Monday, 20 May 2024

वृश्चिक संक्रांति के साथ आरंभ हुआ सूर्य उपासना का महापर्व छठ 

वृश्चिक संक्रांति के साथ ही आरंभ हो रहा है सूर्य उपासना का पर्व छठ. आज 17 नवंबर के दिन जहां छठ पर्व का आरंभ हो गया है

वृश्चिक संक्रांति के साथ आरंभ हुआ सूर्य उपासना का महापर्व छठ 

Chhath Puja 2023 वृश्चिक संक्रांति के साथ ही आरंभ हो रहा है सूर्य उपासना का पर्व छठ. आज 17 नवंबर के दिन जहां छठ पर्व का आरंभ हो गया है वहीं आज ही के दिन सूर्य का तुला राशि से निकल कर वृश्चिक राशि में संक्रमण होगा. इस कारण से इस दिन को वृश्चिक संक्रांति के रुप में भी मनाया जाएगा. संक्रांति का समय सूर्य के एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में जाने का समय होता है.

वैसे तो सामान्य रुप से हम सभी लोग मकर संक्रांति को जानते हैं किंतु इसी की भांति ही हर माह में सूर्य एक राशि से निकलता है ओर दूसरी राशि में प्रवेश करता है. सूर्य का संक्रमण ही राशि बदलाव का समय अत्यंत महत्व रखता है क्योंकि इस घटना का प्रभाव प्रकृति एवं जीव जन्तुओं सभी पर ही पड़ता है. संक्रमण काल को अत्यंत संवेदनशील समय के रुप में भी जाना गया है. अत: धार्मिक परंपराओं के अनुसार स्नान जप दान करने का महत्व विशिष्ट रुप से बताया गया है.

संक्रांति के साथ छठ पूजा का आरंभ विशेष फलदायी

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छठ पर्व जो सूर्य की पूजा का विशेष समय होता है वह संक्रांति काल के समय पर आरंभ होने के कारण अत्यंत ही विशिष्ट बन जाता है. छठ की महत्ता एवं उसकी विशेषता के विषय में पौराणिक कथाओं में उल्लेख प्राप्त होता है. छठ पर्व का संबंध महाभारत कालीन समय से भी प्राप्त होता है.

कर्ण द्वारा की गई सूर्य उपासना का अर्थ इस पर्व की सार्थकता को स्पष्ट करता है. संक्रांति के साथ ही सूर्य की पूजा का प्रभाव कई गुना शुभ फलों को देने वाला होता है. आइये जानते हैं सुर्य का वृश्चिक राशि में गोचर किस समय होगा और कैसे जप दान इत्यादि कार्यों से मिलता है इस दिन का विशिष्ट लाभ

वृश्चिक संक्रांति महापुण्य काल महत्व 

वृश्चिक संक्रान्ति 17 नवम्बर 2023 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल प्रात:काल से ही आरंभ होगा जो संध्या काल तक व्याप्त रहने वाला है. वृश्चिक संक्रान्ति  का प्रभाव जीवन में शुभता एवं सकारात्मकता प्रदान करने वाला होगा. वृश्चिक राशि में गोचर होने के कारण यह संक्रांति इस राशि के लोगों के लिए अत्यंत अनुकूलता प्रदान करने वाली होगी. राज एवं प्रजा के हितों की सुरक्षा होगी. धन धान्य की शुभता प्राप्त होगी. शुक्रवार के दिन होने पर संक्रांति का प्रभाव रस से संबंधित पदार्थों के लिए अनुकूल रहने वाला है.

सूर्य संक्रांति व छठ पूजा पर सूर्य उपासना का महत्व 

सूर्य संक्रांति एवं छठ महोत्सव का साथ होना बेहद शुभ स्थिति को दर्शाता है. इस समय किया जाने वाला पूजा कार्य सभी प्रकार के पापों के शमन को दर्शाता है. जीवन में शुभ गुणों का आगमन होता है. छठ एवं संक्रांति पर्व सूर्य देव को समर्पित होते हैं. माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करना बहुत सकारात्मक होता है. साथ ही इस दिन किया जाने वाला दान, जप एवं पूजन सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर देने वाला होता है.
एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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