Sunday, 30 March 2025

Baisakhi 2023- फसल उत्सव और सिख नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है ‘बैसाखी’, जाने इस दिन का इतिहास और महत्व

Baisakhi 2023- 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार को बैसाखी का पर्व है। आमतौर पर यह त्यौहार वैशाख महीने के पहले दिन…

Baisakhi 2023- फसल उत्सव और सिख नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है ‘बैसाखी’, जाने इस दिन का इतिहास और महत्व

Baisakhi 2023- 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार को बैसाखी का पर्व है। आमतौर पर यह त्यौहार वैशाख महीने के पहले दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से फसल उत्सव और सिख नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। वैशाखी के पर्व को ‘वैसाखी’ या ‘बसोरा’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत के उत्तरी भाग में इस पर्व का खास महत्व है। यह त्यौहार मुख्य रूप से सिख धर्म के लोग मनाते हैं।

बैसाखी पर्व का इतिहास और महत्व –

सिख धर्म का पवित्र पर्व बैसाखी खालसा के गठन का प्रतीक है। साल 1699 में बैसाखी के दिन ही गुरु गोविंद सिंह ने खालसा की स्थापना की थी। इस दिन सिखों के धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह ने सभी जातियों के भेदभाव को समाप्त कर सभी मनुष्य को समान घोषित किया। इसके साथ ही इस दिन शाश्वत मार्गदर्शक और सिख धर्म की पवित्र पुस्तक की घोषणा की गई। वैशाखी पर्व को सिख धर्म में नव वर्ष के रूप में और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिख और हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। जबकि पश्चिम बंगाल में यह दिन बंगाली नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

बैसाखी पर्व का धार्मिक व भौगोलिक महत्व –

धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाखी के दिन महर्षि व्यास ने चारों वेदों को संपूर्ण किया था तथा इसी दिन राजा जनक ने यज्ञ करके अष्टावक्र से ब्रह्मा ज्ञान की प्राप्ति की थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा गोदावरी और कावेरी जैसे धार्मिक नदियों में स्नान कर दान पुण्य करने का बेहद खास महत्व है।

भौगोलिक महत्व के अनुसार वैशाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं यही वजह है कि इस दिन को मेष संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के कारण इसे नए सौर वर्ष की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है इस पर्व का नाम वैशाखी इस वजह से पड़ा क्योंकि इसी दिन सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करता है।

किसानों का खास पर्व है बैसाखी (Baisakhi)-

बैसाखी का पर्व किसानों के लिए बेहद खास है। मार्च और अप्रैल महीने में रबी के फसल की कटाई होती है। और इस नई फसल की खुशी और उत्साह के रूप में यह पर्व सेलिब्रेट किया जाता है।

कैसे मनाते हैं बैसाखी का त्यौहार –

बैसाखी के दिन सुबह जल्दी उठना इत्यादि कर नए वस्त्र पहनकर गुरुद्वारे, मंदिर में पूजा- अर्चना कर इस पर्व को मनाने की शुरुआत होती है। गुरुद्वारे में भक्तों को ‘कड़ा प्रसाद’ नामक एक विशेष मिठाई वितरित की जाती है। जगह-जगह लंगर का आयोजन किया जाता है। पुरुष-महिलाएं और युवा पंजाबियों के पारंपरिक नृत्य भांगड़ा और गिद्दा के जरिए अपनी खुशी का इजहार करते हैं। घरों में तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाए जाते हैं।

इसके अलावा जगह-जगह बैसाखी का मेला भी लगता है।

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