अँधेरे में इलाज़
अँधेरे में इलाज़ : सरकार के लाख दावो के बावजूद भी मोतिहारी के सदर अस्पताल की व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। गत दिनों फिर से एक मामला सामने आया है जिसमे अस्पताल में आई एक प्रसूता का ऑपरेशन महिला चिकित्सक को मजबूरन टोर्च की रोशनी में ही करना पड़ा। राहत की बात यह रही कि जच्चा बच्चा दोनों ही ठीक और स्वस्थ है । टोर्च की रोशनी में ऑपरेशन की बात जब सीएस अंजनि कुमार से की गई तो उन्होंने पहले सफाई दी और फिर जाचँ करने की बात करते हुए सवाल को टाल दिया।
आखिर क्यों करना पड़ा टोर्च की रोशनी में ऑपरेशन ?
सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक बिहार के जिले मोतिहारी के सदर अस्पताल के प्रसूति वार्ड में एक गर्भवती महिला भर्ती थी। मेडिकल कारणों के वजह से महिला का ऑपरेशन जल्द से जल्द होना ज़रूरी था और ऐसी आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में ना तो बिजली थी और ना ही जेनरेटर चल रहा था। यहाँ तक की इनवर्टर भी काम नहीं कर रहा था। महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी महिला की ऐसी दशा देखते हुए वहाँ की महिला चिकित्सक डॉ. सुरुची स्मृति ने मजबूरी में आकर महिला का ऑपरेशन ,टॉर्च की रोशनी में ही करने का निर्णय लिया। गनीमत यह रही की ऐसी परिस्थिति में भी महिला चिकित्सक सफलता पूर्वक ऑपरेशन करने में कामयाब रही। ऑपरेशन के बाद महिला और नवजात दोनों ही सामान्य और स्थिर है।
लाख दावों के बावजूद भी नहीं सुधर रही अस्पताल की हालत
पर अब सवाल यह उठता है की तमाम सरकारी दावों के बाद भी अस्पताल का आखिर यह हाल क्यों है? क्या इस टॉर्च की रोशनी शासन और प्रशासन की आँखों पर नहीं पड़ रही? यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी है पर अस्पताल प्रशासन हर बार व्यवस्था ठीक करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लेता है। लेकिन हर बार यह सुधार की बातें हवा हवाई हीं साबित होती है।
अस्पताल प्रबन्धक कौशल दुबे ने क्या कहा
फिलहाल इस मामले में अस्पताल प्रबन्धक कौशल दुबे ने बताया कि कुछ तकनिकी खराबी के वजह से बिजली बाधित हुई थी पर जल्द ही सुधार कर लिया गया । साथ ही ऐसी परिस्थिति दुबारा ना आये इसलिए बेहतर बिजली व्यवस्था का वैकल्पिक इंतज़ाम भी करा दिया गया है।
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