रुपया पहली बार 90/यूएसडी के पार, रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँचा
रुपये की कमजोरी कई कारणों से बढ़ी है। बड़े बैंकों द्वारा डॉलर की आक्रामक खरीदारी और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी भी इसका बड़ा कारण है। भारत-अमेरिका ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बढ़ती अनिश्चितता तथा कमजोर ट्रेडिंग सेंटिमेंट और नकारात्मक पोर्टफोलियो फ्लो का होना इसका प्रमुख कारण रहा।

Rupee Depreciates : बुधवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया भारी दबाव में रहा और पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार करते हुए 90.02 पर फिसल गया। यह अब तक का सबसे कमजोर स्तर है। ठीक एक दिन पहले जब रुपया 39 पैसे की गिरावट के बाद 89.95 पर बंद हुआ तभी बाजार के जानकारों में हलचल तेज हो गई थी। और जब आज बुधवार को रपया डालर के मुकाबले सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंचा तो बाजार में कोहराम मचा हुआ है। इससे पहले 2 दिसंबर को रुपया 39 पैसे टूटकर 89.95 पर बंद हुआ था। 1 दिसंबर को यह 89.83 के स्तर पर था। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक रुपये में कुल 4.77% की गिरावट दर्ज की गई है।
क्यों गिर रहा है रुपया?
रुपये की कमजोरी कई कारणों से बढ़ी है। बड़े बैंकों द्वारा डॉलर की आक्रामक खरीदारी और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी भी इसका बड़ा कारण है। भारत-अमेरिका ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बढ़ती अनिश्चितता तथा कमजोर ट्रेडिंग सेंटिमेंट और नकारात्मक पोर्टफोलियो फ्लो का होना इसका प्रमुख कारण रहा। इन सभी कारणों ने बीते कुछ सत्रों में रुपये पर दबाव बनाए रखा है। पिछले पाँच कारोबारी दिनों में डॉलर-रुपया जोड़ी में 1% से अधिक की बढ़त देखी गई है, और पिछले महीने यह बढ़त 1.5% से ज्यादा रही।
स्टॉक मार्केट पर प्रभाव
रुपये की गिरावट का असर घरेलू शेयर बाजारों पर भी दिखाई दिया। निफ्टी 26,000 के नीचे फिसल गया। वहीं सेंसेक्स में लगभग 200 अंकों की गिरावट देखी गई। कमजोर होती करेंसी ने महंगाई और विदेशी निवेश को लेकर निवेशकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया।
1 जनवरी 2025 को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.70 पर था, यानी तब से अब तक इसमें काफी गिरावट आ चुकी है।
यदि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अस्थिरता बनी रहती है, तो आने वाले समय में रुपया और कमजोर हो सकता है।
Rupee Depreciates : बुधवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया भारी दबाव में रहा और पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार करते हुए 90.02 पर फिसल गया। यह अब तक का सबसे कमजोर स्तर है। ठीक एक दिन पहले जब रुपया 39 पैसे की गिरावट के बाद 89.95 पर बंद हुआ तभी बाजार के जानकारों में हलचल तेज हो गई थी। और जब आज बुधवार को रपया डालर के मुकाबले सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंचा तो बाजार में कोहराम मचा हुआ है। इससे पहले 2 दिसंबर को रुपया 39 पैसे टूटकर 89.95 पर बंद हुआ था। 1 दिसंबर को यह 89.83 के स्तर पर था। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक रुपये में कुल 4.77% की गिरावट दर्ज की गई है।
क्यों गिर रहा है रुपया?
रुपये की कमजोरी कई कारणों से बढ़ी है। बड़े बैंकों द्वारा डॉलर की आक्रामक खरीदारी और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी भी इसका बड़ा कारण है। भारत-अमेरिका ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बढ़ती अनिश्चितता तथा कमजोर ट्रेडिंग सेंटिमेंट और नकारात्मक पोर्टफोलियो फ्लो का होना इसका प्रमुख कारण रहा। इन सभी कारणों ने बीते कुछ सत्रों में रुपये पर दबाव बनाए रखा है। पिछले पाँच कारोबारी दिनों में डॉलर-रुपया जोड़ी में 1% से अधिक की बढ़त देखी गई है, और पिछले महीने यह बढ़त 1.5% से ज्यादा रही।
स्टॉक मार्केट पर प्रभाव
रुपये की गिरावट का असर घरेलू शेयर बाजारों पर भी दिखाई दिया। निफ्टी 26,000 के नीचे फिसल गया। वहीं सेंसेक्स में लगभग 200 अंकों की गिरावट देखी गई। कमजोर होती करेंसी ने महंगाई और विदेशी निवेश को लेकर निवेशकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया।
1 जनवरी 2025 को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.70 पर था, यानी तब से अब तक इसमें काफी गिरावट आ चुकी है।
यदि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अस्थिरता बनी रहती है, तो आने वाले समय में रुपया और कमजोर हो सकता है।












