Chaitra Navratri 2023 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नौ रातें नवरात्रि के रुप में पूजी जाती हैं. इस वर्ष नवरात्रि का नवम दिन 30 मार्च 2023 को बृहस्पतिवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन माता के शक्ति पूजन का आखिरी दिन होगा. नवरात्रि का नौवां दिन देवी सिद्धदात्री के पूजन द्वारा पूर्ण होता है. देवी सिद्धिदात्री पूजन द्वारा समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है. नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा को समर्पित है. सिद्धि शब्द का अर्थ है अलौकिक शक्ति और धात्री का अर्थ है उपहार प्रदान करने वाली शक्ति, इसलिए, मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी दिव्य शक्तियां प्रदान करती हैं.
Chaitra Navratri 2023 :
“या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।”
30 मार्च के दिन शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर कन्या पूजन का समय प्रात:काल से 12:25 पर कन्यापूजन अनुकूल समय होगा.
माँ सिद्धिदात्री शक्ति कथा
मां सिद्धिदात्री की कथा का आरंभ ब्रह्मांड की गहरी शून्यता से आरंभ होता है, देवी ने अपनी मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड का निर्माण किया. त्रिमूर्ति का निर्माण करने के पश्चात उत्पत्ति, सृजन एवं विनाश की शक्तियां उन्हें प्रदान की उसके पश्चात भगवन शिव ने शक्ति को उन्हें पूर्णता प्रदान करने के लिए कहा. शक्ति से एक और देवी की रचना निर्मित हुई जिन्होंने भगवान शिव को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान कीं. यह देवी जिनमें भगवान शिव को इन सिद्धियों को प्रदान करने की क्षमता थी, वे माँ सिद्धिदात्री कहलायीं. ब्रह्मा जी ने मां सिद्धिदात्री से प्रार्थना की और देवी ने उनकी मदद करने हेतु भगवान शिव के आधे शरीर को एक महिला के शरीर में परिवर्तित कर दिया. भगवान ब्रम्हा अब शेष ब्रह्मांड के प्राणियों को बनाने में सक्षम थे. वह माँ सिद्धिदात्री ही थीं जिन्होंने ब्रह्मांड के निर्माण में भगवान ब्रह्मा की मदद की और भगवान शिव को भी पूर्णता प्रदान की.
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मां सिद्धिदात्री स्वरुप
माँ सिद्धिदात्री का स्वरुप कमल अथवा सिंह पर विराजमान दिखाया गया है. उनकी चार भुजाएं होती हैं, जिनमें देवी ने शंख, गदा, कमल और चक्र धारण किया है. नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा करने वाली मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि को प्रदान करने वाली होती हैं. ऐसा देवी अज्ञानता को नष्ट करने वाली देवी माना गया है.
सिद्धिदात्री पूजन महत्व
माता के इस स्वरुप के विषय में अनेक ग्रंथों में कथाएं मौजुद हैं जिसके अनुसार भगवान शिव ने भी देवी से सिद्धियां प्राप्त की थी, जिसके कारण वह अर्धनारीश्वर कहलाए. माँ सिद्धिदात्री का पूजन, ध्यान, स्तोत्र हवन करने से समस्त चक्र जाग्रत होते चले जाते हैं और भक्त की साधना भी पूर्णता को पाती है. इस दिन किया जाने वाला पूजन भी कन्या पूजन का विशेष समय होता है. नवरात्रि के दो दिन अष्टमी और नवमी के रुप में कन्या पूजन का समय भी होता है.
इस समय पर शक्ति की विभिन्न शक्तियों का पूजन करके साधना के प्रत्येक पड़ाव से गुजरते हुए नवरात्रि के अंतिम पड़ाव को नवम दिन पर पूर्णिता प्राप्त होती है. देश भर में नवरात्रि का त्योहार भक्ति एवं शृद्धा के साथ मनाया जाता है. इस समय पर शक्ति स्थलों में भी माता का पूजन होता है. यह विजय, आनंद, प्रसन्नता और उत्साह का पर्व है. श्रद्धालु अलग-अलग तरह से इस पर्व को मनाते हैं. नवरात्रि के दौरान, हम देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं. यह मां शैलपुत्री की पूजा से शुरू होता है और सिद्धिदात्री पज पर समाप्त होता है. माता का पूजन सिद्धि प्रदान करने के साथ साथ ज्ञान का आशीर्वाद भी देता है. जीवन में आध्यात्मिक उन्नती को पाने के लिए भी देवी पूजन अनुपम रहता है.
माँ सिद्धिदात्री कवच
ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो।
हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥