Friday, 3 May 2024

काश ए खुदा मैं भी एक पंछी होती

Hindi Kavita: (काश ए खुदा मैं भी एक पंछी होती)   काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती, कि…

काश ए खुदा मैं भी एक पंछी होती

Hindi Kavita:

(काश ए खुदा मैं भी एक पंछी होती)

 

काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती,

कि काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती,

काले-गोरे का कोई फर्क ना होता,

अपने पंखो को खोलकर ऊंचे आसमानो में आज़ादी से उड़ पाती।

किसी रीति-रिवाज़ का कोई खौफ़ ना होता,

मेरा कोई धर्म या मज़हब ना होता,

मुझे जाति,धर्म के नाम पर डराया या धमकाया ना जाता,

ऊँचे आसमानो में उड़कर प्रकृति का आनंद ले पाती,

काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती,

कि काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती।

अमीरी-गरीबी में कोई फर्क़ ना होता,

महल या झोपड़ में अंतर ना होता,

तिनकों का एक छोटा सा आशियाना मेरा भी होता।

हिन्दू,मुस्लिम,सिख़,ईसाइ का ज्ञान ना होता,

बिना डरे आसमानो में उड़कर इस खूबसूरत सी ज़िन्दगी का आनंद ले पाती।

काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती,

कि काश ए खुदा मैं भी एक पन्छी होती..।

…असमीना…

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