Tuesday, 26 November 2024

प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर SC सख्त, स्टैंडर्ड चार्ज लागू करने को कहा

Supreme Court :  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानी 27 फरवरी को प्राइवेट अस्पतालों के जरिए अवैध वसूली किए जाने पर…

प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर SC सख्त, स्टैंडर्ड चार्ज लागू करने को कहा

Supreme Court :  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानी 27 फरवरी को प्राइवेट अस्पतालों के जरिए अवैध वसूली किए जाने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट  14 साल पुराने कानून ‘क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट (सेंट्रल गवर्नमेंट)’ नियम को लागू करने में केंद्र की असमर्थता को लेकर सख्त हुआ है। नियमों के तहत राज्यों से सलाह के बाद महानगरों, शहरों और कस्बों में बीमारियों के इलाज और उपचार के लिए एक स्टैंडर्ड रेट का नोटिफिकेशन जारी करना अनिवार्य है।

अस्पाताल को लेकर कोर्ट का बयान

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को बताया कि उसने बार-बार राज्यों को इस मुद्दे पर लिखा है, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। कोर्ट ने इस मामने में कहा है कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार है और केंद्र अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती। अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को कहा कि वह एक महीने के भीतर स्टैंडर्ड रेट के नोटिफिकेशन जारी करने के लिए राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक करें।

 SC ने की सीजीएसएच लागू करने की बात

प्राइवेट अस्पतालों के अवैध रेट मामले में Supreme Court ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर केंद्र सरकार इस समस्या का समाधान ढूंढने में विफल होती है, तो हम देशभर में मरीजों के इलाज के लिए सीजीएसएच-निर्धारित स्टैंडर्ड रेट को लागू करने के लिए याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करेंगे।  दरअसल, हेल्थकेयर हर नागरिक के लिए सबसे जरूरी पहलुओं में से एक है।  लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि प्राइवेट अस्पतालों में मनमानी फीस के चार्ज से मरीजों को दिक्कत होने लगती है।

किसने दायर की याचिका?

दरअसल, वकील दानिश जुबैर खान के जरिए एनजीओ ‘वेटरन्स फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ’ ने Supreme Court में एक जनहित याचिका दायर की। इसमें ‘क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट (केंद्र सरकार) नियम, 2012’ के नियम 9 के संदर्भ में मरीजों से ली जाने वाली फीस की दर निर्धारित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके नियम के तहत सभी अस्पतालों को अपनी सर्विस के चार्ज की जानकारी स्थानीय भाषा के साथ अंग्रेजी में भी देनी पड़ेगी।

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