Pakistan News : भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा से ही भारत की चिंता का कारण रहा है। पाकिस्तान भारत से टूटकर बना था उम्मीद थी कि पाकिस्तान छोटे भाई की तरह से मिलजुल कर रहेगा। देखते ही देखते पाकिस्तान भारत का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया और आज भी बना हुआ है। इस समय पाकिस्तान पूरी तरह कंगाल हो चुका है। इतना ही नहीं इस समय पाकिस्तान के हालात हर मामले में बदतर है। धीरे-धीरे स्थिति यह हो गई है कि पाकिस्तान बारूद के ढेर पर बैठा हुआ देश बन गया है। मंगलवार को पाकिस्तान में एक बड़ा आत्मघाती अटैक हुआ है । पाकिस्तान में हुए इस अटैक में कम से कम 6 चीनी नागरिक मारे गये हैं ।
पाकिस्तान और उसके हालात
पाकिस्तान के अंदरूनी हालात पर रोज काफी कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है। हाल ही में जाने-माने पत्रकार रविंद्र दुबे ने पाकिस्तान के पूरे हालात पर समीक्षा की है। हम यहां पाकिस्तान के वर्तमान हालात पर रविंद्र दुबे की पूरी समीक्षा को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। इस समीक्षा को पढक़र हर किसी को पाकिस्तान की ताजा स्थिति का पता चल जाएगा। कुल मिलाकर पाकिस्तान की स्थिति बेहद विकेट तथा चिंताजनक है।
विस्फोटक है पाकिस्तान के हालात
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रविंद्र दुबे लिखते हैं कि हाल ही में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी काम्प्लेक्स पर हुए एक जटिल हमले का मुकाबला करने में दो घंटे तक काफी परेशानियों से जूझना पड़ा। इस जंग में आठ हमलावर और दो सिपाही मारे गए। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। उन्होंने जोर देकर यह दावा किया कि पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस और मिलिटरी इंटेलिजेंस के ठिकाने उनके लड़ाकों के निशाने पर थे।
अभी दो हफ्ते पहले ही बलूच लिबरेशन फ्रंट ने केच इलाके के कोल्वा कस्बे में भी दस सैन्य वाहनों के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था। पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान में बलूच घुसपैठ बढ़ती जा रही है। घुसपैठिए हिम्मत के साथ सामने से हमला कर पाकिस्तानी सैन्य और पारा सैन्य संस्थानों की सुरक्षा की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ग्वादर का यह हमला बलूच समूहों की बढ़ती हुई आक्रामक क्षमता को ही इंगित करता है। यह हमला इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ग्वादर बंदरगाह में चीन का अच्छा-खासा निवेश है, ने और यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का एक नों महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। वस्तुत: इसे महज एक ले आतंकवादी हमला कह कर खारिज नहीं किया जा ही सकता। इस हमले ने पाकिस्तान के, खुद अपने देश में चीनी हितों की सुरक्षा के प्रयासों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
बीजिंग ने बारंबार अपने नागरिकों और निवेश की सुरक्षा के प्रयास बढ़ाए जाने पर जोर दिया है। कंगाल के हो चुके पाकिस्तान को इस चीनी निवेश की जबर्दस्त जरूरत है। भू-राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि बलूचिस्तान में अलगाववाद की आग इस कदर पनप चुकी है कि बारूद के मुहाने पर बैठा पाकिस्तान का यह प्रांत कभी भी विस्फोट कर सकता है। यह प्रदेश तेल, कोयला सोना, तांबा और गैस भंडारों सहित शुरू प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद पकिस्तान का सबसे गरीब और सबसे कम आबादी वाला इलाका है। इसका क्षेत्रफल भी सर्वाधिक है। यह हमला प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कुर्सी संभालने के चंद हफ्तों के भीतर हुआ है। पाकिस्तान में उग्रवाद के विशेषज्ञ और स्वतंत्र विश्लेषक फाखर ककाखेल के अनुसार, प्रतीकात्मक रूप से उक्त हमला महत्वपूर्ण है। है। उनके अनुसार, इस हमले से अखबारी सुर्खियां बनीं और यही बलूच घुसपैठिए में चाहते भी थे। वे यह संदेश देना चाहते थे कि खासे सुरक्षा इंतजामों के बावजूद वे अपने मकसद में से कामयाब रहे। ,,,,एक अन्य स्वतंत्र विश्लेषक किया बलोच का कहना है कि हमला पाकिस्तान के पुख्ता सुरक्षा इंतजामों से लैस शहर के हाई सिक्योरिटी जोन में ह हुआ है। इस हमले से बलूच अलगाववादियों ने पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि चीन या किसी अन्य विदेशी दल के लिए निवेश के लिए ग्वादर बंदरगाह सुरक्षित नहीं है।
बात केवल पाकिस्तान द्वारा चीनी हितों की सुरक्षा बढ़ाने तक सीमित नहीं है। बलूच घुसपैठिए और….पाकिस्तानी तालिबान उस इलाके को निशाना बना रहे हैं, जहां से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा गुजर रहा है। विश्लेषकों के अनुसार, इस क्षेत्र की शांति उक्त गलियारे के पूरा होने की दिशा में एकमात्र हल है और यह तभी हो सकता है, जब सरकार बलूचिस्तान की जरूरतें पूरी करने के लिए बातचीत की शुरुआत करे, बजाय कड़ा रुख अख्तियार कर तनाव बढ़ाने के। यह संवाद बलूच युवकों के साथ शुरू किया जाना चाहिए। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि चीन अब खुद के सुरक्षाकर्मी रखने का प्रस्ताव दे सकता है, जिसे पाकिस्तान ने दो साल पहले खारिज कर दिया था। शुरुआती तौर पर बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे बलूच अलगाववादी समूह प्रांतीय संसाधनों में अपना हिस्सा मांग रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने पूरी आजादी के लिए आंदोलन छेड़ दिया। ईरान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान में उपेक्षा का इतिहास रहा है। वर्ष 1948 में पाकिस्तान ने भारत से अलग होते ही इस प्रांत पर कब्जा कर लिया था और अलगाववादी आंदोलन तभी से चला आ रहा है।Pakistan News
इसके अलावा, पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाएं काबुल में तालिबान सरकार बनने के बाद बढ़ गई हैं। इससे पाकिस्तान की यह उम्मीद भी खत्म हो गई है कि अफगानिस्तान में दोस्ताना सरकार बनने से आतंकवाद से निपटने में मदद मिलेगी। पाकिस्तान के सेंटर फॉर रिसर्च ऐंड सिक्योरिटी स्टडीज की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में पाकिस्तान में हुए 789 आतंकवादी हमलों और आतंकवाद विरोधी अभियानों में 1,524 लोग मारे गए और 1,463 लोग घायल हुए।
पाकिस्तान में हुआ आत्मघाती अटैक
मंगलवार को खबर आई है कि पाकिस्तान में बहुत बड़ा आत्मघाती हमला हुआ है। इस आत्मघाती हमले में 12 चीनी नागरिक मारे गए हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में एक सुसाइड अटैक में छह चीनी नागरिक मारे गए हैं. बताया जा रहा है कि हमलावर ने उनके काफिले को निशाना बनाया था. स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के शांगला में एक आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए बम विस्फोट में छह चीनी नागरिकों की मौत हो गई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हमलावरों ने नवल एयरबेस पर हमला किया है, जिसमें एक सैनिक की भी मौत हुई है. बताया जा रहा है कि यह एयरबेस चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए महत्वपूर्ण है.पाकिस्तान में आए दिन आतंकी हमले होते हैं. इससे पहले 20 मार्च को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों ने ग्वादर पोर्ट को निशाना बनाया था. पाकिस्तान इस पोर्ट को चीन की मदद से डेवलप कर रहा है, जिसका स्थानीय बलूच आबादी विरोध करती रही है. बीएलए या बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा चीनी नागरिकों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. बलूचिस्तान में दशकों से स्थानीय आबादी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रही है, लेकिन बावजूद इसके चीन ने यहां भारी मात्रा में निवेश कर रखा है. मसलन, चीन पाकिस्तान से अपने देश तक एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है, जिसमें ग्वादर पोर्ट समेत आसपास के इलाके का विकास किया जाना है. बलूचिस्तान का एक बड़ा हिस्सा इसी CPEC प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लड़ाके विरोध करते हैं और आए दिन हमलो को अंजाम देते हैं।
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