नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने ट्रांसजेंडरों को लेकर स्कूली प्रक्रियाओं में उपयोग पर ताजा दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इसमें लिंग निरपेक्षता पर खास जोर दिया गया है। साथ ही जाति व्यवस्था आदि के उल्लेख से बचने का सुझाव देते हुए कहा गया है कि संबोधन या नाम पुकराने में अभद्र भाषा पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
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एनसीईआरटी के दिशानिर्देश में सुझाव दिया गया है कि स्कूलों में लड़के, लड़कियों जैसे संबोधन की बजाए ‘छात्र’, ‘बच्चों’ जैसी लिंग समावेशी भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए। एनसीईआरटी के जेंडर स्ट्डीज विभाग द्वारा गठित 16 सदस्यीय समिति ने ‘स्कूली प्रक्रियाओं में ट्रांसजेंडर की चिंता का संयोजन’ शीर्षक से तैयार मसौदा दिशानिर्देश में यह बात कही है। इसमें लिंग निरपेक्ष पोशाक व्यवस्था लागू करने का भी सुझाव दिया है।
मसौदा दिशानिर्देश के अनुसार, विभिन्न अकादमिक, गैर अकादमिक और अन्य पदों पर लैंगिक भेदभाव के बिना ट्रांसजेंडर (तृतीय प्रकृति) शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभी आवेदन पत्रों एवं सभी तरह के पाठ्यक्रमों के प्रमाणपत्रों में ‘ट्रांसजेंडर’ श्रेणी को शामिल किया जाए, उनके लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान करने के साथ ही ट्रांसजेंडर छात्रों की स्वास्थ्य देखरेख पर विशेष ध्यान दिया जाए।
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इसमें साथ ही कहा गया है कि ट्रांसजेंडर श्रेणी के छात्रों की मदद के लिए प्रशिक्षित काउंसलर तैनात किए जाएं, क्योंकि ऐसे छात्र एकाकीपन, परेशान किये जाने की घटनाओं का सामना करते हैं। दिशानिर्देश में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि छात्रों को स्थानीय/राष्ट्रीय आपात हेल्पलाइन नंबर की जानकारी हो।
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