मक्का की खेती: किसानों के लिए टिकाऊ और लाभकारी विकल्प

भारत में बदलते मौसम और घटते जल संसाधनों के बीच मक्का (कॉर्न) किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रही है। मक्का को ‘अनाज की रानी’ भी कहा जाता है क्योंकि अन्य फसलों की तुलना में इसकी पैदावार अधिक होती है और यह अनाज व चारे—दोनों के रूप में उपयोग की जाती है।

Corn cultivation
मक्का की खेती (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar20 Dec 2025 12:45 PM
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बता दें कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मक्का की फसल केवल तीन महीनों में तैयार हो जाती है, जबकि धान को पकने में लगभग 145 दिन लगते हैं। यही नहीं, मक्का धान की तुलना में लगभग 90 प्रतिशत कम पानी और 79 प्रतिशत तक मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बचाए रखती है। वाइस चांसलर के अनुसार, मक्का की खेती से किसान अपनी खराब और कम उपजाऊ जमीन को भी संरक्षित कर सकते हैं।

बहुउपयोगी फसल

मक्का से स्टार्च, कॉर्न फ्लैक्स, ग्लूकोज, तेल और शराब जैसे कई औद्योगिक उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके अलावा यह पोल्ट्री और पशु आहार के रूप में भी व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है। यही कारण है कि गेहूं और धान की तुलना में मक्का किसानों को अधिक आर्थिक लाभ देती है।

देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब मक्का उत्पादन में अग्रणी हैं। दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

मिट्टी और जलवायु की अनुकूलता

मक्का लगभग हर प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, बशर्ते जल निकास अच्छा हो। मैरा और लाल मिट्टी जिसमें नाइट्रोजन की उचित मात्रा हो, मक्का के लिए उपयुक्त मानी जाती है। अधिक पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। विशेषज्ञ मिट्टी की जांच कराने की भी सलाह देते हैं।

उन्नत किस्में दे रही हैं बेहतर पैदावार

पंजाब और अन्य राज्यों के लिए कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें प्रभात, केसरी, PMH-2, JH-3459, प्रकाश, मेघा, पंजाब साथी-1, पर्ल पॉपकॉर्न और पंजाब स्वीट कॉर्न प्रमुख हैं। इसके अलावा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और अन्य अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित हाइब्रिड किस्में जैसे JH-10655, HQPM-1 और FH-3211 भी किसानों में लोकप्रिय हो रही हैं।

खेत की तैयारी और बीज दर

विशेषज्ञों के अनुसार मक्का की खेती के लिए खेत को खरपतवार और पिछली फसल के अवशेषों से मुक्त रखना चाहिए। 6–7 बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और प्रति एकड़ 4–6 टन गोबर की खाद डालें।

फसल के उद्देश्य के अनुसार बीज की मात्रा तय की जाती है—

  • खरीफ मक्का: 8–10 किलो प्रति एकड़
  • स्वीट कॉर्न: 8 किलो
  • बेबी कॉर्न: 16 किलो
  • पॉप कॉर्न: 7 किलो
  • चारा मक्का: 20 किलो प्रति एकड़

मिश्रित खेती और बीज उपचार

मक्का के साथ मटर या गन्ने की मिश्रित खेती कर किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। फसल को रोगों से बचाने के लिए बीज उपचार आवश्यक है। कार्बेन्डाजिम या थीरम से उपचार के बाद अज़ोस्पिरिलम का प्रयोग मिट्टी में नाइट्रोजन बनाए रखने में सहायक होता है।

किसानों के लिए बेहतर विकल्प

विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट और मिट्टी की गिरती उर्वरता के दौर में मक्का किसानों के लिए एक टिकाऊ और लाभकारी फसल साबित हो सकती है। कम लागत, कम पानी और बहुउपयोगी होने के कारण आने वाले समय में मक्का की खेती का दायरा और बढ़ने की संभावना है।

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भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश

भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन चुका है जिसमें संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत इस सूची में पहले स्थान पर है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं।

UN Migration Report
दुनिया के प्रवासी नक्शे में भारत सबसे ऊपर (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar18 Dec 2025 05:16 PM
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आज की दुनिया में लोगों का अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में बसना एक आम बात हो गई है। बेहतर नौकरी, उच्च शिक्षा, सुरक्षित जीवन, अधिक आय और बेहतर सुविधाएँ पाने की चाह में लोग अपने जन्मस्थान से दूर जाने को मजबूर हैं। इस प्रक्रिया को प्रवासन कहा जाता है, और जिन लोगों को यह निर्देशित करता है, उन्हें प्रवासी कहा जाता है। बता दें कि हर साल 18 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज दुनिया में लगभग 27 करोड़ 20 लाख यानी 272 मिलियन लोग अपने देश से बाहर रह रहे हैं। इनमें से कई मजबूरी में विस्थापित भी हैं, जो रोज नई परेशानियों का सामना कर रहे हैं। 

किस देश के लोग सबसे अधिक छोड़ रहे हैं अपना मुल्क?

संयुक्त राष्ट्र की 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024' के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत से लगभग 1 करोड़ 81 लाख लोग विदेशों में बस चुके हैं। भारतीय पेशेवरों, विद्यार्थियों और मजदूरों की विश्वभर में जबरदस्त मांग के कारण यह संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है, जहां करीब 1 करोड़ 12 लाख नागरिक विदेशों में रहते हैं। रूस (1 करोड़ 8 लाख), चीन (1 करोड़ 5 लाख), बांग्लादेश (78 लाख), फिलीपींस (65 लाख), यूक्रेन (61 लाख), पाकिस्तान (60 लाख), इंडोनेशिया (45 लाख) और नाइजीरिया (20 लाख) भी प्रमुख देश हैं, जहां से बड़ी संख्या में लोग बेहतर जीवन, आर्थिक अवसर और शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं।

भारत किस पायदान पर है?

बता दें कि भारत में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, अधिक वेतन वाली नौकरियों, उच्च शिक्षा और रिसर्च के अवसर हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 तक, भारत से 20 लाख से अधिक नागरिक विदेश जाकर बस चुके हैं। 2022 में रिकॉर्ड 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी, तो 2023 में यह संख्या 2.16 लाख पहुंच गई। 2024 के आंकड़े अभी आना बाकी हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है।

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ईपीएफओ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar18 Dec 2025 03:50 PM
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