G20 Stories:तनुश्री त्रिवेदी/ कुछ तो बात है जिसकी परदेदारी है….. जी-20 के लिए दिल्ली का कोना-कोना पूरी सुंदरता और चकाचौंध के साथ G20 के विदेशी मेहमानों का स्वागत कर रहा है। वही दिल्ली की सड़कों पर जगह-जगह लगे हरे पर्दे भी आप खूब देख रहे होंगे । आखिर यह हरे परदे लगाएं क्यों गए हैं, क्या है इन हरे पर्दों के पीछे, क्या है वह बात जिसे सबकी नजरों से छुपाया जा रहा है।आइए G20 Stories में हम आपको बताते हैं कि आखिर जी-20 के इस खूबसूरत और भव्य आयोजन में यह हरे परदे आखिर लगाए क्यों गए हैं? दरअसल इन हरे पर्दों के पीछे दिल्ली की गरीबी स्लम बस्तियों और बदरंग हकीकत को छुपाया गया है। जी हां राजधानी दिल्ली की यह वो तस्वीर है जिसे सरकार भूल से भी विदेशी मेहमानों की नजरों के सामने लाना नहीं चाहती
वसंत विहार स्थित स्लम क्षेत्र “कुली कैंप” पर्दे के पीछे छुपाया गया
जहाँ पूरा देश G20 की सजावट की बात कर रहा है वहीँ टीम चेतना मंच पहुंची साउथ दिल्ली के वसंत विहार स्थित स्लम क्षेत्र कुली कैंप की पर्दे के पीछे छुपाई गयी झुग्गीयों के लोगों से बात करने। जहाँ पूरी दिल्ली में हरे पर्दों पर बड़े बड़े G20 के पोस्टर्स लगे हैं वहीँ G20 शुरू होने के 10 दिन पहले से उन हरे पर्दों के पीछे झुग्गी झोपड़ियों को छुपा दिया गया है या फिर हम यह कह सकते हैं की झोपड़ियों को छुपाने के लिए ही हरे परदे लगाए गए हैं। लोगों से बात चीत के दौरान उन्होंने बताया किस तरह से उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही है और कैसे सामान लेने के लिए बाहर निकलने पर पुलिस प्रशासन उनसे दुर्व्यवहार करता है, उनको बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है जिसके लिए उन्होंने 1 हफ्ते का राशन पहले से खरीद के रख लिया है।
10 दिन पहले से हरे पर्दों के पीछे झुग्गी झोपड़ियों को छुपा दिया गया
उनका कहना है कि सरकार ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए झुग्गिओं को छुपाया है। बात चीत के दौरान लोगों ने बताया की इन गलियों के मजदूरों को काम के लिए भी बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है न ही कोई सफाईकर्मी स्लम क्षेत्र में सफाई करने पहुंच रहा है।
बेज़ुबान जानवरों को भी हटाया
देश में G20 समिट के चलते ये दुर्व्यवहार और मनमानी सिर्फ गरीबों के साथ ही नहीं बल्कि बेज़ुबान जानवरों के साथ भी की जा रही है। दिल्ली से कई वीडियो सामने आये हैं जिसमे साफ़ नज़र आरहा है किस तरह MCD जानवरों खासकर कुत्तों पर क्रूरता कर रही है और कैसे तारों से बांध कर उन्हें घसीटकर Animal Sterlization Centre ले जाया जा रहा है, जहाँ उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
एक तरफ जहां G20 समिट का थीम है वसुधैव कुटुंबकम यानि एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य वहीँ दूसरी तरफ गरीबों और जानवरों को समाज से हटाने की कोशिश की जा रही है। झुग्गी में रहने वाले लोग और बेज़ुबान जानवर क्या हमारा परिवार नहीं है या फिर उनकी गिनती हमारे समाज में नहीं होती ? क्या झुग्गियां दिखने या सड़क पर कुत्तों के दिखने से देश की शान कम हो जाएगी ? या फिर अन्य देशों में जानवर सड़कों पर नहीं घूमते और वहां गरीब बस्ती नहीं होती ? जितनी सतर्कता से गरीब बस्तियों को छुपाया गया है उससे ये स्पष्ट है की सरकार अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश कर रही है।
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