Monday, 18 November 2024

अचानक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है गुजरात का सूरत, वजह है खास

Gujarat News : गुजरात प्रदेश का सूरत शहर अचानक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। सब जानते हैं…

अचानक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है गुजरात का सूरत, वजह है खास

Gujarat News : गुजरात प्रदेश का सूरत शहर अचानक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। सब जानते हैं कि गुजरात का सूरत शहर हीरा व्यापार का प्रमुख केन्द्र है। इस बार गुजरात का यह शहर हीरे के व्यापार के लिए प्रसिद्ध नहीं हुआ है। गुजरात के सूरत क्षेत्र में अचानक कुछ ऐसा हो गया है कि भारत के प्रसिद्ध प्रदेश गुजरात का यह क्षेत्र रातोंरात पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।

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राजनीतिक घटना बनी गुजरात की चर्चा का कारण

आपको बता दें कि गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी मुकेश दलाल र्निविरोध चुनाव जीत गए हैं। लोकसभा के चुनाव में र्निविरोध जीतना एक अनोखी घटना है। इसी कारण गुजरात के सूरत क्षेत्र की चर्चा अचानक दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों में हो रही है। गुजरात के सूरत क्षेत्र की इस घटना ने हजारों साल पहले भगवान श्रीराम के जमाने में पैदा हुए विभीषण की याद भी ताजा कर दी है। “विभीषण को घर का भेदी लंका ढावे” वाली कहावत से भी याद किया जाता है। ऐसा ही कुछ गुजरात के सूरत में हुआ है। दरअसल भाजपा के प्रत्याशी को गुजरात की सूरत सीट से र्निविरोध सांसद बनाने का काम कांग्रेस के लिए विभीषण साबित हुए कांग्रेस के अपने नेता नीलेश कुभांणी ने किया है। अब गुजरात से लेकर दिल्ली तक हर कोई नीलेश कुंभाणी को कांग्रेस का विभीषण बता रहा है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात की यह पूरी कहानी “द गुजरात स्टोरी” नीलेश कुंभाणी ने ही लिखी है। इसी कहानी के कारण पूरी दुनिया में गुजरात शहर के सूरत की खूब चर्चा हो रही थी।

कुछ इस प्रकार लिखी गई गुजरात की कहानी

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही गुजरात की सूरत सीट से भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत कोई संयोग नहीं है। इसकी पटकथा बहुत पहले से ही लिखी जाने लगी थी और इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई स्वयं कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी ने। कुंभाणी ने प्रदेश कांग्रेस को अंधेरे में रखते हुए भाजपा के पक्ष में काम किया। नामांकन खारिज होने के बाद से ही कुंभाणी का किसी से संपर्क नहीं हो रहा था। मंगलवार को वह भाजपा में शामिल हो गए। दरअसल, कुंभाणी ने अपने नामांकन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी के सदस्यों को प्रस्तावक ना बनाकर अपने रिश्तेदारों को बनाया था। उनके प्रस्तावकों में उनके बहनोई और दो बिजनेस पार्टनर शामिल थे। उन्होंने कांग्रेस के डमी उम्मीदवार सुरेश पडशाला का प्रस्तावक भी अपने भांजे भौतिक कोलडिया को बनवाया। नामांकन करते समय भी वह किसी प्रस्तावक को चुनाव अधिकारी के सामने नहीं ले गए। इसका मकसद सिर्फ यही था कि उनका और डमी प्रत्याशी का नामांकन जांच में खारिज हो जाए।

बड़े होटलों में लिखी गई कहानी गुजरात प्रदेश की

दलाल को निर्विरोध विजयी बनाने की पटकथा एक पांच सितारा होटल मे लिखी गई। यह ऑपरेशन प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की निगरानी में हुई। यहीं पर कुंभाणी की ओर से रिश्तेदारों को प्रस्तावक बनाने और उनके फर्जी हस्ताक्षर कराने की रणनीति बनी। नामांकन की तिथि खत्म होने के बाद प्रस्तावकों ने ही हस्ताक्षर फर्जी होने का शपथ पत्र दे दिया और उसके बाद लापता हो गए। उन्हें नोटिस जारी हुआ, लेकिन वे जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए। Gujarat News

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