पति की कब्र के पास दफनाई जाएंगी बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया

पार्टी के मुताबिक उनका इंतकाल सुबह करीब 6 बजे, फज्र की नमाज के तुरंत बाद हुआ। BNP के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह जानकारी साझा की गई, जबकि महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भी उनके निधन की पुष्टि की।

खालिदा जिया
खालिदा जिया
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar30 Dec 2025 10:45 AM
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Begum Khaleda Zia : बांग्लादेश की राजनीति में मंगलवार सुबह एक बड़ा सन्नाटा उतर आया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की चेयरपर्सन और देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का ढाका स्थित एवरकेयर अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। पार्टी के मुताबिक उनका इंतकाल सुबह करीब 6 बजे, फज्र की नमाज के तुरंत बाद हुआ। BNP के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह जानकारी साझा की गई, जबकि महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भी उनके निधन की पुष्टि की।

लगातार बिगड़ रहा था स्वास्थ्य

पार्टी सूत्रों के अनुसार, 23 नवंबर को डॉक्टरों की सलाह पर खालिदा जिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें दिल और फेफड़ों में संक्रमण के साथ निमोनिया की शिकायत बताई गई। 80 वर्षीय खालिदा जिया लंबे समय से कई जटिल बीमारियों से जूझ रही थीं दिल की समस्या, लिवर-किडनी से जुड़ी दिक्कतें, डायबिटीज, सांस की बीमारी, गठिया और आंखों से संबंधित परेशानियां। उनके दिल में स्थायी पेसमेकर लगा हुआ था और पहले हार्ट स्टेंटिंग भी हो चुकी थी। बताया गया है कि मई में उनका इलाज लंदन में भी कराया गया था।

नामांकन के अगले दिन दुनिया को कहा अलविदा

राजनीतिक गलियारों में यह खबर इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि खालिदा जिया ने सोमवार को चुनावी प्रक्रिया के तहत नामांकन पत्र दाखिल कराया था। जानकारी के मुताबिक उन्होंने बोगुरा-7 सीट से पर्चा भरा, जिसे पार्टी नेताओं ने दोपहर करीब 3 बजे डिप्टी कमिश्नर/रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में जमा कराया। इससे एक दिन पहले उनके निजी चिकित्सक ने भी संकेत दिए थे कि उनकी हालत बेहद नाजुक है और सुधार की संभावना कम बची है।

“युग का अंत” मान रहे समर्थक

खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। 1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद जब देश नई दिशा तलाश रहा था, तब उन्होंने सत्ता की कमान संभाली और फिर वर्षों तक राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक ध्रुव की तरह केंद्र में बनी रहीं। उनके निधन को समर्थक भावुक विदाई के तौर पर देख रहे हैं, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह उस युग का अंत है, जिसमें बांग्लादेश की सत्ता, विपक्ष और जन-भावनाओं की धुरी अक्सर खालिदा जिया के इर्द-गिर्द घूमती रही।

पति के पास दफनाए जाने की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को उनके दिवंगत पति की कब्र के पास सुपुर्द-ए-खाक किए जाने की तैयारी चल रही है। दफन की जगह और अंतिम रस्मों को लेकर परिवार तथा बीएनपी नेतृत्व के बीच समन्वय तेज हो गया है। बताया जा रहा है कि कानूनी-प्रशासनिक औपचारिकताओं, सुरक्षा व्यवस्था और जन-सैलाब को देखते हुए पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि विदाई गरिमा और अनुशासन के साथ संपन्न हो सके। Begum Khaleda Zia

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अफ्रीका की राजनीति में बड़ा भूचाल: इजराइल ने सोमालीलैंड को दे दी पहचान

इसे इसलिए भी निर्णायक माना जा रहा है क्योंकि सोमालीलैंड पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए प्रयासरत रहा है, लेकिन अब तक किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश की औपचारिक मुहर उसे नहीं मिल पाई थी।

इजराइल के फैसले से ऑफ अफ्रीका की राजनीति में हलचल
इजराइल के फैसले से ऑफ अफ्रीका की राजनीति में हलचल
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar27 Dec 2025 12:23 PM
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Israel recognise Somaliland : भारत के करीबी माने जाने वाले इजराइल ने इस बार ऐसा कूटनीतिक कदम उठा दिया है, जिसने पश्चिम एशिया से लेकर अफ्रीकी महाद्वीप तक हलचल बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुवाई में इज़राइल ने सोमालिया से अलग होकर बने सोमालीलैंड को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया है। इसे इसलिए भी निर्णायक माना जा रहा है क्योंकि सोमालीलैंड पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए प्रयासरत रहा है, लेकिन अब तक किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश की औपचारिक मुहर उसे नहीं मिल पाई थी।

इजराइल की मान्यता ने बढ़ाई धड़कनें

1991 में सोमालीलैंड ने सोमालिया से अलग होकर आज़ाद पहचान का ऐलान कर दिया था। तब से यह इलाका काग़ज़ों पर भले “क्षेत्र” कहलाता रहा, लेकिन ज़मीन पर यह एक देश की तरह चलता आया है अपनी सरकार, संसद, सुरक्षा बल, चुनाव और प्रशासनिक ढांचे के साथ। समस्या बस इतनी थी कि दुनिया ने इसे अब तक औपचारिक मुहर नहीं दी, इसलिए सोमालीलैंड दशकों तक मान्यता की प्रतीक्षा में खड़ा ‘अधूरा राष्ट्र’ बना रहा। अब इज़राइल की मान्यता ने इस लंबी चुप्पी को तोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया सवाल खड़ा कर दिया है क्या सोमालीलैंड अब सचमुच वैश्विक नक्शे पर जगह बनाने जा रहा है?

दूतावास और राजदूतों पर बनी सहमति

इजराइल के विदेश मंत्री गिडिओन सआर ने बताया कि इज़राइल और सोमालीलैंड के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने पर समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों पक्ष एक-दूसरे के यहां दूतावास खोलेंगे और राजदूतों की नियुक्ति की जाएगी। कूटनीतिक भाषा में यह सामान्य घोषणा नहीं, बल्कि रिश्तों को औपचारिक और स्थायी ढांचे में ढालने का संकेत है और यही बात कई देशों को चौंका रही है।

कहां है सोमालीलैंड और क्यों है यह इलाका अहम?

सोमालीलैंड, सोमालिया के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसकी सीमाएं जिबूती और इथियोपिया से जुड़ती हैं। यहां अपनी सरकार, संसद, सुरक्षा बल और प्रशासनिक ढांचा मौजूद है। क्षेत्रीय नजरिए से यह इलाका इसलिए भी संवेदनशील माना जाता है क्योंकि यह हॉर्न ऑफ अफ्रीका की उस पट्टी में पड़ता है, जहां समुद्री मार्ग, सुरक्षा और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा लगातार केंद्र में रहती है।

नेतन्याहू का ‘डिप्लोमेसी कार्ड’ और अब्राहम समझौते का संदर्भ

इज़राइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस फैसले को अब्राहम समझौते की भावना से जोड़कर पेश किया है। 2020 के बाद इज़राइल ने कुछ अरब देशों के साथ रिश्तों को औपचारिक रूप से सामान्य किया था—और अब इसी रणनीतिक रफ्तार को अफ्रीका के हॉर्न तक बढ़ाने की कोशिश के तौर पर इस कदम को देखा जा रहा है।

इज़राइल ने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें नेतन्याहू ने वीडियो कॉल के जरिए सोमालीलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही से बातचीत की। बातचीत में उन्हें इज़राइल आने का निमंत्रण दिया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए यरुशलम आने की इच्छा जताई।

अमेरिका की असहजता

इस घटनाक्रम ने अमेरिका को भी असहज कर दिया है, क्योंकि सोमालिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और अल-शबाब के खिलाफ चल रहे अभियानों की पृष्ठभूमि इस मसले को सीधे सुरक्षा हितों से जोड़ देती है। इसी संदर्भ में अमेरिकी राजनीति के पुराने बयान भी चर्चा में हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में सोमालीलैंड को मान्यता देने पर सवाल उठाते हुए अमेरिका के रुख पर असहमति जताई थी। इजराइल के इस फैसले पर तुर्की और मिस्र जैसे देशों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि यह कदम सोमालिया के आंतरिक मामलों में दखल जैसा है और इससे क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है। तुर्की ने इसे इज़राइल की “विस्तारवादी सोच” से जोड़कर देखा, जबकि मिस्र ने भी संप्रभुता और क्षेत्रीय संतुलन के मुद्दे उठाए।

इजराइल को क्या मिल सकता है?

विश्लेषकों की राय में इज़राइल के लिए यह सिर्फ प्रतीकात्मक मान्यता नहीं, बल्कि रणनीतिक लाभ की संभावना भी है। सोमालीलैंड की लोकेशन यमन के नजदीक पड़ती है और यह इलाका पिछले कुछ वर्षों में हूती गतिविधियों और सुरक्षा तनाव के कारण वैश्विक निगाह में रहा है। कुछ आकलन यह भी बताते हैं कि भविष्य में यह क्षेत्र खुफिया निगरानी और सैन्य लॉजिस्टिक्स के लिहाज से अहम ठिकाना बन सकता है। इस इलाके में यूएई की गतिविधियों और अमेरिकी अधिकारियों के दौरों का जिक्र भी इसी रणनीतिक रुचि को रेखांकित करता है। सोमालीलैंड की आबादी करीब 62 लाख बताई जाती है। यहां चुनाव और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण होता रहा है, जो इस क्षेत्र की पहचान का एक बड़ा आधार है। हालांकि, हाल के वर्षों में पत्रकारों और विपक्ष पर दबाव जैसी शिकायतें भी सामने आती रही हैं। बावजूद इसके, इज़राइल की मान्यता के बाद सोमालीलैंड को पहली बार वैश्विक मंच पर वह चर्चा मिली है, जिसकी तलाश वह लंबे समय से कर रहा था। Israel recognise Somaliland

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कौन था हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी? इजरायल के दावे में लेबनान कमांडर ढेर

इजरायल ने अपने बयान में कहा कि लक्ष्य हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी थे जिन पर आरोप है कि वे बीते वर्षों से सीरिया-लेबनान बेल्ट में इजरायल के खिलाफ हमलों और कथित साजिशों को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

लेबनान में ड्रोन स्ट्राइक के बाद इजरायल का बड़ा दावा
लेबनान में ड्रोन स्ट्राइक के बाद इजरायल का बड़ा दावा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 12:08 PM
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Hussein Mahmoud Marshad Al-Jawhari : लेबनान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बीते गुरुवार सुबह एक ड्रोन स्ट्राइक ने इलाके में हलचल बढ़ा दी। इजरायली सेना का दावा है कि इस हमले में ईरान की कुद्स फोर्स का एक शीर्ष कमांडर मारा गया। इजरायली रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईडीएफ और शिन बेट ने मिलकर ऑपरेशंस यूनिट से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी को टारगेट किया। वहीं लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि सीरियाई सीमा की ओर जाने वाली सड़क पर एक वाहन पर ड्रोन से हमला हुआ, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इजरायल ने अपने बयान में कहा कि लक्ष्य हुसैन महमूद मर्शाद अल-जौहरी थे जिन पर आरोप है कि वे बीते वर्षों से सीरिया-लेबनान बेल्ट में इजरायल के खिलाफ हमलों और कथित साजिशों को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।

यूनिट 840 क्या है, जिसका नाम सामने आया?

इजरायली बयान में जिस ऑपरेशंस यूनिट का जिक्र किया गया, उसे यूनिट 840 के नाम से भी जाना जाता है। इजरायल का दावा है कि यही यूनिट इजरायल के खिलाफ गतिविधियों को “निर्देशित” करती है और इसके लिए जिम्मेदार मानी जाती है। सेना ने हमले से जुड़ा ड्रोन फुटेज जारी करने की बात भी कही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली पक्ष ने अल-जौहरी को एक “अत्यंत पेशेवर इंटेलिजेंस ऑपरेटिव” के तौर पर पेश किया और दावा किया कि उनके पास सामान्य तौर पर कुद्स फोर्स के कथित टेरर ऑपरेटिव्स की तुलना में अधिक उन्नत क्षमताएं थीं।

ईरान के लिए ‘बड़ा झटका’ क्यों बताया जा रहा है?

इस घटनाक्रम को ऐसे समय में अहम माना जा रहा है, जब इसी साल इजरायली हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मारे जाने के दावे सामने आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जून को हुए एक इजरायली हमले में आईआरजीसी (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी की मौत का दावा किया गया था। सलामी को इजरायल और अमेरिका समेत विरोधी देशों के प्रति सख्त रुख के लिए जाना जाता था। रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर किसी देश ने हमला किया तो तेहरान “कड़ा जवाब” देगा। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 13 जून से 23 जून के बीच चले संघर्ष के दौरान इजरायल-यूएस के संयुक्त हमलों में ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी और उप कमांडर-इन-चीफ जनरल गुलाम अली राशिद की मौत की भी खबरें सामने आई थीं। Hussein Mahmoud Marshad Al-Jawhari

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