बालकनी में हरी मटर उगाने के लिए अपनाएं ये स्मार्ट टिप्स
हरी मटर सर्दियों की सबसे पसंदीदा और पौष्टिक सब्जियों में से एक है। बाजार में मिलने वाली मटर में केमिकल का इस्तेमाल आम बात है, लेकिन अब आप बिना किसी झंझट के अपने घर के बगीचे, छत या बालकनी में ताजी और केमिकल-फ्री हरी मटर उगा सकते हैं।

हरी मटर ठंडी जलवायु की फसल है। इसे बोने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर के बीच माना जाता है। इस दौरान तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो अंकुरण और पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए अनुकूल होता है। ज्यादा गर्मी में मटर की बेल कमजोर हो सकती है।
गमला और जगह का चुनाव
बता दें कि बालकनी या छत पर मटर उगाने के लिए 12 से 14 इंच गहरा और चौड़ा गमला या ग्रो बैग सही रहता है। गमले के नीचे पानी की निकासी के लिए छेद होना जरूरी है। एक गमले में 6 से 8 बीज आसानी से लगाए जा सकते हैं। पौधे को रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे धूप मिलनी चाहिए।
मिट्टी कैसे करें तैयार
हरी मटर के लिए भुरभुरी और उपजाऊ मिट्टी जरूरी होती है। इसके लिए है कि 50% सामान्य बगीचे की मिट्टी, 30% सड़ी हुई गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट, 20% बालू या कोकोपीट है। इन सभी को अच्छी तरह मिलाकर गमले में भरें। इससे जड़ों को हवा मिलेगी और पौधा मजबूत बनेगा।
बीज बोने का सही तरीका
बता दें कि बीज बोने से पहले मटर के बीजों को 8 से 10 घंटे पानी में भिगो दें। इससे अंकुरण जल्दी होता है। इसके बाद बीजों को 1 से 2 इंच की गहराई पर बोएं और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें। बीजों के बीच 2 से 3 इंच की दूरी रखें।
सिंचाई और सहारा
बता दें कि बीज बोने के तुरंत बाद हल्का पानी दें, लेकिन ध्यान रखें कि पानी जमा न हो। मटर को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। हफ्ते में 2 से 3 बार हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है। हरी मटर बेल वाली फसल है, इसलिए जब पौधा 6 से 8 इंच का हो जाए तो उसे सहारे की जरूरत होती है। इसके लिए बांस, लकड़ी की स्टिक या जाली का इस्तेमाल किया जा सकता है।
खाद और पौधों की देखभाल
बता दें कि अच्छी बढ़वार के लिए हर 15 से 20 दिन में वर्मी कम्पोस्ट या सरसों खली का घोल डाल सकते हैं। फूल आने के समय हल्की खाद देने से फलियों की संख्या बढ़ती है। अगर एफिड्स या इल्ली दिखाई दें, तो नीम तेल का छिड़काव हफ्ते में एक बार करें। इससे पौधा सुरक्षित रहता है।
कब करें मटर की तुड़ाई
बता दें कि बीज बोने के लगभग 60 से 70 दिन बाद मटर की फलियां तैयार हो जाती हैं। जब फलियां हरी, भरी हुई और नरम हों, तभी तोड़ लें। समय पर तुड़ाई करने से पौधा ज्यादा फल देता है।
क्यों फायदेमंद है किचन गार्डनिंग
बता दें कि घर में उगाई गई हरी मटर ताजी, स्वादिष्ट और पूरी तरह केमिकल-फ्री होती है। इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है, बल्कि परिवार को पौष्टिक सब्जी भी मिलती है। साथ ही आपकी बालकनी या छत भी हरी-भरी नजर आती है।
हरी मटर ठंडी जलवायु की फसल है। इसे बोने का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर के बीच माना जाता है। इस दौरान तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो अंकुरण और पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए अनुकूल होता है। ज्यादा गर्मी में मटर की बेल कमजोर हो सकती है।
गमला और जगह का चुनाव
बता दें कि बालकनी या छत पर मटर उगाने के लिए 12 से 14 इंच गहरा और चौड़ा गमला या ग्रो बैग सही रहता है। गमले के नीचे पानी की निकासी के लिए छेद होना जरूरी है। एक गमले में 6 से 8 बीज आसानी से लगाए जा सकते हैं। पौधे को रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे धूप मिलनी चाहिए।
मिट्टी कैसे करें तैयार
हरी मटर के लिए भुरभुरी और उपजाऊ मिट्टी जरूरी होती है। इसके लिए है कि 50% सामान्य बगीचे की मिट्टी, 30% सड़ी हुई गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट, 20% बालू या कोकोपीट है। इन सभी को अच्छी तरह मिलाकर गमले में भरें। इससे जड़ों को हवा मिलेगी और पौधा मजबूत बनेगा।
बीज बोने का सही तरीका
बता दें कि बीज बोने से पहले मटर के बीजों को 8 से 10 घंटे पानी में भिगो दें। इससे अंकुरण जल्दी होता है। इसके बाद बीजों को 1 से 2 इंच की गहराई पर बोएं और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें। बीजों के बीच 2 से 3 इंच की दूरी रखें।
सिंचाई और सहारा
बता दें कि बीज बोने के तुरंत बाद हल्का पानी दें, लेकिन ध्यान रखें कि पानी जमा न हो। मटर को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। हफ्ते में 2 से 3 बार हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है। हरी मटर बेल वाली फसल है, इसलिए जब पौधा 6 से 8 इंच का हो जाए तो उसे सहारे की जरूरत होती है। इसके लिए बांस, लकड़ी की स्टिक या जाली का इस्तेमाल किया जा सकता है।
खाद और पौधों की देखभाल
बता दें कि अच्छी बढ़वार के लिए हर 15 से 20 दिन में वर्मी कम्पोस्ट या सरसों खली का घोल डाल सकते हैं। फूल आने के समय हल्की खाद देने से फलियों की संख्या बढ़ती है। अगर एफिड्स या इल्ली दिखाई दें, तो नीम तेल का छिड़काव हफ्ते में एक बार करें। इससे पौधा सुरक्षित रहता है।
कब करें मटर की तुड़ाई
बता दें कि बीज बोने के लगभग 60 से 70 दिन बाद मटर की फलियां तैयार हो जाती हैं। जब फलियां हरी, भरी हुई और नरम हों, तभी तोड़ लें। समय पर तुड़ाई करने से पौधा ज्यादा फल देता है।
क्यों फायदेमंद है किचन गार्डनिंग
बता दें कि घर में उगाई गई हरी मटर ताजी, स्वादिष्ट और पूरी तरह केमिकल-फ्री होती है। इससे न सिर्फ पैसे की बचत होती है, बल्कि परिवार को पौष्टिक सब्जी भी मिलती है। साथ ही आपकी बालकनी या छत भी हरी-भरी नजर आती है।












