Sunday, 19 May 2024

रूप चतुर्दशी के दिन क्यों लगाया जाता है विशेष उबटन ?

रुप चतुर्दशी का महत्व : इस दिन स्नान के साथ साथ शरीर पर उबटन एवं तेल लगाने का विशेष महत्व बताया जाता है

रूप चतुर्दशी के दिन क्यों लगाया जाता है विशेष उबटन ?

Roop Chaturdashi 2023 : रूप चतुर्दशी सुंदर देह और स्वास्थ्य को पाने का विशेष दिन है । कार्तिक माह में आने वाली चतुर्दशी तिथि कई नामों से पूजनीय रही है. इस दिन को रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन मान्यताओं के अनुसार कई रुपों में विशेष होता है. इस दिन पर सौंदर्य की प्राप्ति का सुख भी प्राप्त किया जा सकता है. रुप चतुर्दशी के समय को आयुर्वेद में भी विशेष माना गया है. इस दिन रुप की प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन स्नान के साथ साथ कुछ कार्यों को करने से जीवन में आरोग्य का सुख भी प्राप्त होता है.

रुप चतुर्दशी क्यों है नरक चौदस

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर जहां भगवान शिव का पूजन होता है वहीं इस दिन पर यम देवता का पूजन भी किया जाता है. यम देव के निमित्त दीपक जलाया जाता है पूजा की जाती है अत: इस दिन को इस रुप में यम चतुर्दशी के रुप में भी मनाया जाता है. यह दिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अपनी मान्यताओं के आधार पर अलग रंग लिए दिखाई दे सकता है किंतु इसकी मूल अवधारणा इसकी शुभता में ही निहित दिखाई देती है.

जहां इस दिन श्री कृष्ण भगवान का पूजन होता है क्योंकि उनके प्रयासों द्वारा नरकासुर का अंत हो पाया है. ऎसे में यह दिन नरक चतुर्दशी के रुप में पूजनीय बन जाता है. इस दिन पर सभी प्रकार के कष्टों की समाप्ति होती है. भगवान श्री विष्णु का स्वरुप पूजने से भक्तों को सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति भी प्राप्त होती है. यह दिन सौभाग्य को प्रदान करने वाला होता है. धनतेरस के अगले दिन आने वाली रुप चतुर्दशी का समय स्वास्थ्य सुख को प्रबल बनाता है.

रुप चतुर्दशी का महत्व : इस दिन स्नान के साथ साथ शरीर पर उबटन एवं तेल लगाने का विशेष महत्व बताया जाता है

रुप चतुर्दशी के दिन व्यक्ति कांतिमय काया को पाने में सक्षम बनता है. इस दिन स्नान के साथ साथ शरीर पर उबटन एवं तेल लगाने का विशेष महत्व बताया जाता है. विशेष तिथि ग्रह स्थिति के कारण ही ये समय इन कार्यों हेतु उत्तम माना गया है. इस शुभ दिन पर कई तरह के उपचार भी होते हैं जिनमें देह को मजबूत एवं बलिष्ठ बनाना भी शामिल होता है. इस दिन विशेष रुप से बनाए गए तरह – तरह के उबटन का उपयोग करते हैं जिनके द्वारा स्वास्थ्य के साथ साथ शरिर की कांति भी बढ़ती है. इस दिन पर चंदन केसर तिल हल्दी इत्यादि को विशेष रुप से उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इस दिन प्रात:काल समय पर स्नान में अभ्यंग स्नान का महत्व विशेष होता है जिसमें कुछ विशेष जड़ी बुटियों का उपयोग होता है.
एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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