भारत के मुख्य न्यायधीश ने बताया मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता का फर्क
ऐसे लोग केवल वर्तमान मामले पर ध्यान केन्द्रित करके मामला निर्माता बन जाते हैं। दूसरे प्रकार के वकील देश को हमेशा सर्वोच्च मानकर देश के हित में काम करते हैं। ऐसे वकील सही मायनों में राष्ट्र निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि देश को मामला निर्माता नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता वकीलों की आवश्यकता है।

Justice Suryakant : भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने बहुत बड़ी बात कही है। एक समारोह में युवा वकीलों को संबोधित करते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता का फर्क युवा वकीलों को समझाया। समारोह में धाराप्रवाह बोलते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज एक स्मारक नहीं है बल्कि एक विलक्षण खाका है।
मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता में बड़ा अंतर है
पंजाब प्रदेश के पटियाला में राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय स्थापित है। पटियाला के राजीव गाँधी राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वकील दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के वकील किसी केस अथवा मामले को जीतने के लिए तैयार करते हैं। ऐसे लोग केवल वर्तमान मामले पर ध्यान केन्द्रित करके मामला निर्माता बन जाते हैं। दूसरे प्रकार के वकील देश को हमेशा सर्वोच्च मानकर देश के हित में काम करते हैं। ऐसे वकील सही मायनों में राष्ट्र निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि देश को मामला निर्माता नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता वकीलों की आवश्यकता है।
हमारा संविधान महज एक स्मारक नहीं है
भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने जोर देकर कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज स्मारक नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान एक विलक्षण खाका है। न्यायालय इसकी व्याख्या करते हैं तथा भारत की तमाम बड़ी संस्थाएं इसे संरचना प्रदान करती हैं। हमारे युवा वकीलों के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि उन्हें ही यह तय करना है कि आगे चलकर भारत कैसा राष्ट्र बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक युवा वकील को राष्ट्र निर्माता बनने की दिशा में आगे बढऩा है।
वकील की भूमिका के विषय में जरूर सोच लें
भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब भी उन्हें इतने युवा और ऊर्जावान श्रोत्राओं को संबोधित करने का सौभाग्य मिलता है, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मैं मानता हूं कि आप में से अधिकतर लोग वकील बनेंगे।" न्यायमूर्ति कांत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब कई छात्रों ने कानून का अध्ययन करने का विकल्प चुना, तो उन्होंने शायद खुद को ऐतिहासिक मामलों में बहस करते हुए. जटिल अनुबंधों का मसौदा तैयार करते हुए या शायद, एक दिन संवैधानिक पीठों को संबोधित करते हुए कल्पना की होगी, जो कि सराहनीय महत्वाकांक्षाएं हैं और उनमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, "लेकिन मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप रुके और एक व्यापक, अधिक स्थायी प्रश्न पर विचार करें - भारत जैसे राष्ट्र में, उसके इतिहास के इस मोड़ पर, एक वकील की क्या भूमिका है? मैं इस पर जोर देता हूं, क्योंकि मैं भली-भांति जानता हूं कि हम अक्सर कानूनी पेशे को एक संकीर्ण प्रक्रिया तक सीमित कर देते हैं - मुकदमे जीतना, घंटों का हिसाब रखना, प्रक्रिया में महारत हासिल करना।" Justice Suryakant
Justice Suryakant : भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने बहुत बड़ी बात कही है। एक समारोह में युवा वकीलों को संबोधित करते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता का फर्क युवा वकीलों को समझाया। समारोह में धाराप्रवाह बोलते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज एक स्मारक नहीं है बल्कि एक विलक्षण खाका है।
मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता में बड़ा अंतर है
पंजाब प्रदेश के पटियाला में राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय स्थापित है। पटियाला के राजीव गाँधी राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वकील दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के वकील किसी केस अथवा मामले को जीतने के लिए तैयार करते हैं। ऐसे लोग केवल वर्तमान मामले पर ध्यान केन्द्रित करके मामला निर्माता बन जाते हैं। दूसरे प्रकार के वकील देश को हमेशा सर्वोच्च मानकर देश के हित में काम करते हैं। ऐसे वकील सही मायनों में राष्ट्र निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि देश को मामला निर्माता नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता वकीलों की आवश्यकता है।
हमारा संविधान महज एक स्मारक नहीं है
भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने जोर देकर कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज स्मारक नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान एक विलक्षण खाका है। न्यायालय इसकी व्याख्या करते हैं तथा भारत की तमाम बड़ी संस्थाएं इसे संरचना प्रदान करती हैं। हमारे युवा वकीलों के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि उन्हें ही यह तय करना है कि आगे चलकर भारत कैसा राष्ट्र बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक युवा वकील को राष्ट्र निर्माता बनने की दिशा में आगे बढऩा है।
वकील की भूमिका के विषय में जरूर सोच लें
भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब भी उन्हें इतने युवा और ऊर्जावान श्रोत्राओं को संबोधित करने का सौभाग्य मिलता है, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मैं मानता हूं कि आप में से अधिकतर लोग वकील बनेंगे।" न्यायमूर्ति कांत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब कई छात्रों ने कानून का अध्ययन करने का विकल्प चुना, तो उन्होंने शायद खुद को ऐतिहासिक मामलों में बहस करते हुए. जटिल अनुबंधों का मसौदा तैयार करते हुए या शायद, एक दिन संवैधानिक पीठों को संबोधित करते हुए कल्पना की होगी, जो कि सराहनीय महत्वाकांक्षाएं हैं और उनमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, "लेकिन मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप रुके और एक व्यापक, अधिक स्थायी प्रश्न पर विचार करें - भारत जैसे राष्ट्र में, उसके इतिहास के इस मोड़ पर, एक वकील की क्या भूमिका है? मैं इस पर जोर देता हूं, क्योंकि मैं भली-भांति जानता हूं कि हम अक्सर कानूनी पेशे को एक संकीर्ण प्रक्रिया तक सीमित कर देते हैं - मुकदमे जीतना, घंटों का हिसाब रखना, प्रक्रिया में महारत हासिल करना।" Justice Suryakant












