Friday, 3 May 2024

Hindi Kavita – किस दुनिया से आये हो तुम

Hindi Kavita – किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने जूठे जल से किया आचमन जप टूटी…

Hindi Kavita – किस दुनिया से आये हो तुम

Hindi Kavita –

किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने

जूठे जल से किया आचमन
जप टूटी बैजंती माला
पीड़ाओं को कण्ठ लगाकर
तुलसी की मानस कर डाला
जीवन की सूनी वेदी पर प्राणों का मंगल-घट धरने
किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने

पुण्य-नेह का कुंकुम डाला
धूलिकणों से धुले माथ पर
अक्षय वर की पूंजी धर दी
वरदानों से रिक्त हाथ पर
अनपूजी मूरत पर बनकर श्रद्धा के सुमनों-सा झरने
किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने

गंगा-यमुना-सरस्वती सब
अलग-थलग होकर बहती थीं
अवचेतन होकर आतप में
मरुथल-सी निशि-दिन दहती थीं
संवेगों का तर्पण देकर श्वाँसों को संगम-तट करने
किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने

रीत चुके नयनों की सीपी-
में स्वप्नों के मोती भरके
मन की मुर्झाती काया पर
केसर का आलेपन करके
राधा नागर सा-मन लेकर मेरी भव बाधायें हरने
किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने

आराधना शुक्ला

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