भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ खत्म करेगा अमेरिका, उठ रहे विरोध के सुर
सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।

Tariff Dispute : भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध तेज होता दिख रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तीन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है, जिसके आधार पर ये टैरिफ लगाए गए थे। सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।
अमेरिकी संसद में ट्रंप की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही
यह प्रस्ताव कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में लाया गया है। इन सांसदों ने राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन अधिकारों के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि व्यापार नीति तय करने का अधिकार कांग्रेस के पास होना चाहिए, न कि कार्यपालिका के एकतरफा निर्णय से। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिकी संसद में ट्रंप प्रशासन की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है। इससे पहले सीनेट में भी एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, जिसका उद्देश्य ब्राजील पर लगाए गए समान टैरिफ को खत्म करना और भविष्य में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर टैरिफ बढ़ाने की शक्ति को सीमित करना है।
टैरिफ नीति में जल्द पता चलगा अमेरिकी रुख
प्रतिनिधि सभा के सांसदों का मानना है कि यदि राष्ट्रपति को इस तरह से व्यापारिक फैसले लेने की खुली छूट दी जाती रही, तो अमेरिका की व्यापार नीति में अस्थिरता बनी रहेगी और वैश्विक साझेदार देशों के साथ संबंध और अधिक कमजोर हो सकते हैं। हालांकि, यह प्रस्ताव टैरिफ को तुरंत समाप्त नहीं करता, लेकिन इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका के भीतर ही अब इस आक्रामक व्यापार नीति को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। आने वाले समय में यह बहस यह तय करेगी कि क्या अमेरिका अपने रुख में नरमी लाएगा या टैरिफ नीति को जारी रखेगा।
Tariff Dispute : भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध तेज होता दिख रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के तीन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है, जिसके आधार पर ये टैरिफ लगाए गए थे। सांसदों का तर्क है कि इस तरह के टैरिफ न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं, श्रमिकों और घरेलू उद्योगों पर भी पड़ रहा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क बढ़ने से महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर हुई है।
अमेरिकी संसद में ट्रंप की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही
यह प्रस्ताव कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में लाया गया है। इन सांसदों ने राष्ट्रपति द्वारा आपातकालीन अधिकारों के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि व्यापार नीति तय करने का अधिकार कांग्रेस के पास होना चाहिए, न कि कार्यपालिका के एकतरफा निर्णय से। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिकी संसद में ट्रंप प्रशासन की टैरिफ रणनीति को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है। इससे पहले सीनेट में भी एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, जिसका उद्देश्य ब्राजील पर लगाए गए समान टैरिफ को खत्म करना और भविष्य में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर टैरिफ बढ़ाने की शक्ति को सीमित करना है।
टैरिफ नीति में जल्द पता चलगा अमेरिकी रुख
प्रतिनिधि सभा के सांसदों का मानना है कि यदि राष्ट्रपति को इस तरह से व्यापारिक फैसले लेने की खुली छूट दी जाती रही, तो अमेरिका की व्यापार नीति में अस्थिरता बनी रहेगी और वैश्विक साझेदार देशों के साथ संबंध और अधिक कमजोर हो सकते हैं। हालांकि, यह प्रस्ताव टैरिफ को तुरंत समाप्त नहीं करता, लेकिन इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका के भीतर ही अब इस आक्रामक व्यापार नीति को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। आने वाले समय में यह बहस यह तय करेगी कि क्या अमेरिका अपने रुख में नरमी लाएगा या टैरिफ नीति को जारी रखेगा।












