भारत सरकार का बड़ा दावा, विकसित भारत बिल को बताया क्रांतिकारी

यह परिणाम आधारित मानदंड तय करेगी, मान्यता एजेंसियों को सूचीबद्ध करेगी और मान्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करेगी। मानक परिषद (Standards Council) शैक्षणिक मानक तय करेगी, पढ़ाई के नतीजे, क्रेडिट ट्रांसफर, छात्र आवाजाही और शिक्षकों के न्यूनतम मानदंड निर्धारित करेगी।

धर्मेंद्र प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 06:11 PM
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Developed India Education Bill 2025 : भारत सरकार ने बहुत बड़ा दावा किया है। भारत सरकार का बड़ा दावा यह है कि संसद में पेश किया गया विकसित भारत शिक्षा बिल क्रांतिकारी कदम है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि विकसित भारत शिक्षा बिल के द्वारा भारत की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएगा। भारत सरकार ने विकसित भारत शिक्षा बिल सोमवार को संसद में पेश किया था। संसद ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति यानि JPC के पास भेज दिया है।

भारत की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाएगा विकसित भारत शिक्षा बिल

आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए विकसित भारत शिक्षा बिल में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इस विधेयक के तहत उच्च शिक्षा के लिए एक कानूनी आयोग बनाया जाएगा, जो नीति निर्धारण और समन्वय की सर्वोच्च संस्था होगी। यह आयोग सरकार को सलाह देगा, भारत को शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने पर काम करेगा और भारतीय ज्ञान परंपरा व भाषाओं को उच्च शिक्षा से जोड़ेगा। आयोग में एक अध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षाविद, विशेषज्ञ, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि और एक पूर्णकालिक सदस्य सचिव होंगे। आयोग के तहत तीन स्वतंत्र परिषदें काम करेंगी, ताकि किसी तरह का टकराव न हो। तीनों परिषदों के काम का निर्धारण भी कर दिया गया है।  नियामक परिषद (Regulatory Council) उच्च शिक्षा की निगरानी करेगी। यह संस्थानों के प्रशासन, वित्तीय पारदर्शिता, शिकायत निवारण और शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने का काम करेगी। मान्यता परिषद (Accreditation Council) संस्थानों की मान्यता व्यवस्था देखेगी। यह परिणाम आधारित मानदंड तय करेगी, मान्यता एजेंसियों को सूचीबद्ध करेगी और मान्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करेगी। मानक परिषद (Standards Council) शैक्षणिक मानक तय करेगी, पढ़ाई के नतीजे, क्रेडिट ट्रांसफर, छात्र आवाजाही और शिक्षकों के न्यूनतम मानदंड निर्धारित करेगी।

उच्च शिक्षा केन्द्र में लागू होगा कानून

भारत सरकार द्वारा पेश किया गया विकसित भारत शिक्षा बिल जब कानून बन जाएगा तो उच्च शिक्षा संस्थानों पर लागू किया जाएगा।  यह कानून केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों, डीम्ड यूनिवर्सिटी, IIT, NIT जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, कॉलेजों, ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों तथा 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' पर लागू होगा। हालांकि मेडिकल, कानून, फार्मेसी, नर्सिंग और संबद्ध स्वास्थ्य पाठ्यक्रम इस कानून के सीधे दायरे में नहीं होंगे, लेकिन उन्हें भी नए शैक्षणिक मानकों का पालन करना होगा। बिल में स्वायत्तता की बात की गई है, लेकिन केंद्र सरकार को कई शक्तियां भी दी गई हैं। केंद्र सरकार नीतिगत निर्देश दे सकेगी, प्रमुख पदों पर नियुक्ति करेगी, विदेशी विश्वविद्यालयों को मंजूरी देगी और जरूरत पडऩे पर आयोग या परिषदों को तय समय के लिए भंग भी कर सकेगी। सभी संस्थाएं सालाना रिपोर्ट, संसद की निगरानी और CAG ऑडिट के तहत जवाबदेह होंगी। Developed India Education Bill 2025

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सावधान : बाबा रामदेव की पतंजलि का सामान है मिलावटी

पतंजलि का नमूना फेल होने के बादा निर्देश जारी कर दिया गया है कि पतंजलि के लाल मिर्च पाउडर को बाजार से रीकॉल किया जाए। इस प्रकार भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि में बनने वाला सामान सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

पतंजलि उत्पादों पर गुणवत्ता जांच की रिपोर्ट ने बढ़ाई हलचल
पतंजलि उत्पादों पर गुणवत्ता जांच की रिपोर्ट ने बढ़ाई हलचल
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 04:37 PM
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Patanjali News : यदि आप बाबा रामदेव की पतंजलि फूड्स कंपनी का सामान इस्तेमाल करते हैं तो आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। सावधान रहने की आवश्यकता इसलिए है कि बाबा रामदेव की पतंजलि फूड्स कंपनी के द्वारा बनाया गया सामान मिलावटी हो सकता है। बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी का सामान मिलावटी है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। बाकायदा भारत सरकार ने संसद में यह बात बताई है। भारत सरकार ने संसद में दिए गए एक बयान में बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी की लाल मिर्च (लाल मिर्च पाउडर) को मिलावटी बताया है।

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि का मिर्च पाउडर असुरक्षित है

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने संसद में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया है कि वर्ष-2024-25 में चलाये गये मसालों को सैंपलिंग अभियाान के दौरान बाबा रामदेव की पतंजलि फूड्स निर्माण इकाई में बनाये लाल मिर्च पाउडर का नमूना असुरक्षित पाया गया है। श्री जाधव ने बताया कि पतंजलि के नमूने की जांच से पता चला है कि उसमें पाये गये कीटनाशक अवशेषों का स्तर निर्धारित सीमा से बहुत अधिक है। किसी भी खाद्यय पदार्थ में कीटनाशक अवशेषों का स्तर निर्धारित अधिकतम अवशेष सीमा MRL के तहत नापा जाता है। पतंजलि का नमूना फेल होने के बादा निर्देश जारी कर दिया गया है कि पतंजलि के लाल मिर्च पाउडर को बाजार से रीकॉल किया जाए। इस प्रकार भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि में बनने वाला सामान सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

पहले भी फेल हो चुके हैं पतंजलि के अनेक सैंपल

आपको बता दें कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के सैंपल फेल होने का यह पहला मामला नहीं है। दिसंबर के पहले सप्ताह में ही पतंजलि के द्वारा बनाये जाने वाले घी का सैंपल भी फेल हो चुका है। पतंजलि से बनने वाले घी का सैंपल राष्ट्रीय स्तर की लैब तथा उत्तराखंड राज्य स्तर की लैब से फेल साबित हुआ है। इस मामले में उत्तराखंड राज्य की अदालत ने पतंजलि के ऊपर जुर्माना भी लगाया है। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि अनेक प्रकार के खाने के सामान जैसे  कि घी, बिस्कुट, न्यूडल्स, शहद, मिर्ची पाउडर समेत अनेक सामान बनाकर बेचती है। कुछ दिन पहले ही पतंजलि के CEO संजीव अस्थाना ने पतंजलि फूड्स द्वारा बनाये गये लाल मिर्च पाउडर को बाजार से वापस लेने की घोषणा थी।

पतंजलि के खराब उत्पाद के कारण जेल भी जा चुके हैं कंपनी के अधिकारी

बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी के नमूने फेल होने का सिलसिला बहुत पुराना है। वर्ष-2024 की बात करें तो उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के CGM ने पतंजलि के सोन पापड़ी की गुणवत्ता खराब होने के कारण पतंजलि कंपनी के एक असिस्टेंट मैनेजर सहित 3 लोगों को 6 महीने की जेल की सजा भी सुनाई थी। इससे पहले उत्तराखंड प्रदेश के राजय लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पतंजलि आयुर्वेद लि. दिव्य फार्मेंसी के 14 उत्पादों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए थे। यह कार्यवाही ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स-1945 के बार-बार उल्लंघन के आरोप में की गई थी। दिव्य फार्मेसी तथा पतंजलि आयुर्वेद लि. भी बाबा रामदेव की ही कंपनी है। बाबा रामदेव की कंपनी के द्वारा बनाये जाने वाले ‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी’, ‘ब्रॉन्चोम’, ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवालेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवामृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड’ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ के लाइसेंस सस्पेंड किए जा चुके हैं। Patanjali News

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बड़ी खबर: नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को राहत, ED को लगा झटका

हालांकि, फैसले के साथ एक ‘टेक्निकल’ झटका भी लगा कोर्ट ने साफ किया कि सोनिया गांधी समेत अन्य आरोपियों को अभी एफआईआर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जाएगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनके लिए अगला कदम थोड़ा जटिल हो सकता है।

सोनिया-राहुल को फिलहाल राहत
सोनिया-राहुल को फिलहाल राहत
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar16 Dec 2025 01:09 PM
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National Herald Case : नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दाखिल अभियोजन शिकायत पर फिलहाल संज्ञान लेने से इनकार कर दिया, जिससे सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित अन्य आरोपियों को इस चरण पर राहत मिली। हालांकि, फैसले के साथ एक ‘टेक्निकल’ झटका भी लगा कोर्ट ने साफ किया कि सोनिया गांधी समेत अन्य आरोपियों को अभी एफआईआर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जाएगी,  जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनके लिए अगला कदम थोड़ा जटिल हो सकता है।

कोर्ट ने ED की शिकायत पर संज्ञान क्यों नहीं लिया?

मंगलवार को राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ईडी की कार्रवाई किसी एफआईआर से नहीं, बल्कि सुब्रमण्यम स्वामी की निजी शिकायत और उस पर मजिस्ट्रेट की ओर से जारी समन आदेशों की प्रक्रिया से निकली है। ऐसे में अदालत के मुताबिक, मौजूदा चरण में ईडी की अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेना न्यायिक रूप से उचित नहीं है।

“प्रीडिकेट ऑफेंस” का मुद्दा क्या रहा?

अदालत ने अपने आदेश में ईडी की कार्रवाई की कानूनी नींव पर सीधा सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी CBI ने अब तक कोई ‘प्रीडिकेट ऑफेंस’ दर्ज नहीं किया है, इसके बावजूद ईडी ने जांच को आगे बढ़ाया। अदालत के मुताबिक, जब आधारभूत एफआईआर ही मौजूद नहीं है, तो मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और उसी पर टिकी प्रोसिक्यूशन कम्प्लेंट को टिकाऊ नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस स्तर पर मामले के गुण-दोष यानी ‘मेरिट्स’ पर बहस में जाने की जरूरत नहीं है। 

FIR कॉपी पर गांधी परिवार को क्यों लगा झटका?

कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि इस चरण पर आरोपियों को एफआईआर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। इस फैसले को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से जुड़ी एफआईआर के संदर्भ में खासा अहम माना जा रहा है। इसी मुद्दे पर दिल्ली पुलिस की याचिका पर सोमवार के बाद मंगलवार को भी सुनवाई हुई, जिससे संकेत मिलता है कि एफआईआर कॉपी से जुड़ा कानूनी पहलू फिलहाल न्यायिक जांच के केंद्र में है।

नई FIR कब दर्ज हुई?

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 3 अक्टूबर को नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले में एक नई एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड सहित कई अन्य को आरोपी बनाया गया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपियों की ओर से इसकी प्रति उपलब्ध कराने की मांग उठी, लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट के ताज़ा आदेश ने साफ कर दिया है कि फिलहाल इस मांग पर राहत नहीं दी जाएगी।

नेशनल हेराल्ड केस की पृष्ठभूमि क्या है?

नेशनल हेराल्ड की कहानी आज़ादी के दौर की राजनीति और पत्रकारिता से जुड़ी रही है। 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अख़बार की नींव रखी थी और इसका प्रकाशन Associated Journals Limited (AJL) के जरिए होता था। लेकिन आर्थिक दबावों के चलते 2008 में अख़बार का प्रकाशन बंद हो गया, जिसके बाद यह मामला धीरे-धीरे एक बड़े विवाद में बदलता गया। आगे चलकर 2010 में ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से एक कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी होने की बात कही जाती है।

ED की जांच में क्या आरोप/दावे सामने आए?

ईडी ने अपनी जांच में इस सौदे को विवाद की जड़ बताया है। एजेंसी का दावा है कि ‘यंग इंडियन’ ने मात्र 50 लाख रुपये में एजेएल की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर अधिकार स्थापित कर लिया, जबकि वास्तविक बाजार कीमत इससे कहीं ज्यादा मानी जा रही है। इसी आधार पर ईडी ने नवंबर 2023 में एजेएल की करीब 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां और 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को कार्रवाई के दायरे में लाकर ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’ करार देने की बात कही थी। National Herald Case

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