जाता है, इसलिए इसकी खरीद-फरोख्त का पूरा खेल आज यूज्ड (प्री-ओन्ड) एयरक्राफ्ट मार्केट में ही चलता है। उपलब्ध सूचनाओं के मुताबिक 2025 के आसपास Falcon 50 के इस्तेमाल किए गए मॉडल की कीमतें करीब $5 लाख से $36 लाख के दायरे में बताई जाती हैं जो भारतीय मुद्रा में लगभग 4 करोड़ से 30 करोड़ रुपये तक बैठती हैं। वहीं इसका ज्यादा एडवांस्ड वर्जन Falcon 50EX प्रीमियम सेगमेंट में आता है और इसकी कीमत करीब $21 मिलियन (लगभग 175 करोड़ रुपये) के आसपास मानी जाती है। हालांकि कीमत का यह आंकड़ा “फिक्स टैग” नहीं होता क्योंकि अंतिम वैल्यू विमान की कंडीशन, एवियोनिक्स/टेक अपग्रेड, इंटीरियर क्वालिटी, फ्लाइंग ऑवर्स और सबसे अहम मेंटेनेंस रिकॉर्ड पर काफी हद तक निर्भर करती है।

क्यों हुआ कंट्रोल लॉस? 

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दर्दनाक हादसे में लिबिया के सेना प्रमुख के साथ चार अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी जान गंवा बैठे, जबकि क्रू के तीन सदस्य भी दुर्घटना की चपेट में आए। बताया जा रहा है कि विमान ने तुर्की की राजधानी अंकारा से उड़ान भरने के कुछ ही वक्त बाद नियंत्रण खो दिया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बाद में विमान का मलबा अंकारा के पास हेमाना (Haymana) जिले के आसपास मिलने की सूचना सामने आई। इधर, लिबिया के प्रधानमंत्री अब्दुलहामिद दबीबा ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी कर घटना पर गहरा दुख जताया और इसे देश के लिए “अत्यंत दुखद क्षति” बताया। Falcon 50

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