मुंबई धमाके का सुप्रीम फैसला, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

Mumbai Local Train Blast
Mumbai Train Blast Case
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 10:28 PM
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Mumbai Train Blast Case: मुंबई में 2006 में हुए दिल दहला देने वाले सीरियल बम धमाकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया है। अदालत ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। फैसले के कुछ ही घंटे बाद, नागपुर सेंट्रल जेल से दो आरोपियों को रिहा भी कर दिया गया। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को "मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा"। साथ ही अदालत ने सभी 12 आरोपियों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते (एक माह) के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर यह आदेश जारी किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, "मैंने पूरी फाइल पढ़ी है। कुछ आरोपी पाकिस्तानी नागरिक भी हैं। इस मामले की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।" गौरतलब है कि सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को बरी कर दिया था, जिसके बाद नागपुर सेंट्रल जेल से दो आरोपियों को उसी शाम रिहा भी कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के इस दखल के बाद मामला फिर से कानूनी प्रक्रिया में लौट आया है।  
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उपराष्ट्रपति पद पर बीजेपी की नजर! नाम पर जल्द लगेगी मुहर

Who will be the next vice president
National News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:31 AM
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National News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश में एक बड़ा राजनीतिक मंथन शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। खास बात ये है कि एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में मजबूत संख्याबल है ऐसे में बीजेपी को अपने उम्मीदवार को चुनने में किसी तरह की कठिनाई नहीं आने वाली।

बीजेपी को चाहिए अपना उपराष्ट्रपति

सूत्रों की मानें तो बीजेपी इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए गठबंधन के सहयोगी दलों की बजाय पार्टी की विचारधारा से जुड़े किसी मजबूत चेहरे को आगे लाने की तैयारी में है। पार्टी चाहती है कि यह पद एक ऐसे नेता को मिले जिसकी छवि बेदाग हो, संगठन से जुड़ाव गहरा हो और जो संसदीय कार्यों में दक्षता रखता हो।

रामनाथ ठाकुर का नाम चर्चा में क्यों आया?

बीते दिनों बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और जेडीयू नेता व राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर की मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी थी। ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं और अतिपिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस मुलाकात को उपराष्ट्रपति पद से जोड़कर देखा जाने लगा। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह मुलाकात महज औपचारिक थी और इसका उपराष्ट्रपति पद से कोई लेना-देना नहीं था। नड्डा ने उस दिन कई अन्य सांसदों से भी मुलाकात की थी। बीजेपी ने न तो रामनाथ ठाकुर के नाम पर विचार किया है और न ही जेडीयू से इस विषय में कोई संवाद हुआ है। ऐसे में ठाकुर को लेकर चली अटकलें फिलहाल निराधार साबित हो रही हैं।

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धनखड़ के बाद किस पर भरोसा?

बीजेपी अब उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने संगठन या सरकार में अनुभवी नेता को मौका देने पर विचार कर रही है। जगदीप धनखड़ से पहले एम. वेंकैया नायडू जैसे संगठननिष्ठ और अनुभवी नेता इस पद पर रह चुके हैं। पार्टी इसी प्रकार के प्रोफाइल वाले चेहरे की तलाश कर रही है एक ऐसा व्यक्ति जो संसद की गरिमा बनाए रख सके, विपक्ष से संवाद कर सके और पार्टी की सोच का प्रतिनिधित्व कर सके। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, “हम एक ऐसा नाम सामने लाना चाहते हैं, जिसकी सार्वजनिक छवि मजबूत हो और जो हर दृष्टि से उपराष्ट्रपति पद के योग्य हो। संभावना है कि पार्टी किसी वरिष्ठ नेता या पूर्व केंद्रीय मंत्री को प्राथमिकता दे सकती है।”

हरिवंश संभाल रहे हैं फिलहाल राज्यसभा

उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने के बाद अब राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी पर भी नजरें हैं। हालांकि संविधान में उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में किसी अन्य व्यक्ति को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त करने का प्रावधान नहीं है। लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए उच्च सदन में पहले से ही उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह मौजूद हैं, जो फिलहाल अध्यक्षीय जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी नेतृत्व जल्द ही आंतरिक चर्चा और सहमति के बाद अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। पार्टी इस बार कोई चौंकाने वाला नाम भी सामने ला सकती है, लेकिन यह लगभग तय है कि उपराष्ट्रपति की कुर्सी बीजेपी के अपने खेमे से ही भरी जाएगी।
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प्रशांत किशोर के आंदोलन पर पुलिस का डंडा, PK समेत 300 पर FIR दर्ज

Prashant Kishor 3
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:08 AM
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Bihar Samachar: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर और उनके सैकड़ों समर्थकों पर पटना के सचिवालय थाना क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह FIR उस वक्त दर्ज की गई जब प्रशांत किशोर अपने समर्थकों के साथ विधानसभा का घेराव करने पहुंचे थे।

प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप

पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा सत्र के दौरान प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश की, जिससे विधि-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी। सिटी एसपी सेंट्रल दीक्षा ने बताया कि मजिस्ट्रेट के बयान के आधार पर प्रशांत किशोर समेत करीब 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बुधवार को जन सुराज के कार्यकर्ताओं ने प्रशांत किशोर के नेतृत्व में विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की। पुलिस ने पहले से बैरिकेडिंग कर रखी थी लेकिन जब प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने लगे तो हालात बिगड़ने लगे। स्थिति संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। प्रशांत किशोर को भी मौके पर हिरासत में लिया गया, हालांकि कुछ घंटों बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

शांतिपूर्ण प्रदर्शन या सत्ता की घबराहट?

जन सुराज अभियान के समर्थकों का दावा है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और पुलिस ने बिना किसी उकसावे के लाठीचार्ज किया। वहीं, प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारियों का रवैया उग्र होता जा रहा था और वे निषिद्ध क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे जिससे कानून-व्यवस्था संकट में पड़ सकती थी।

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चुनाव से पहले सियासी गर्मी तेज

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। प्रशांत किशोर लंबे समय से बिहार में बदलाव की राजनीति का दावा कर रहे हैं और लगातार सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते रहे हैं। उनका विधानसभा घेराव इसी रणनीति का हिस्सा था, जिसके जरिए वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार का ध्यान खींचना चाहते थे। अब जबकि FIR दर्ज हो चुकी है और सत्ताधारी दल विपक्षी दबाव में है आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।