Monday, 12 May 2025

Sri Guru Granth Sahib Ji: आज गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व, 100 क्विंटल फूलों से सजा स्वर्ण मंदिर

Sri Guru Granth Sahib Ji: आज पंजाब के अमृतसर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले पावन प्रकाश पर्व…

Sri Guru Granth Sahib Ji: आज गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व, 100 क्विंटल फूलों से सजा स्वर्ण मंदिर

Sri Guru Granth Sahib Ji: आज पंजाब के अमृतसर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले पावन प्रकाश पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इस खास मौके पर अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर को फूलों से सुसज्जित किया गया है। अमृतसर में आज पंजाब सरकार के सभी सरकारी दफ्तर, बोर्ड कॉरपोरेशन और सरकारी शैक्षिक संस्थानों में अवकाश की घोषणा की गई है।

100 क्विंटल फूलों से सजा गोल्डन टेंपल :

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (Sri Guru Granth Sahib Ji) के पावन प्रकाश पर्व के उत्सव में आज अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर को 100 क्विंटल से भी अधिक फूलों से सुसज्जित किया गया है। सबसे खास बात यह है कि स्वर्ण मंदिर को सजाने में सिर्फ भारत के फूलों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि थाईलैंड, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और मलेशिया जैसे देशों से भी फूल एक्सपोर्ट किए गए हैं। 50 अलग-अलग वैरायटी के सौ क्विंटल से अधिक फुल स्वर्ण मंदिर को सजाने में इस्तेमाल किए गए हैं। प्रकाश पर्व के उत्सव की तैयारी बहुत भव्य तरीके से की गई है। स्वर्ण मंदिर की सजावट के लिए 180 कारीगरों को लगाया गया था। इसके साथ ही श्री गुरु रामदास जी के नाम पर बना अमृतसर का एयरपोर्ट भी फूलों से सुसज्जित किया गया है।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (Sri Guru Granth Sahib Ji) के प्रकाश पर्व की शुरुआत :

सिखों के पांचवे गुरु, गुरु अर्जन देव ने 1603 में गुरु ग्रंथ साहिब को लिखना शुरू किया, 1604 में लिखने का कार्य पूरा हुआ और इस ग्रंथ को ‘आदि ग्रंथ’ नाम दिया गया। इस ग्रंथ में बिना किसी भेदभाव के सभी विद्वानों और भक्तों की वाणी शामिल की गई। 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश दरबार साहिब में किया गया। इसके बाद से ही प्रतिवर्ष श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (Sri Guru Granth Sahib Ji) का प्रकाश पर्व पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाने लगा।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व की शुरुआत 1604 में हुई थी। इसी वर्ष सिखों के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने दरबार साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया था। 1430 पन्ने वाले इस ग्रंथ के पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा जी ने वाणी पढ़ने की शुरुआत की। बाबा बुड्ढा जिन्होंने पहले पातशाही से लेकर छठी पातशाही तक सिख धर्म की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया वहीं इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी थे।

पूरी मानव समाज को एक धागे में बांधता है गुरु ग्रंथ साहिब –

श्री गुरु ग्रंथ साहिब सिर्फ सिख धर्म के लिए नहीं बना है बल्कि यह ग्रंथ पूरे मानव समाज को एक सूत्र में बांधता है। यह ग्रंथ भेदभाव से उठकर, आपसी सद्भाव, भाईचारा, मानवता व समरसता का संदेश देने वाला ग्रंथ है।

आज डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु टेकेंगे स्वर्ण मंदिर में माथा :

आज श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर स्वर्ण मंदिर में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं के दरबार साहिब में दर्शन के लिए आने की संभावना व्यक्त की गई है।
आज प्रकाश पर्व के मौके पर श्री रामसर साहिब नगर कीर्तन निकलेगा जो स्वर्ण मंदिर तक ले जाया जाएगा। स्वर्ण मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए खास लंगर का इंतजाम किया गया है। जिसके लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जा रहे हैं। स्वर्ण मंदिर में आज रात में सुंदर व लुभावनी आतिशबाजी का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

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