रेल यात्रियों के लिए अलर्ट! आज से नया किराया लागू, पूरा चार्ट देखें

रेलवे के मुताबिक, पहले से बुक टिकटों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, लेकिन 26 दिसंबर या उसके बाद की नई बुकिंग पर अपडेटेड रेलवे किराया लागू होगा। राहत यह है कि लोकल/उपनगरीय सेवाएं और सीजन टिकट इस बढ़ोतरी से बाहर रखे गए हैं।

26 दिसंबर से नया किराया लागू
26 दिसंबर से नया किराया लागू
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 09:42 AM
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Rail Fare : भारतीय रेलवे से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। भारतीय रेलवे से जुडी यह बड़ी खबर भारतीय रेलवे में यात्रा करने वाले हर यात्री से जुड़ी है। अगर आप 26 दिसंबर(आज) के बाद ट्रेन टिकट बुक करने वाले हैं, तो यह अपडेट आपके लिए जरूरी है। भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने यात्री ट्रेनों के रेलवे किराया(Railway Price) में हुई बढ़ोतरी को 26 दिसंबर से लागू कर दिया है। रेलवे के मुताबिक, पहले से बुक टिकटों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, लेकिन 26 दिसंबर या उसके बाद की नई बुकिंग पर अपडेटेड रेलवे किराया लागू होगा। राहत यह है कि लोकल/उपनगरीय सेवाएं और सीजन टिकट इस बढ़ोतरी से बाहर रखे गए हैं। हालांकि अन्य श्रेणियों की ट्रेनों और सेवाओं में नया किराया प्रभावी रहेगा। उल्लेखनीय है कि यह एक साल में दूसरी बार किराया संशोधन है जुलाई में भी रेलवे प्राइस में बढ़ोतरी की गई थी।

किन श्रेणियों में कितना बढ़ा किराया?

रेल मंत्रालय की जारी अधिसूचना के अनुसार, 215 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए किराए में बढ़ोतरी तय की गई है। साधारण श्रेणी में टिकट पर 1 पैसा प्रति किलोमीटर अतिरिक्त देना होगा। वहीं मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की गैर-एसी श्रेणियों के साथ-साथ सभी ट्रेनों की एसी श्रेणियों में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि लागू की गई है।

किन ट्रेनों पर पड़ेगा असर?

किराया संशोधन का असर रेलवे की कई प्रमुख प्रीमियम और लंबी दूरी की सेवाओं पर पड़ेगा। इसमें राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, वंदे भारत, हमसफर, अमृत भारत, तेजस, महामना, गतिमान, अंत्योदय, गरीब रथ, जन शताब्दी, युवा एक्सप्रेस, साथ ही नमो भारत रैपिड रेल और सामान्य गैर-उपनगरीय सेवाएं (जहां लागू हों) शामिल हैं। रेलवे के मुताबिक, इन ट्रेनों/सेवाओं के मौजूदा बेस फेयर को कोच/क्लास-वार अनुमोदित मानकों के अनुरूप अपडेट किया गया है, जिससे अलग-अलग श्रेणियों में किराया संरचना में बदलाव दिखेगा।

आपकी जेब पर कितना असर?

द्वितीय श्रेणी (सामान्य) यात्रियों के लिए राहत की खबर है। 215 किमी तक की यात्रा पर किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है यानी कम दूरी और रोज़ाना सफर करने वालों की जेब पर असर नहीं पड़ेगा। हालांकि 216 किमी से आगे दूरी बढ़ते ही किराया चरणबद्ध तरीके से बढ़ेगा। 216 से 750 किमी के सफर पर ₹5, 751 से 1250 किमी पर ₹10, 1251 से 1750 किमी पर ₹15, और 1751 से 2250 किमी की यात्रा पर ₹20 अतिरिक्त देने होंगे। Rail Fare

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BMC Election: कांग्रेस के अकेले उतरने से बदला मुंबई का सियासी खेल

देश की सबसे अमीर नगर निकायों में शामिल BMC का विशाल बजट और मुंबई के नागरिक प्रशासन पर उसका नियंत्रण इसे राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। ऐसे में इस चुनाव पर सभी प्रमुख दलों की नजरें टिकी हुई हैं।

Mumbai Municipal Corporation Elections
मुंबई महानगर पालिका चुनाव (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar25 Dec 2025 04:11 PM
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बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस द्वारा इस बार गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने के फैसले ने विपक्षी खेमे की रणनीति को झटका दिया है और आगामी 15 जनवरी को होने वाले चुनाव को बहुकोणीय मुकाबले में बदल दिया है।

MVA से दूरी की वजह

बता दें कि कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह इस बार महा विकास आघाड़ी (MVA) के तहत चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी का कहना है कि उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच संभावित गठबंधन उसकी वैचारिक लाइन के विपरीत है। खासतौर पर भाषाई पहचान और प्रवासी मुद्दों पर MNS के रुख को कांग्रेस ने अस्वीकार्य बताया है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह फैसला एक तरफ जहां रणनीतिक पुनर्गठन को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक जोखिम से भी भरा है। मजबूत गठबंधनों और उभरते क्षेत्रीय दलों के बीच अकेले चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, मुंबई में कांग्रेस का प्रदर्शन न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी के भविष्य की दिशा तय कर सकता है।

मुंबई में कांग्रेस का घटता जनाधार

बता दें कि इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस कभी मुंबई की नगर निकाय राजनीति में एक मजबूत ताकत रही है, लेकिन बीते तीन दशकों में उसकी स्थिति लगातार कमजोर हुई है। 2017 के BMC चुनाव में अविभाजित शिवसेना को 84 और भाजपा को 82 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस महज 31 सीटों पर सिमट गई थी।

MNS से गठबंधन क्यों नहीं?

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला ने साफ कहा है कि कांग्रेस ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकती जो विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देता हो। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की रणनीति अल्पसंख्यक, दलित और प्रवासी मतदाताओं को एकजुट करने की है, जो MVA और MNS की नजदीकियों से खुद को असहज महसूस कर सकते हैं।

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जाने 40 साल पुराने आम के बागों में कैसे होगी दोगुनी कमाई

जीर्णोद्धार तकनीक में पेड़ों की वैज्ञानिक तरीके से छंटाई की जाती है। इससे न केवल पेड़ को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, बल्कि नई और स्वस्थ शाखाएं भी निकलती हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि इस तकनीक को अपनाने से फलों का आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है और पैदावार लगभग दोगुनी तक हो सकती है।

Mango production
आम की पैदावार (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar25 Dec 2025 01:13 PM
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देशभर में हजारों किसान पुराने आम के बागों की घटती पैदावार से परेशान रहते हैं। आमतौर पर जब बाग 40 साल से अधिक पुराने हो जाते हैं तो उनमें फल आना कम हो जाता है या पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसे में किसान मजबूरी में पेड़ों को कटवा देते हैं। लेकिन अब ऐसा करने की जरूरत नहीं है। भारतीय आम अनुसंधान संस्थान (CISH), लखनऊ द्वारा विकसित ‘आम जीर्णोद्धार तकनीक’ से पुराने और अनुत्पादक पेड़ों को फिर से जवान और फलदार बनाया जा सकता है।

क्यों घटती है पुराने बागों की पैदावार?

बता दें कि विशेषज्ञों का कहना है कि समय के साथ आम के पेड़ों की शाखाएं बहुत घनी हो जाती हैं, जिससे पेड़ के अंदरूनी हिस्सों तक धूप और ताजी हवा नहीं पहुंच पाती। प्रकाश की कमी से प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और कीट व रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है।

कब और कैसे करें आम के पेड़ों का कायाकल्प?

आम के पेड़ों के कायाकल्प के लिए 15 दिसंबर से 15 जनवरी का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। जिस पेड़ की 3-4 मजबूत और बाहर की ओर बढ़ने वाली मुख्य शाखाओं को चुनें। इन्हें आधार से लगभग 2 फीट छोड़कर काट दें। बाकी अनावश्यक, सूखी और घनी शाखाओं को पूरी तरह हटा दें। पेड़ की ऊंचाई जमीन से 3 से 4 मीटर तक सीमित रखें। शाखा काटते समय पहले नीचे हल्का चीरा और फिर ऊपर से कट लगाएं, ताकि छाल न उखड़े।

कटाई के बाद दवा का लेप जरूरी

छंटाई के बाद कटे हुए हिस्सों पर संक्रमण का खतरा रहता है। इससे बचाव के लिए 1 किलो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और 250 ग्राम अरंडी के तेल का गाढ़ा घोल लगाएं। जैविक विकल्प के रूप में ताजा गाय का गोबर और पीली मिट्टी का पेस्ट भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह लेप फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से सुरक्षा देता है।

नई कोपलों की थिनिंग जरूरी

मार्च-अप्रैल में जब नई कोपलें निकलने लगें, तब विरलीकरण (थिनिंग) करें। केवल मजबूत और सही दिशा में बढ़ने वाली टहनियों को रखें और आपस में टकराने वाली कमजोर टहनियों को हटा दें।

पोषण और सिंचाई से आएगी नई जान

बता दें कि कटाई के बाद पेड़ों को ज्यादा पोषण की जरूरत होती है। फरवरी में प्रति पेड़ में 120 किलो सड़ी गोबर की खाद, 3 किलो यूरिया, 1.5 किलो फॉस्फोरस, 1.5 किलो पोटाश डालें। नीम की खली डालना भी फायदेमंद होता है। इसके बाद हर 15 दिन में नियमित सिंचाई करें और कीटों से बचाव के लिए समय-समय पर छिड़काव करते रहें।

इंटरक्रॉपिंग से अतिरिक्त कमाई

जीर्णोद्धार के बाद बाग में पर्याप्त धूप पहुंचने लगती है। जब तक आम के पेड़ पूरी तरह फल देने लगते हैं (करीब 2–3 साल), तब तक किसान खाली जगह में सब्जियां, दलहन या औषधीय पौधे उगाकर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। इससे बाग की देखभाल का खर्च भी आसानी से निकल जाता है।

सरकार दे रही है सब्सिडी

पुराने बागों के जीर्णोद्धार को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी किसानों को सब्सिडी दे रही है। इसकी जानकारी के लिए किसान अपने जिले के उद्यान विभाग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

50–60 किलो तक फल दे रहे पुराने पेड़

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक को अपनाने के बाद जो पेड़ पहले बेकार हो चुके थे, वे औसतन 50 से 60 किलो प्रति पेड़ तक फल देने लगते हैं। थोड़े से धैर्य और वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ किसान अपने पुराने आम के बाग को फिर से मुनाफे का सौदा बना सकते हैं।

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