इसको कहते हैं सच्चा कमाल, चपरासी बना करोड़पति

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Success Story Of Gyaneshwar Bodke
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 MAR 2024 03:51 PM
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Success Story Of Gyaneshwar Bodke : वाह क्या कमाल है। अरे यार ये तो कमाल ही हो गया। अमुक व्यक्ति ने कमाल कर दिया। इस प्रकार के तमाम वॉक्य आपने बोले, पढ़े तथा सुने होंगे। आज हम आपको बता रहे हैं कि किसे कहते हैं सच्चा कमाल। सच्चा कमाल करके दिखाया है। महाराष्ट्र प्रदेश के ज्ञानेश्वर में रहने वाले एक दफ्तर के चपरासी ने किया है सचमुच में कमाल। चपरासी (ऑफिस बॉय) से करोड़पति बनने की इस कहानी को पढक़र आप जरूर कहेंगे कि इसको कहते हैं सच्चा कमाल।

Success Story Of Gyaneshwar Bodke

चपरासी से बना हर महीने लाखों कमाने वाला

ऐसे वक्त में, जब एक अदद नौकरी के लिए लोग वर्षों ऐडियां रगड़ते फिरते हैं, कोई दस साल की अपनी लगी-लगाई नौकरी छोडक़र गांव में खेती करने का संकल्प ले, तो स्वाभाविक रूप से लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। ऐसा ही महाराष्ट्र के पुणे जिले के मुल्सी तालुके के रहने वाले ज्ञानेश्वर बोडके के साथ हुआ, जब वह 10 साल नौकरी करने के बाद 1999 में नौकरी छोडक़र अपने गांव वापस आ गए। लोगों ने यहां तक कहा कि जो कुछ भी कमाई का जरिया था, वह भी बंद हो गया। वह न तो लोगों की आलोचना से घबराएं और न ही विफलता का डर उन्हें जोखिम उठाने से रोक पाया। लेकिन आज वही ज्ञानेश्वर बोडके न सिर्फ अपने गांव के लोगों की नजर में, बल्कि आस-पास के गांवों के किसानों की नजर में भी रोल मॉडल और प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं। परिवार के भरण-पोषण के लिए कभी ऑफिस बॉय का काम करने वाले ज्ञानेश्वर आज न सिर्फ स्वयं करोड़ों रुपये कमा रहे हैं, बल्कि अभिनव फार्मिंग क्लब के माध्यम से समेकित खेती (इंटीग्रेटेड फार्मिंग) के फायदों को बता कर उनकी जिंदगी को रोशन कर रहे हैं। कभी पैसों की तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ देने वाले ज्ञानेश्वर आज लाखों लोगों को सफलता की नई राह दिखा रहे हैं।

बचपन में था बुरा हाल

ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के पुणे से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म एक निम्नवर्गीय परिवार में हुआ और बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा। उनके पास थोड़ी-सी जमीन थी, जिससे जैसे-तैसे उनके परिवार का गुजारा चलता था। ज्ञानेश्वर पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते थे, लेकिन उनके घर में कोई  कमाने वाला नहीं था। नतीजतन 10वीं के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई छोडऩी पड़ी। पढ़ाई छोडऩे के बाद किसी परिचित की मदद से उन्हें पुणे में ऑफिस बॉय की नौकरी मिल गई। इससे परिवार का भरण-पोषण तो होने लगा, लेकिन ज्ञानेश्वर को खुशी नहीं मिल रही थी। उन्हें लगता था कि वह जितनी मेहनत कर रहे हैं, उसके अनुसार उन्हें आमदनी नहीं हो रही है।

खेती से कमाल

ज्ञानेश्वर सुबह छह बजे से लेकर रात 11 बजे तक ऑफिस में काम करते थे। एक दिन अखबार के माध्यम से उन्हें एक ऐसे किसान के बारे में पता चला, जो पॉलीहाउस विधि से खेती करके हर साल 12 लाख रुपये कमा रहा था। उन्हें लगा कि जब एक किसान खेती करके इतनी कमाई कर सकता है, तो वह भी खेती करके अपनी स्थिति सुधार सकते हैं। यही सोचकर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और गांव लौट आए। गांव लौटकर उन्होंने बैंक से कर्ज लिया और फूलों की बागवानी शुरू कर दी। खेती की नई तकनीक सीखने के लिए वह अन्य प्रगतिशील किसानों से संपर्क करने लगे, जो खेती में आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें पुणे में बागवानी और पॉलीहाउस को लेकर आयोजित होने वाली एक वर्कशॉप के बारे में पता चला। ज्ञानेश्वर ने भी उस वर्कशॉप में भाग लिया।

नई तकनीक अपनाई

ज्ञानेश्वर के कम पढ़े-लिखे होने के कारण वर्कशॉप में बताई गई अधिकांश बातें उन्हें समझ में नहीं आईं, लेकिन वह एक पॉलीहाउस में जाकर खेती के तरीके समझने लगे। पॉलीहाउस एक चारों तरफ से घिरा हुआ स्थान होता है, जहां किसी भी फसल को उचित जलवायु तथा पोषक तत्व प्रदान करके अधिक से अधिक उत्पादन किया जा सकता है। रोजाना साइकिल से 17 किलोमीटर दूर पॉलीहाउस जाकर उन्होंने नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल की। फिर कर्ज में मिले पैसों से अपना पॉलीहाउस बनाकर सजावटी फूलों की खेती शुरू कर दी। कुछ ही महीनों बाद बागों में फूल खिल आए। फूलों की बिक्री के लिए उन्होंने होटल वालों से भी संपर्क किया और अपने फूलों को पुणे शहर से बाहर भी भेजने लगे। फूलों की बिक्री से अच्छी कमाई हुई और उन्होंने साल भर के भीतर ही 10 लाख रुपये का कर्ज चुका दिया।

खेती और पशुपालन

फूलों की खेती में सफलता हासिल करने के बाद उन्हें पता चला कि समेकित खेती के जरिये अच्छी कमाई की जा सकती है। फिर उन्होंने उसी पॉलीहाउस में फूलों के साथ सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी। सब्जियों की खेती से भी उन्हें अच्छी कमाई होने लगी। उसके बाद उन्होंने देशी केले, संतरे, आम, देशी पपीते, स्वीट लाइम, अंजीर और सेब, सभी मौसमी सब्जियां उगाने लगे। यही नहीं अब उन्होंने दूध की सप्लाई का काम भी शुरू कर दिया है। उनके पास कई गाएं हैं। उन्होंने लोगों के घरों में दूध की आपूर्ति के लिए एक ऐप भी लॉन्च किया है। इसके माध्यम से लोग ऑर्डर करते हैं और उनके घर तक सामान पहुंच जाता है।

अभिनव फार्मिंग क्लब

वर्ष-2004 में ज्ञानेश्वर ने अभिनव फार्मिंग क्लब नाम से अपने गांव के 11 किसानों के साथ मिलकर एक समूह बनाया था। उनकी सफलता की कहानी से प्रेरित होकर, कई और किसान अभिनव फार्मर्स क्लब में शामिल हुए। आज उनके क्लब में देश के आठ राज्यों से लगभग तीन लाख से भी ज्यादा किसान जुड़ चुके हैं। ज्ञानेश्वर का मानना है कि उपज सीधे ग्राहकों या उपभोक्ताओं को बेचने से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है, क्योंकि इसमें किसी बिचौलिए को कमीशन नहीं देना पड़ता। इस क्लब से जुड़ा हर किसान वर्ष-2021 में आठ से 10 लाख रुपये सालाना कमाई कर रहा था।

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यूरोप के देश 10 लाख भारतीयों को देंगे रोजगार, होगा 100 अरब का निवेश

IND EFTA Deal
IND-EFTA Deal
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 MAR 2024 02:52 PM
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IND-EFTA Deal : सचमुच भारत में अच्छे दिन आने वाले हैं। यूं भी कह सकते हैं कि निश्चित रूप से भारत का भविष्य बेहद सुंदर है। भारत के भविष्य की दिशा और दशा बदलने के लिए 16 वर्षों से लंबित पड़े मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हो गए हैं। यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ ( EFTA) तथा भारत ने रविवार को (FTA) पर फाइनल मोहर लगा दी। इस मोहर के साथ ही यह तय हो गया है कि EFTA में शामिल यूरोप के देश भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश करेंगे तथा 10 लाख भारत वासियों को रोजगार देंगे।

हो गए FTA पर हस्ताक्षर

रविवार यानी 10 मार्च 2024 का दिन भारत के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। रविवार को भारत तथा यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। आपको बता दें कि मुक्त व्यापार FTA समझौते पर भारत के हस्ताक्षर का मामला लंबे अरसे से अटका हुआ था। भारत के ढेर सारे संगठन खास तौर से किसान संगठन भारत में FTA के पूरी तरह विरोध में रहे हैं। यह अलग बात है कि रविवार को FTA पर हस्ताक्षर होने के बाद कहीं से भी विरोध की आवाज सुनाई नहीं पड़ी है।

क्या है मुक्त व्यापार समझौता FTA ?

आपको बता दें चलें की FTA पर हुए हस्ताक्षर के तहत EFTA अगले 15 साल में भारत में अनिवार्य रूप से 100 अरब डालर का निवेश करेगा। जिससे 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां निकलेंगी। पहले 10 सालों में 50 अरब डालर तो बाद के पांच सालों में 50 अरब डालर का निवेश किया जाएगा। EFTA में यूरोप के चार विकसित देश स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड व लाइकेटेनस्टीन शामिल हैं। समझौते पर वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल व इन देशों के समकक्ष मंत्रियों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन चार देशों से होने वाले भारत के कुल व्यापार में स्विट्जरलैंड की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से अधिक है। बाकी की हिस्सेदारी में अन्य तीनों देश शामिल है। समझौते से फार्मा, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर के साथ सर्विस सेक्टर में भी इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुंच आसान होगी। बदले में भारत भी इन देशों की विभिन्न वस्तुओं के लिए अपने आयात शुल्क को कम करेगा। हालांकि कृषि, डेयरी, सोया व कोयला सेक्टर को इस व्यापार समझौते से दूर रखा गया। पीएलआइ से जुड़े सेक्टर के लिए भी भारतीय बाज़ार को नहीं खोला गया है। ईएफटीए के साथ हुए समझौते को लागू होने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं। क्योंकि यूरोप के इन चार देशों को अपनी संसद से समझौते को मंजूर कराना होगा। ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा नहीं हैं। यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी, जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे। IND-EFTA Deal 

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

FTA पर हस्ताक्षर होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान भी सामने आया है। पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा है कि भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता एक मुक्त, निष्पक्ष और समानता वाले व्यापार के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। डिजिटल व्यापार, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तथा फार्मा जैसे क्षेत्रों में नवोन्मेष को लेकर ईएफटीए देशों की वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थिति से सहयोग के नए द्वार खुलेंगे। समझौते पर हस्ताक्षर करने में शामिल वार्ताकारों और हस्ताक्षरकर्ताओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

बड़ी खबर : चुनावी बांड पर SBI को फटकार, 12 मार्च तक मांगे आंकड़े

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बड़ी खबर : चुनावी बांड पर SBI को फटकार, 12 मार्च तक मांगे आंकड़े

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Electoral Bonds
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calendar11 MAR 2024 00:09 PM
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Electoral Bonds : राजनैतिक दलों द्वारा खरीदे जाने वाले चुनावी बांड पर सोमवार (11 फरवरी) देश के सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। चुनावी बांड से जुड़े आंकडे पेश न करने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई और SBI का आवेदन खारिज करते हुए  मार्च तक आंकड़े देने का आदेश दिया।

पांच न्यायाधीशों ने की सुनवाई

जानकारी के अनुसार इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने SBI को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि 26 दिन में आपने क्या किया। ये बेहद गंभीर मामला है। आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई (SBI) को सिर्फ सीलबंद कवर खोलना है, विवरण एकत्र करना है और चुनाव आयोग को जानकारी देनी है। पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए? आपका आवेदन उस पर चुप है।

कोर्ट ने स्पष्ट खुलासा करने को कहा

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि हमने आपसे अपने फैसले के अनुसार स्पष्ट खुलासा करने को कहा है। आपको बता दें कि एसबीआई(SBI) ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी।

ऐसा पोता आएगा- कैंपेन करेगा कांग्रेस का, भाजपा को जितवाएगा

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