Sunday, 17 November 2024

पैदा होने से लेकर मरने तक आपका अनोखा साथी, सबके लिए जरूरी

Tulsi Ka Mahatva : पैदा होने से लेकर मरने तक हमारे जीवन में अनेक लोग, फल, सब्जी, जीव जन्तु तथा…

पैदा होने से लेकर मरने तक आपका अनोखा साथी, सबके लिए जरूरी

Tulsi Ka Mahatva : पैदा होने से लेकर मरने तक हमारे जीवन में अनेक लोग, फल, सब्जी, जीव जन्तु तथा पेड़ पौधे आते है। इनमें आपका सबसे पक्का हितैशी साथी यदि है और हो सकता है, तो उसका नाम है तुलसी। प्रसिद्ध संत शिवयोगी रघुवंशपुरी जी महाराज का कहना है कि हर व्यक्ति के जीवन में पैदा होने से लेकर मरने तक तुलसी पत्र से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नही है। सबका साथी है तुलसी।

Tulsi Ka Mahatva

तुलसी है भगवान का वरदान

परम पिता परमात्मा कहें, अथवा प्रकृति कहें वह परमशक्ति सब पर मेहरबान रहती है। उसी परम शक्ति को हम भगवान कहते हैं। भगवान ने मानवता को सुखी रखने के अनेक उपाय कर रखे हैं। उन्हीं उपायों में भगवान के वरदान के रूप में हमें तुलसी का पौधा मिला है। तुलसी कोई सामान्य पौधा नहीं है। असल में तुलसी पूरी मानवता को दिया गया भगवान का वरदान है। हम यहां विस्तार से आपको बता रहे हैं कि जिसके घर-आंगन में तुलसी का पौधा रहता है उस घर में धन-दौलत व खुशियां कैसे मौजूद रहती हैं।

तुलसी का महत्व

एक समय था जब हर सनातनी हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अपनी पूरी गरिमा के साथ लहलहाता था। घर की महिलाएं प्रात: काल स्नान कर तुलसी माता को जल अर्पित करती एवं संध्या के समय तुलसी के चौरे पर दिया जलाती। हिंदू संवत्सर का एक पूरा माह कार्तिक तो तुलसी पूजा के लिए ही विशेष रूप से जाना जाता है। तुलसी की पूजा एक धार्मिक कर्तव्य था क्योंकि हमारे ऋषियों एवं मनीषियों ने यह जान लिया था कि तुलसी ईश्वर प्रदत्त अमृत है।

यह ऐसी जड़ी बूटी है जो मनुष्य के शरीर में उत्पन्न होने वाले अनेक रोगों का न केवल उपचार करती है बल्कि इसके निकट खड़े होने ,स्पर्श करने, रोपने एवं जल चढ़ाने मात्र से अनेक रोगों से बचाव हो जाता है। तुलसी मैया वातावरण को शुद्ध कर आक्सीजन प्रदान करती हैं। ऑक्सीजन ही तो प्राण वायु है जिसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। तुलसी रोगाणु नाशक औषधि है, अत: तुलसी मैया की पूजा अर्चना का विधान किया गया ताकि पवित्र भारत भूमि में प्रत्येक घर के आंगन में तुलसी का बिरवा फले फूले।

तुलसी के प्रकार

तुलसी दो प्रकार की होती है श्वेत व श्याम ,जिन्हें आमजन की भाषा में रामा व श्यामा तुलसी कहा जाता है ।रामा तुलसी का ही प्रयोग पूजा में किया जाता है किंतु उपचार की दृष्टि से श्यामा तुलसी अधिक लाभ देने वाली मानी जाती है।

तुलसी की महिमा का वर्णन वेदों में भी किया गया है तुलसी के अनेक नाम है । तुलसी के नाम उसके गुणो के आधार पर रखे गए हैं ।तुलसी के हमारे वैदिक ग्रन्थो में नाम इस प्रकार पाए जाते हैं-

1-कायस्था -क्योंकि यह शरीर को दृढ़ बनाती है

2-सरला-इसकी उपलब्धता आसान है।

3-पूत पत्री -इसके पत्ते अत्यंत शुद्ध एवं पवित्र होने के कारण इसे पूतपत्री भी कहा जाता है ।

4-तीव्रा-क्योंकि यह अत्यंत तीव्र गति से प्रभाव डालती है।

5-दैत्याघ्नि-क्यों कि यह रोग के कारकों का विनाश करती है।

6-सुरसा-क्यों की यह रस ग्रंथियां को स्फूर्तिदायक बनाती है।

7- पावनी-शुद्ध करती है पावन बनाती है।

8-सुलभा-कोमलता व पुष्टता प्रदान करती है।

9-देव दुन्दुभि-देवताओं के समान गुणो से युक्त है।

10-हरी प्रिया-तुलसी हरि प्रिया नाम से भी प्रसिद्ध है ।हमारे घर में जब तुलसी की पूजा होती थी तो एक आरती गाई जाती थी।

तुलसी की आरती

नमो नमो तुलसा महारानी

कौन तेरो बाप कौन महतारी

किसकी हो तुम अधिक पियारी

तुलसी का जवाब है कि-

धर्म मेरो बाप मेघ महतारी,

शालिग्राम की अधिक प्यारी ।

और

56 भोग धरे प्रभु आगे,

बिन तुलसी प्रभु एक न मानी।

नमो नमो तुलसा महारानी।

तुलसी सर्दी कफ एवं बुखार में परम उपयोगी है

आईए अब बात करते हैं जुकाम खांसी एवं बुखार में तुलसी से उपचार कैसे करें-

जुकाम : छोटी इलायची (हरी इलायची )के कुल दो दाने और एक ग्राम तुलसी की बौर( मंजरी) डालकर काढ़ा बनाकर चाय की तरह दूध एवं चीनी मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम जड़ से ठीक हो जाता है इस प्रयोग को दिन में 4 से 5 बार कर सकते हैं।

दालचीनी : (सिनेमन) सोंठ (अदरक को सुखाकर बनाया जाता है एवं किराने की दुकान में आसानी से उपलब्ध हो जाता है) व हरी इलायची,(छोटी इलायची) तीनों एक-एक ग्राम व तुलसी दल 6 ग्राम इन्हें पीसकर चाय बनाए और एक-एक घूंट पिए।दिन में ऐसी चाय चार बार भी ले सकते हैं।

3-यदि जुकाम के साथ बुखार भी हो तो चाय के अलावा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर दिन में चार बार चाट ले। जुकाम के कारण होने वाला ज्वर शांत हो जाएगा।

Tulsi Ka Mahatva

खांसी –

सूखी खांसी हो तो तुलसी के बीज, अदरक और प्याज समान मात्रा में लेकर कूटें और मिश्रण में शहद मिलाकर उपयोग करें। यदि सूखी खांसी के साथ छाती में घर-घर हो तो तुलसी के बीज और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस ले इसकी तीन-तीन ग्राम मात्रा पानी के साथ लें।24 घंटे में ही खांसी ठीक हो जाएगी। यदि खांसी के साथ-साथ कफ भी आ रहा हो तो श्याम तुलसी का रस एक एक चम्मच सुबह दोपहर और रात को पिए। काली तुलसी का रस और मधुमक्खी का शहद मिलाकर चाटने से एक सप्ताह में किसी भी प्रकार की खांसी ठीक हो जाती है।

तुलसी की सूखी पत्तियों का चूर्ण शहद के साथ लेकर चाटने से भी खांसी और सीने से होने वाले घर-घर की आवाज ठीक हो जाती है। काली मिर्च और तुलसी के पत्ते समान मात्रा में लेकर पीस ले और उनकी छोटी-छोटी मूंग के दाने के बराबर गोलियां बना ले। दिन भर में चार-पांच बार चूसे। इससे कुकर खांसी भी ठीक हो जाती है। एक चम्मच तुलसी के रस में दो चम्मच शहद और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से खांसी और बुखार दोनों में आराम होता है। तुलसी की चाय बनाकर पिए आपको हमेशा स्फूर्ति का अनुभव होगा। अगर आप चाय की पत्ती की जगह तुलसी दल को सुखा कर रख ले और उसी की चाय पिए तो कफ ,सर्दी ,जुकाम, थकान, बुखार या सर दर्द आपके पास भी नहीं भटकेंगे।

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