Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र की प्रमुख दो पार्टियां, शिवसेना और एनसीपी, अब दो भागों में बंट चुकी हैं। यह पहली बार है जब दोनों पार्टियों के विभाजित गुट एक-दूसरे के सामने हैं। कानूनी संघर्ष के बाद, शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिह्न, धनुष-बाण, शिंदे गुट के पास चला गया है। इसी प्रकार, एनसीपी का चुनाव चिह्न घड़ी, अजित पवार के गुट को मिल चुका है।
असली पार्टी कौन है?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आज इस बात का फैसला करेंगे कि “असली पार्टी” कौन सी है, खासकर शिवसेना और एनसीपी के संदर्भ में। इन चुनावों के परिणाम न केवल यह तय करेंगे कि राज्य में सरकार किसकी बनेगी, बल्कि यह भी कि शिवसेना और एनसीपी के किस गुट को जनता ‘असली’ मानती है। दोनों ही पार्टियां टूट चुकी हैं, और यह पहला विधानसभा चुनाव है जब इनके दोनों धड़े सीधे मुकाबले में हैं।
शिवसेना का संघर्ष
शिवसेना के दोनों धड़े, शिंदे गुट और ठाकरे गुट, आमने-सामने हैं। कानूनी लड़ाई के बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और धनुष-बाण चुनाव चिह्न मिल चुका है। वहीं ठाकरे गुट ने ‘मशाल’ के चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया। शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे गुट दोनों के पास अपनी-अपनी पहचान है, लेकिन जनता को यह तय करना है कि असली शिवसेना कौन सी है।
एनसीपी का संकट
एनसीपी में भी वही स्थिति है, जहां अजित पवार गुट और शरद पवार गुट दोनों के बीच संघर्ष है। अजित पवार गुट को चुनाव चिह्न के रूप में घड़ी मिल चुकी है, जबकि शरद पवार गुट ‘तुरही बजाते आदमी’ के चिह्न के साथ चुनाव लड़ रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी की जड़ें गहरी हैं, और इस चुनाव में बारामती सीट पर खासा ध्यान केंद्रित होगा, जहां शरद पवार का परिवार दशकों से अपना दबदबा बनाए हुए है। अजित पवार और युगेंद्र पवार के बीच कड़ा मुकाबला होगा, जो शरद पवार के पोते हैं।
बारामती की महत्वपूर्ण सीट पर कड़ा मुकाबला
बारामती सीट पर इस बार अजित पवार और युगेंद्र पवार के बीच सीधा मुकाबला है। लोकसभा चुनाव में जहां सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी सुनेत्रा पवार को हराया था, वहीं विधानसभा चुनाव में भी पवार परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। अजित पवार आठवीं बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, और उनकी जीत-हार से एनसीपी के ‘असली’ होने का सवाल तय होगा।
शिवसेना के बीच मुकाबला
शिवसेना के दोनों गुटों के बीच एक और महत्वपूर्ण मुकाबला कोपरी पचपाखड़ी सीट पर होगा। यहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट के केदार दिघे के बीच भिड़ंत होगी। यह सीट ना केवल राजनीति के लिहाज से अहम है, बल्कि दोनों ही गुटों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है।
नतीजे और भविष्य की दिशा
विधानसभा चुनाव के परिणाम से यह साफ हो जाएगा कि जनता के नजरिए में असली पार्टी कौन सी है। अगर शिंदे गुट को जीत मिलती है, तो इसका मतलब होगा कि ठाकरे ब्रांड के बिना भी शिवसेना अस्तित्व में रह सकती है। वहीं, अगर ठाकरे गुट की जीत होती है, तो इसका असर बीएमसी चुनावों में भी दिखेगा।
बीएमसी चुनावों पर असर
शिवसेना की राजनीति की नींव मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों में है। अगर शिंदे गुट को विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें मिलती हैं, तो ठाकरे गुट को बीएमसी में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर ठाकरे गुट को बढ़त मिलती है, तो वे अपनी पकड़ बीएमसी पर बनाए रख सकते हैं। इस चुनाव से यह तय होगा कि असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन सी है, और महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी। Maharashtra Assembly Elections 2024