Sunday, 16 March 2025

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सास-ससुर की संपत्ति पर दामाद का अधिकार नहीं

High Court : संपत्ति विवादों को लेकर अक्सर कई लोग अपने कानूनी अधिकारों से अनजान रहते हैं जिससे वे अपने हक…

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सास-ससुर की संपत्ति पर दामाद का अधिकार नहीं

High Court : संपत्ति विवादों को लेकर अक्सर कई लोग अपने कानूनी अधिकारों से अनजान रहते हैं जिससे वे अपने हक से वंचित रह जाते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सास-ससुर की संपत्ति पर दामाद के अधिकार को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि दामाद का अपने ससुराल की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता।

क्या कहा हाईकोर्ट ने?

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सीनियर सिटीजन वेलफेयर एक्ट 2007 के तहत फैसला देते हुए कहा कि अगर कोई बुजुर्ग अपने दामाद को घर से निकालना चाहता है, तो वह कानूनी रूप से ऐसा कर सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सास-ससुर की संपत्ति पर दामाद का कोई कानूनी हक नहीं होता चाहे वह कितने भी वर्षों तक वहां रहा हो।

यहां जानें पूरा मामला

खबरों की मानें तो, भोपाल निवासी दिलीप मरमठ अपने ससुर नारायण वर्मा के घर में रह रहे थे। ससुर ने SDM कोर्ट में अपील दायर कर मकान खाली करने की मांग की, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद भोपाल कलेक्टर ने भी SDM के आदेश को बरकरार रखा। दिलीप मरमठ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि उन्होंने घर बनाने के लिए 10 लाख रुपये दिए थे और इसका बैंक स्टेटमेंट भी पेश किया। अदालत ने पाया कि ससुर ने उन्हें केवल रहने की अनुमति दी थी, न कि संपत्ति का मालिकाना हक। इसके अलावा, दिलीप ने अपने ससुर की देखभाल का वादा किया था, लेकिन पत्नी की मृत्यु (2018) के बाद उन्होंने दूसरी शादी कर ली और ससुर का ध्यान रखना बंद कर दिया। इस आधार पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दामाद को घर खाली करना होगा।

क्या दामाद को ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार मिलता है?

भारतीय कानून के तहत दामाद को ससुराल की संपत्ति पर कोई हक नहीं होता। अगर ससुर अपनी बेटी और दामाद के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं, तो वे कानूनी रूप से मालिक हो सकते हैं। केवल रहने की अनुमति मिलने का मतलब संपत्ति का अधिकार नहीं होता, बुजुर्ग अपने घर से दामाद को कानूनी रूप से बाहर निकाल सकते हैं। अगर कोई दामाद अपने ससुराल की संपत्ति पर दावा करता है, तो उसे कानूनी रूप से अस्वीकार किया जा सकता है। सास-ससुर की संपत्ति पर केवल उनके उत्तराधिकारियों (बेटा-बेटी) का हक होता है, न कि दामाद का। यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए राहत भरा है जो अपनी संपत्ति को लेकर चिंतित रहते हैं।

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