NCPCR: मीना कौशिक। भारत भर के तमाम स्कूल हो जाएं सावधान… अगर वह छात्रों को कलावा बांधने ,माथे पर टीका लगाने, या हाथ में मेहंदी लगाने के लिए शारीरिक दंड दे रहे हैं या भेदभाव कर रहे हैं तो उन्हें कानूनी उल्लंघन करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग द्वारा तमाम राज्यों के शिक्षा सचिवों को पत्र भेज कर निर्देश दिए गए हैं कि वह बाल संरक्षण कानून के तहत यह सुनिश्चित करें कि वह किसी भी पर्व पर बच्चों को टीका लगाने या राखी बांधने अथवा मेहंदी लगाने पर शारीरिक दंड नहीं देंगे और ना उनके साथ कोई भेदभाव करेंगे….
शिक्षक नहीं करेंगे मनमानी..
भारत सरकार के राष्ट्रीय NCPCR द्वारा तमाम राज्यों के शिक्षा सचिवों को संबंधित विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए बोला गया है कि स्कूलों में किसी भी छात्र के साथ माथे पर टीका लगाने का राखी बांधने या मेहंदी लगाने पर किसी भी प्रकार का भेदभाव या शारीरिक दंड बिल्कुल ना किया जाए और सुनिश्चित किया जाए स्कूलों में बाल संरक्षण आयोग के तहत निर्धारित बाल संरक्षण कानून के तहत सभी कानून का पालन किया जाए। इस आशा का सभी शिक्षा सचिवों को भेज दिया गया है।
बच्चों का शारीरिक दंड स्कूलों में निषिद्ध है…
NCPCR के पत्र में उल्लेख किया गया है आरटीआई एक्ट 2009 क्षेत्र 17 के अनुसार स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दंड निषेध और इस कानून का पालन स्कूलों में सुनिश्चित किया जाए। पत्र में यह भी उल्लेखित किया गया है की समाचारों के मुताबिक ऐसी घटनाएं सामने आई है जिसमें बच्चों को राखी बांधने ,मेहंदी लगाने या तिलक लगाने पर स्कूलों द्वारा शारीरिक दंड दिया गया और उनके साथ भेदभाव किए गए… बाल संरक्षण कानून के तहत स्कूलों को इस तरह की सजा का कोई प्रावधान देने की अनुमति नहीं होगी।
उल्लेखनीय है राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग,NCPCR कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स 2005 की धारा 3 के तहत स्वायत्त बॉडी के रूप में बाल संरक्षण संबंधित मुद्दों पर गठित किया गया है और यह आयोग बाल अधिकारों या बालको पर किसी भी प्रकार के शारीरिक शोषण या उत्पीड़न के प्रति उनके बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाया गया है और यह समय-समय पर बाल अधिकारों को लेकर अपने प्रस्ताव पेश करता है। राज्य सरकारों की बाल अधिकारों संबंधित मॉनिटरिंग भी आयोग के कार्यों में सम्मिलित है।
और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा स्कूलों में किसी भी पर्व के मौके पर बच्चों को माथे पर टीका लगाने के अलावा तिलक लगाने, राखी बांधने या मेहंदी लगाने पर उन्हें उत्पीड़न करने का स्कूलों को कोई अधिकार नहीं है।NCPCR द्वारा स्पष्ट रूप से शिक्षक सचिवों को संबंधित विभाग को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
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