Artificial intelligence मेक इन इंडिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत भारत के छात्रों की एक से बढ़कर एक प्रतिभा सामने आ रहे हैं। अब आईआईटी दिल्ली के टेक्नोलॉजी विभाग ने एक स्नेक रोबोट तैयार किया है। जो भूकंप जैसी त्रासदी में फंसे लोगों को मौत के मुंह से भी निकाल लाएगा। सांप की शक्ल में बने इस रोबोट की खासियत यह होगी कि यह भूकंप के बाद ध्वस्त हुई बिल्डिंग में अंदर जाकर आधुनिक तकनीक से भवन के अंदर फंसे लोगों की फोटो बाहर भेजेगा और टास्क फोर्स उन्हें आसानी से बचा पाएगी। और एक ऐसा ही रोबोट आईआईटी के छात्रों ने तैयार किया है जो खिलाड़ियों या जिम करने वालों को कोर्ट से भी अच्छी निगरानी दे पाएगा और अभ्यास के समय वह हार्ट अटैक या शरीर के किसी भी नुकसान से बच सकेंगे।
आईआईटी दिल्ली के 16वें ओपन हाउस
आईआईटी दिल्ली के 16वें ओपन हाउस में शनिवार को संस्थान के ही टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (आईएचएफसी)ने अपनी अत्याधुनिक तकनीक के बारे में छात्रों ने अपनी नई खोज को प्रस्तुत की।
Artificial intelligence in hindi
आईआईटी के छात्र आंध्र आंत्रप्रिन्योर श्रीपद एम की नई खोज
आईआईआईटी कांचीपुरम के छात्र और (आईएचएफसी) के आंत्रप्रिन्योर श्रीपद अपनी नई खोज नाग रिपोर्ट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी और उन्होंने बताया कि उन्होंने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है जो सांप की शक्ल में 3 इंच के होलसेल दस्त बिल्डिंग के अंदर जाकर 360 डिग्री से अपने चारों ओर घूम कर पूरा मोबाइल न कर लेगा और वहां के अत्याधुनिक कैमरा से रेस्क्यू टीम को अंदर फंसे लोगों की तस्वीर भेजेगा और और भूकंप जैसी त्रासदी में ध्वस्त बिल्डिंग में फंसे लोगों को रेस्क्यू टीम के लिए बचना आसान हो जाएगा। श्री पद ने जानकारी दी कि जानकारी जुटाना रेस्क्यू टीम के लिए काफी मुश्किल होता है। लेकिन अब रेस्क्यू टीम के लिए क्या रोबोट आपात स्थिति में फंसे लोगों को बचाने में मददगार होगा। आईआईटी दिल्ली के 16वें ओपन हाउस में शनिवार को संस्थान के ही टेक्नोलॉजी इनवोशन हब (आईएचएफसी) ने अपनी अत्याधुनिक तकनीक और इनोवेशन की नई खोज प्रस्तुत की।
आईआईआईटी कांचीपुरम के छात्र और (आईएचएफसी) के आंत्रप्रिन्योर श्रीपद एम ने बताया कि उन्होंने भूकंप के बाद भवनों के अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए स्नेक रोबेट तैयार किया है। यह रोबेट ढाई से तीन ईंच के होल से भूकंप से ध्वस्त भवन के अंदर जाएगा। 360 डिग्री से अपने चारों ओर का मुआयना करके अत्याधुनिक कैमरे से तस्वीर या वीडियो बाहर रेस्क्यू टीम को अंदर व्यक्ति के होने की जानकारी पहुंचाएगा। इससे बाहर रेस्क्यू टीम को अंदर कोई व्यक्ति हो तो तुरंत पता लगेगा, जिससे उसे बचाने में आसानी होगी।
दूसरे चरण में होगा रोबोट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग
श्रीपद एम ने बताया कि दूसरे चरण में रोबेट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग किया जाएगा। इससे यदि कोई सामने दीवार या पत्थर होगा तो वो उससे टकराएगा नहीं तो रुक जाएगा। अभी इसमें यह तकनीक न होने से टूटने का खतरा है। इसके पेटेंट पर काम चल रहा है। उम्मीद जताई गई है कि वर्ष 2025 तक यह पूरी तरह से एनडीआरएफ या डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम के पास प्रयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगा।
गुजरात टेक्नोलोजिक्ल यूनिवर्सिटी अहमबाद के छात्र जय पाटिल ने खोजी नई तकनीक
आईआईटी दिल्ली के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (आईएचएफसी) ने मेक इन इंडिया ‘गेलीविनेटर’ डिवाइस भी तैयार की है। इस डिवाइस के आधार पर खिलाड़ियों और जिम करने वालों को यह सुविधा होगी। यह सेंसर आधारित डिवाइस स्ट्रोक और हार्ट अटैक आने से पहले ही अलर्ट कर देगी। इसके अलावा यदि घुटने, एड़ी, कंधा काम मैं कोई भी दिक्कत होगी तो यह पहले ही उन्हें अलर्ट कर देगा और जो काम कोच करता था वह काम यह डिवाइस कर देगी। यानी अभ्यास करने वाले को पहले से अलर्ट मिलने पर वह अभ्यास रोक देंगे और उनकी जान को खतरा नहीं होगा। आईएचएफसी में प्री इनक्यूवेशन में काम करने वाले और गुजरात टेक्नोलोजिक्ल यूनिवर्सिटी अहमबाद के छात्र जय पाटिल ने इस तकनीक को इजाद किया है। क्योंकि ऐसी घटनाएं पिछले दिनों तमाम सामने आई है जब जिम करते हुए या अभ्यास करते हुए तमाम लोगों को हार्ट अटैक से अपना हाथ धोना पड़ा। लेकिन अगर उनके पास या डिवाइस होगी तो वह आपके शरीर की स्थिति को पहले ही बता देगी और आप उसके अनुरूप अभ्यास करेंगे।
कोच से अच्छी निगरानी करेगा यह सेंसर डिवाइस
जय पाटिल ने बताया कि इस सेंसर आधारित डिवाइस को कोई पहनता है तो शरीर में होने वाले बदलाव को सेंसर पकड़ लेता है और हार्ट अटैक, स्ट्रौक आने की सूचना पहले ही जारी कर देता है। खिलाड़ी हमेशा कोच की निगरानी में खेलते हैं, लेकिन यदि उनके हाथ, पैर, ऊंगली, गर्दन आदि ठीक से काम नहीं कर रही होगी तो तू यह आधुनिक डिवाइस तुरंत शरीर की उसे कमी को पकड़ लेगी और हमें चेतावनी दे देगी कि हमें अब प्रेक्टिस रोक देनी है।
खिलाड़ी और जिम में मिलेगा इसका बहुत फायदा
इसलिए यह डिवाइ*स पहनकर कोई स्पोट्समैन प्रैक्टिस करता है तो उसे कोच की की जरूरत को पूरी करेगा। इस डिवाइस का प्रयोग जिम, फिजियोथेरेपी, स्पोट्रर्समैन कर सकते हैं। इस सेंसर को बाजु, एड़ी और घुटने पर पहनना होता है। यानी यह डिवाइस खिलाड़ियों और जिम करने वालों के लिए जीवनी शक्ति साबित होगा।
प्रस्तुति मीना कौशिक
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