Saturday, 23 November 2024

Parliament News : बजट सत्र के दूसरे चरण का पहला सप्ताह : लोकसभा 66 मिनट, राज्यसभा 159 मिनट चली

नई दिल्ली। संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले सप्ताह में विभिन्न मुद्दों पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष…

Parliament News : बजट सत्र के दूसरे चरण का पहला सप्ताह : लोकसभा 66 मिनट, राज्यसभा 159 मिनट चली

नई दिल्ली। संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले सप्ताह में विभिन्न मुद्दों पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक जहां मात्र 66 मिनट चली, वहीं राज्यसभा कुल 159 मिनट ही चल पाई।

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संसद के बजट सत्र में सोमवार को दूसरे चरण में प्रारंभ से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए हैं। जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दे रहे हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण पूरा सप्ताह लोकसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्यवाही बाधित रही और अन्य कामकाज भी नहीं हो सका।

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पूरे सप्ताह के दौरान हंगामे के बीच ही लोकसभा में 17 मार्च को सबसे अधिक 20 मिनट बैठक चली, जबकि 16 मार्च को सबसे कम तीन मिनट कार्यवाही चली। विधायी कार्य के तहत 13 मार्च को सदन में वर्ष 2022-23 के अनुदान की अनुपूरक मांग के दूसरे बैच का दस्तावेज और वर्ष 2023-24 के लिए जम्मू कश्मीर की अनुदान की मांग पेश की गई। वहीं 15 मार्च को रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने निचले सदन में अंतर सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक 2023 पेश किया। इस प्रकार लोकसभा में इस सप्ताह हंगामे के बीच केवल 66 मिनट ही कार्यवाही चली।

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राज्यसभा में बजट सत्र के पहले सप्ताह 159 मिनट कार्यवाही चली। उच्च सदन में पूरे सप्ताह में 14 मार्च को सबसे अधिक 82 मिनट और 16 मार्च को सबसे कम तीन मिनट बैठक चली। मंगलवार 14 मार्च को राज्यसभा ने ऑस्कर जीतने पर तेलुगु फिल्म ‘आरआरआर’ और तमिल वृत्तचित्र ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ की पूरी टीम को बधाई दी। इसी दिन उच्च सदन में वर्ष 2022-23 के अनुदान की अनुपूरक मांग के दूसरे बैच का दस्तावेज और वर्ष 2023-24 के लिए जम्मू कश्मीर की अनुदान की मांग पेश की गई ।

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संसद में जारी गतिरोध और बहुत कम कामकाज होने के बारे में पूछे जाने पर संविधान विशेषज्ञ एवं लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा कि हंगामा और गतिरोध का होना कोई नयी बात नहीं है, लेकिन प्रयास होना चाहिए कि सत्र हंगामे की भेंट नहीं चढ़े। उन्होंने कहा कि सरकार अपना कामकाज निपटाने के लिए सत्र बुलाती है, ऐसे में सदन चलाने की प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार की होती है। आचारी ने कहा कि अगर सदन में इस प्रकार से शोर शराबा होता है और सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता है तब इसका मतलब है कि सत्ता पक्ष ने अपना दायित्व पूरी तरह से नहीं निभाया है।

लोकसभा के पूर्व महासचिव ने कहा कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए पहल सरकार की तरफ से होनी चाहिए, उन्हें प्रतिपक्ष से बात करनी चाहिए तथा उनकी चिंताओं के समाधान का रास्ता निकालना चाहिए।

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