Noida/Greater Noida News : एक ओर पराली के धुएं की समस्या से दिल्लीवासी काफी परेशान रहते हैं। पंजाब और हरियाणा भी इस पराली को खपाने की जुगत में लगा रहता है। दूसरी ओर अब ग्रेनो में पंजाब और हरियाणा की पराली का इलाज ढूढ़ लिया गया है। यहां इससे बिजली और पैकेजिंग आइटम बन रहे हैं। यहां की तीन कंपनियों में रोजाना करीब 250 टन पराली की खपत हो रही हैं, लेकिन उससे वायु प्रदूषण नहीं हो रहा है। पराली के प्रयोग से कंपनियों की बचत भी बढ़ी है।
गीले कूड़े से करीब 500 किलो बायोगैस तैयार हो रही
नोएडा में गीले कूड़े से बायोगैस बनाने का प्लांट लगाया गया है। अब नोएडा में प्रतिदिन गीले कूड़े से करीब 500 किलो बायोगैस तैयार होने लगी है। इस गैस की सप्लाई स्कूल, रेस्तरां, अस्पताल व अन्य जगहों पर हो रही है। इस गैस की कीमत एलपीजी के वाणिज्यिक सिलिंडर की तुलना में करीब 50 रुपये प्रति किलो कम पड़ रही है। साथ ही करीब 13 मीट्रिक टन गीले कूड़े का भी निस्तारण हो रहा है।
प्रतिबंधित ईंधन की जगह पराली का प्रयोग
हर साल पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलने वाली पराली की वजह से सर्दी के मौसम में दिल्ली एनसीआर की हवा प्रदूषित हो जाती है। इसकी वजह पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलने वाली पराली के धुंए को माना जाता है। इससे निजात दिलाने के लिए उद्योग विहार एक्सटेंशन इकोटेक-2 की ई-पैक, सेक्टर साइट-बी की ईस्ट इंडिया टेक्नोलॉजी और उद्योग विहार की स्पेरी प्लास्ट समेत तीन कंपनियों ने पहल करते हुए प्रतिबंधित ईंधन की जगह पराली का प्रयोग कर रही हैं। इसके लिए इन कंपनियों में वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था डिवाइस इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर का प्रयोग किया है। जो काले धुएं को सफेद में बदल रहा है। पराली की राख से खाली जमीन के गड्ढों को भरा जा रहा है।
तीनों कंपनियों ने परीली से बिजली बनाना शुरू कर दिया
नोएडा की इन तीनों कंपनियों जिनमें ईस्ट इंडिया में रोजाना करीब 120 टन, ई-पैक में 50 टन और स्पेरी प्लास्ट में 50 टन से अधिक पराली की खपत हो रही है। वहीं नोएडा में कूड़ा निस्तारण के लिए मीन बायोमेथिनाइजेशन प्लांट सेक्टर-34, 52, 100, 50, 30, 51, 71 में लगाए गए हैं। एजेंसी का जिम्मा सेक्टर व वाणिज्यिक क्षेत्र से गीले व सूखे कूड़े का कलेक्शन कर निस्तारण करने का भी है। एजेंसी का सेक्टर व वाणिज्यिक क्षेत्र से गीले व सूखे 50 टन कूड़े का कलेक्शन कर निस्तारण करने का भी प्लान है। शहर से करीब 600 मीट्रिक टन गीला व 160 मीट्रिक टन सूखा कूड़ा निकल रहा है। 400 मीट्रिक टन गीला कूड़ा बड़े कूड़ा उत्पादकों व 200 आबादी एरिया का है। इसके लिए सेक्टर-80 और 119 में दो एमआरएफ सेंटर बने हुए हैं। इन सेंटर पर कूड़े से छंटनी कर वह सामान निकाला जाता है जो रिसाइकिल करने या दोबारा उपयोग करने में लाया जा सके।
स्कूल, रेस्तरां व अस्पताल में हो रही गैस की सप्लाई
इंडिया सेक्टर-34 में लगाए गए प्लांट की क्षमता 2.5 मीट्रिक टन गीले कूड़े के निस्तारण की है। प्लांट पर स्पेरी पूरा सेक्टर-34 व जनता फ्लैट का कूड़ा कलेक्शन कर एजेंसी मंगवाती है और निस्तारण करती है। बायोगैस मानस अस्पताल, इंदु अस्पताल, डॉग शेल्टर, अपना घर अस्पताल व बिल्ला बांग स्कूल को सप्लाई होती है। गैस की कीमत 40 रुपये प्रति किलो एजेंसी लेती है। सेक्टर-30 में 500 किलो गीला कूड़ा निस्तारण की क्षमता वाले प्लांट से बनने वाली गैस की सप्लाई डीपीएस में होती है। सेक्टर-52 में 2.5 मीट्रिक टन गीला कूड़ा निस्तारण की क्षमता वाला प्लांट है। इससे बीकानेर रेस्तरां को सप्लाई होती है। एजेंसी रेस्तरां से 30 रुपये प्रतिकिलो कीमत लेती है। सेक्टर-50 में क्षमता 2.5 मीट्रिक टन की है। यहां से सप्लाई कोठारी पब्लिक स्कूल में होती है। Noida/Greater Noida News
15 से 20 करोड़ में लगाया नया सेटअप
करीब 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च कर नया सेटअप तैयार किया गया है। खास किस्म के बॉयलर के साथ बिजली उत्पादन के लिए टर्बाइन लगाई गई है। साथ ही वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था डिवाइस लगाई है। पराली के प्रयोग से उद्यमियों को बचत भी हो रही है। करीब 15 से 20 प्रतिशत का खर्च बच रहा है। डिवाइस की मदद से प्रदूषण के कणों को हवा में जाने से रोका जा रहा है। Noida/Greater Noida News
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