Kirori Singh Bainsla Passes Away: गुर्जर आंदोलन के मुखिया रहे कर्नल किरोड़ी बैंसला का निधन (Kirori Singh Bainsla) हो गया है. आपको बता दू, वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मणिपाल हॉस्पिटल (जयपुर) ले जाया गया. जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके बेटे विजय बैंसला (Vijay Bainsla) ने पिता के निधन की पुष्टि की.
बता दू कि, कर्नल किरोड़ी बैंसला (Colonel Kirori Bainsla) लंबे समय से गुर्जरों को आरक्षण (Gujjars Reservation) दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
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कौन थे किरोड़ी सिंह बैंसला (Kirori Singh Bainsla)?
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म करौली जिले (राजस्थान) के मुंडिया गांव में हुआ था. गुर्जर समुदाय (Gujjar community) से आने वाले बैंसला ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी पर, पिता के फौज में होने के कारण से उनका रुझान फौज की तरफ ज्यादा था.
इस वजहसे उन्होंने उन्होंने भी सेना में जाने का मन बनाया और सिपाही के रूप में भारत माँ की सेवा करने लग गए. किरोड़ी सिंह बैंसला, सेना की राजपूताना राइफल्स (Rajputana Rifles) में भर्ती हुए थे.
सेना में रहते हुए उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध (India-China War) और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan war) में हिस्सा लिया था.
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पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे थे बैंसला
किरोड़ी सिंह पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे थे. उन्हें 2 उप-नामों से जाना जाता था. सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर की चट्टान’ (Gibraltar ki Chattan) और बाकी साथी कमांडो उन्हें ‘इंडियन रेम्बो’ (Indian Rambo) कह कर बुलाते थे.
वो किरोड़ी सिंह बैंसला की जांबाजी ही थी कि, सेना में मामूली सिपाही के तौर पर भी तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक (Rank of Colonel) तक पहुंचे थे. बैंसला की 4 संतानें हैं.
एक बेटी रेवेन्यू सर्विस (Revenue Service) में है और 2 बेटे सेना में हैं. वहीं 1 बेटा निजी कंपनी में है. किरोड़ी सिंह बैंसला की पत्नी का निधन पहली ही हो चुका था और किरोड़ी सिंह अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे.
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रिटायर होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन
सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह बैंसला अपने जन्म स्थल राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए संघर्ष करना शुरू कीया.
गुर्जर आंदोलन (Gurjar Movement) के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी और पटरियों पर धरना दिया था. इस आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे थे.
किरोड़ी सिंह बैंसला का कहना था कि, राजस्थान के ही मीणा समुदाय (Meena community) को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया गया है.
जिससे उन्हें सरकारी नौकरी (Government Job) में सही प्रतिनिधित्व मिला. लेकिन गुर्जरों समुदाय के साथ ऐसा नहीं हुआ. गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए.
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