Thursday, 28 November 2024

विश्व डाक दिवस: भारतीय डाक सेवा का रहा है शानदार इतिहास

नई दिल्ली: साल 1874 में आज से यूनिवर्सल पोस्टल (UNIVERSAL POSTAL) यूनियन का गठन हुआ था। इसके लिए स्विट्जरलैंड की…

विश्व डाक दिवस: भारतीय डाक सेवा का रहा है शानदार इतिहास

नई दिल्ली: साल 1874 में आज से यूनिवर्सल पोस्टल (UNIVERSAL POSTAL) यूनियन का गठन हुआ था। इसके लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर (SIGNATURE) किया था। वर्ष 1969 में जापान के टोक्‍यो में हुए सम्मेलन के दौरान ‘विश्व डाक दिवस’ के रूप में 9 अक्‍टूबर को मनाए जान जाने की घोषणा हुई थी।

आजादी के दौरान दिल्ली की डाक सेवाओं का प्रमुख पंजाब का पोस्टमास्टर (POSTMASTER) जनरल (डाक महानिदेशक) माना जाता था और मुख्यालय लाहौर में मौजूद था। दिसंबर 1947 में भी दिल्ली (DELHI) को स्वतंत्र कमान नहीं मिल सकी, बल्कि पंजाब के ही तहत उसे एक सब-सíकल बना गया था और अतिरिक्त डाक महानिदेशक को प्रमुख बना दिया गया।

भारत में डाक सेवा (POSTAL SERVICE) ने संदेश भेजने में अहम योगदान दिया है। दिल्ली को अपना सर्किल और डायरेक्टर आफ पोस्टल सर्विसेज, जिसके अधीन पूरी दिल्ली को डाक सेवाएं की गई थी जबकि टेलीफोन और टेलीग्राफ को अलग विभाग के अधीन किया गया। अगस्त 1947 में दिल्ली में 104 डाकघर थे, 19 ग्रामीण इलाकों में मौजूद थे। 1961 तक दिल्ली के केवल 81 डाकघरों में ही पब्लिक काल की सुविधा उपलब्ध हुआ करती थी। आधुनिक डाक सेवाओं का केंद्र बनने से पूर्व अंग्रेजों की राजधानी होने के नाते कलकत्ता और शिमला ही केंद्र बनाए गए थे।

देश का सबसे पुराना टेलीग्राम

भारत में 11 मई, 1857 का, जिसमें मेरठ से आए सिपाहियों के आने की जानकारी के साथ ये भी था कि कैसे वो यूरोपियंस को मारकर उनके बंगले पहुंच रहे हैं। लाहौर के ज्यूडिशल कमिश्नर मोंटगोमरी ने बताया था, ‘इलेक्टिक टेलीग्राफ (TELEGRAPH) ने भारत को बचा लिया गया’, भारत की नहीं भारत में अपनी सत्ता का जिक्र करते थे।

टेलीग्राफ दफ्तरों में मिली टेलीटाइप सुविधा

1929 में नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली के टेलीग्राफ दफ्तरों के बीच टेलीटाइप सुविधा शुरू की गई थी, इसके फौरन बाद दिल्ली-आगरा के बीच टेलीप्रिंटर (TELEPRINTER) सुविधा प्रारंभ हुई। ई-मेल-वाट्स एप युग की पीढ़ी जानकर अचंभित हो जाएगी कि दिल्ली का टेलीग्राफ आफिस एक जमाने में साल भर में ढाई करोड़ टेलीग्राम (TELEGRAM) को आसानी से संभाल लेते थे। अक्सर आंदोलनकारियों डाकघर को निशाना बनाते थे, भारत छोड़ो आंदोलन में 1942 में पहाड़गंज का डाकघर तोड़ा गया था, यही नहीं सब्जी मंडी के पास के डाकघर (POST OFFICE) में आग लगा गई थी।

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