Friday, 3 May 2024

Hindi Kavita – पहचान

Hindi Kavita – जब होती हूँ पंख उड़ जाते हो थामकर मुझे नीले विस्तार में जब होती हूँ ख़्वाब भर…

Hindi Kavita – पहचान

Hindi Kavita –

जब होती हूँ
पंख
उड़ जाते हो थामकर मुझे
नीले विस्तार में
जब
होती हूँ ख़्वाब
भर लेते हो अपनी आँखों में
जब
होती हूँ बूँद
सागर बन समेट लेते हो
अपने आग़ोश में
जब
होती हूँ सुबह
भर देते हो हुलसते फूल
मेरी हथेलियों में
पर जब होती हूँ मैं
अपनी पहचान
तोड़ लेते हो
मुझसे
पहचान के सारे नाते…।

अनुप्रिया

—————————————

यदि आपको भी कहानी, कविता, गीत व गजल लिखने का शौक है तो उठाइए कलम और अपने नाम व पासपोर्ट साइज फोटो के साथ भेज दीजिए। चेतना मंच की इस ईमेल आईडी पर-  [email protected]

हम आपकी रचना को सहर्ष प्रकाशित करेंगे।

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

ग्रेटर नोएडा नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Related Post