Health: सनातन संस्कृति से जुड़ा 'जौ' अनेक रोगों की औषधि भी है!

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calendar22 Apr 2022 03:47 PM
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 विनय संकोची Health : सनातन भारतीय संस्कृति में जौ(Barley) का बहुत महत्व है। अनेक पर्व और धार्मिक अनुष्ठान जौ कि बिना पूरे नहीं होते हैं। बेटियों के विवाह के समय द्वाराचार जौ के बिना नहीं होता है। होली में लगने वाले नव भारतीय संवत में नवान्न खाने की परंपरा बिना जौ के पूरी होना संभव नहीं है। मृत्यु के बाद होने वाले कर्मकांड बिना जौ के अधूरे माने जाते हैं। वेदों द्वारा यज्ञ की आहुति के रूप में स्वीकार आ गया, जौ हमारे ऋषि-मुनियों का प्रमुख आहार था। जौ एक ऐसा अनाज है जो स्वादिष्ट भी है और सेहतमंद भी। जौ(Barley) में सोडियम(Sodium), पोटेशियम( Potassium), कार्बोहाइड्रेट्स(Carbohydrates), डाइटरी फाइबर(Dietary Fiber) , प्रोटीन(Protein), कैल्शियम(Calcium), आयरन(Iron), विटामिन बी6(Vitamin-B6), मैग्नीशियम (Magnesium) आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। 100 ग्राम जौ से 354 कैलोरी(calories) मिलती हैं। जौ को एक बहुमुखी अनाज के रूप में मान्यता प्राप्त है। लैक्टिक एसिड(Lactic Acid), सैलिसिलिक एसिड(Salicylic Acid) , फास्फोरिक एसिड(Phosphoric Acid) और अल्प मात्रा में कैरोटीन (Small amounts of Carotene)से युक्त जौ को आयुर्वेद बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य बताता है। आचार्य चरक ने यव (जौ) का उल्लेख नित्य सेवन योग्य द्रव्य के रूप में किया है। आइए जानते हैं जौ के गुण व उपयोग के बारे में -मधुमेह रोगियों (Diabetics) के लिए जौ किसी औषधि से कम नहीं है। जौ का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index)  इसे एक अच्छा आहार विकल्प बनाता है। छिलका रहित जौ को भून-पीसकर शहद व जल के साथ सत्तू बनाकर खाने या फिर दूध में घी के साथ दलिया का कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से मधुमेह से मुक्ति मिल सकती है। • जो का दलिया दूध के साथ सेवन करते रहने से मूत्राशय संबंधी अनेक विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। 50 ग्राम जौ को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो ठंडा कर दिन में तीन बार सेवन करें। पेशाब में खून आने की शिकायत दूर हो जाएगी। • आजकल सभी लोग छरहरा दिखना चाहते हैं, खासतौर से वे जो मोटापे से परेशान हैं। जौ के सत्तू और त्रिफला के काढ़े में थोड़ा-सा शहद मिलाकर नियमित पीने से मोटापा खत्म हो जाता है। • दिल के लिए भी जौ उपयोगी हो सकता है। जौ में बीटा ब्लूकेन नामक विशेष तत्व पाया जाता है, जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को तो नियंत्रित करता ही है, रक्तचाप की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। इतना ही नहीं जौ आर्टरी की सतह पर वसा और कोलेस्ट्रॉल जमने की समस्या को कम करने में भी सहायता करता है। • जौ की पत्तियों के नियमित उपयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। जौ का दलिया खाने से जौ के बीज में मौजूद बीटा ग्लूकेन तत्व का लाभ मिलता है, जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। • जौ का आटा पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायता कर सकता है। जौ में मौजूद डाइटरी फाइबर आंतों की सेहत के लिए उपयोगी है। जौ का दलिया कब्ज की समस्या से भी छुटकारा दिला सकता है। • चूंकि जौ में फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, इसलिए जौ के सेवन से हड्डियों व दांतों के विकास तथा मजबूती में सहायता मिलती है। जौ में मौजूद एक तत्व विशेष दांतों के क्षरण से बचाव कर सकता है। • जौ की पत्तियों में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व गठिया के कारण जोड़ों में आई सूजन को कम करता है। जौ की पत्तियों के अर्क में नींबू का उपयोग कर आर्थराइटिस (Arthritis)में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। • पित्ताशय की पथरी(Gallstones) को गलाने और अस्थमा से छुटकारा दिलाने में भी जौ को उपयोगी पाया गया है। • जौ के सेवन से रक्त की कमी (Anemia) से बचा जा सकता है। जौ में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, जो रक्त की कमी को दूर करने में सहायता करता है। • जौ में मौजूद बीटा ग्लूकेन(Beta Glucan), फिनोलेक्स (Phenolex), अर्बीनोक्जायलन (Arbinoxylan), लिग्नेन(Lignan), रेजिस्टेंट स्टार्च (Resistant Starch)  और फाइटोस्टेरोल (Phytosterol)  आदि जो तत्व पाए जाते हैं वे सभी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होते हैं। जो के नियमित सेवन से कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है।  जरूरी बात : जौ के अधिक सेवन से दस्त की शिकायत हो सकती है। जौ में रक्त शर्करा को कम करने का गुण पाया जाता है, इसलिए मधुमेह की दवा लेने वालों को जौ के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। जौ से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है, क्योंकि जौ में एलर्जिक प्रभाव पाए जाते हैं। विशेष : जौ एक उपयोगी अनाज है, जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यहां जौ के गुण व उपयोग के संबंध में एकदम सामान्य जानकारी दी गई है, जिसकी सफलता का हम दावा नहीं करते हैं। रोग-विशेष में उपचार के लिए उपयोग में लाने से पूर्व योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से जौ की सेवन विधि, मात्रा, आवृत्ति, हानि-लाभ आदि के बारे में विस्तार से जान लेना आवश्यक है।
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Corona Cases- पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना के ढाई हजार नए मामले

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पिछले 24 घंटे में कोरोना के नए मामले (PC-DNA India)
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calendar02 Dec 2025 04:48 AM
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Corona Cases In India- पिछले 2 साल से पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाली कोरोना महामारी से विश्व को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन लग रहा है एक बार फिर से कोरोना वायरस तांडव मचाने को तैयार है। कोरोना केसेस (Corona Cases) में कमी आने से पूरे विश्व में राहत का माहौल था। लेकिन एक बार फिर कोरोना केसेज का बढ़ता हुआ ग्राफ लोगों के लिए चिंता का विषय बन रहा है। अगर भारत की बात करें तो भारत में कोरोना वायरस के नए मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,451 नए मामले सामने आए हैं। यह आंकड़ा बताता है कि लोगों को सारी लापरवाहियों को छोड़कर एक बार फिर से सतर्क हो जाने की आवश्यकता है।

लगातार तीन दिन नए मामले ढाई हजार पार-

पूरे देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन कोरोना के ढाई हजार नए मामले सामने आए। इससे पहले बुधवार को 2381 नए मामले दर्ज किए गए थे। इस समय पूरे देश में 14,241 कोरोना के एक्टिव केसेज हैं।

देश की राजधानी की हालत खराब-

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस (Corona Virus) तेजी से फैल रहा है। यहां कोरोना केसेस में तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है। पिछले 24 घंटे में अकेले देश की राजधानी दिल्ली (Corona Cases in Delhi) में कोरोना के 965 नए मामले सामने आए। इस समय दिल्ली में कोविड के 2970 सक्रिय मामले दर्ज है। यहां की पॉजिटिविटी दर 4.71% दर्ज की गई है।
World Earth Day 2022- जानिए पृथ्वी दिवस 2022 की थीम, महत्व और इतिहास के बारे में

बढ़ते केसेस को देखते हुए दिल्ली सरकार हो गई है सख्त-

दिल्ली में लगातार बढ़ते कैसेस को देखते हुए सरकार काफी सख्त हो गई है। एक बार फिर से दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली (Delhi), नोएडा (Noida), गाजियाबाद (Gaziabad) और पंजाब (Panjab) में मास्क ना पहनने पर जुर्माना लगा दिया गया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने को भी टीकाकरण को लेकर भी महत्वपूर्ण ऐलान किया है। अब दिल्ली में सभी सरकारी कोविड -19 टीकाकरण (Covid 19 Vaccination Center) केंद्रों पर 18-59 वर्ष आयु वर्ग के सभी पात्र लाभार्थियों को बूस्टर डोज (Booster Dose of covid vaccine) मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी।
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Health: मीठा, स्वादिष्ट और रोगहारी है 'शरीफा'

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calendar29 Nov 2025 03:25 PM
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 विनय संकोची Health : एक किंवदंती के अनुसार सीता जी ने वनवास के दौरान श्रीराम को एक चमत्कारी फल उपहार स्वरूप भेंट किया था, इसलिए उसका एक नाम 'सीताफल' ('Sitaphal') पड़ गया। इस फल का वानस्पतिक नाम अन्नोना स्क्वामोसा है। इसे अंग्रेजी में शुगर एप्पल, संस्कृत में जानकीफल, गंडगात्र, आतुप्य, असम में कटाल, कोंकणी में अटह, गुजराती में अनुराम, तमिल में सीतापलम और अट्टा, तेलुगु में गंधागारामु, मलयाली में अट्टी चक्का कहा जाता है, लेकिन अधिकांश लोगों के बीच इसकी पहचान 'शरीफा' के रूप में है। शरीफा बहुत मीठा स्वादिष्ट और गुणकारी फल है। आयुर्वेद के अनुसार शरीफा अनेक रोगों से छुटकारा दिलाने वाला एक चमत्कारी फल है। कच्ची अवस्था में शरीफा फल थोड़ा पीला और हरे रंग का होता है। शरीफे के पेड़ को प्रारंभ में अन्य देशों से लाया गया था, लेकिन अब तो इसकी खेती पूरे भारत में होती है। शरीफे में कैल्शियम (Calcium)और फाइबर (fiber)जैसे न्यूट्रिएंट्स (Nutrients)प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। शरीफे के पेड़ की छाल में टैनिन होता है, जिसे अनेक दवाइयों के बनाने में इस्तेमाल किया जाता है इसके पेड़ के पत्तों से कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। आइए, जानते हैं शरीफा के पेड़ और फल के औषधीय गुण और विभिन्न शारीरिक विकारों के उपचार में इसके उपयोग के बारे में - • मधुमेह(Diabetes) एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है। मधुमेह के कारण लोग लगातार अनेक गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। डायबिटीज से छुटकारा पाने में शरीफा मददगार हो सकता है। मधुमेह रोगियों को शरीफा फल नहीं खाना चाहिए लेकिन शरीफा के पत्तों का 1 से 3 ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है। • हृदयरोगियों के लिए शरीफा का सेवन किसी उपचार से कम नहीं है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम(Magnesium) कार्डियक अरेस्ट(Cardiac Arrest) से बचा सकता है। शरीफा में पाए जाने वाला पोटेशियम भी दिल से जुड़ी बीमारियों में राहत दिलाने का काम करता है। • पाचन तंत्र ठीक ना हो तो शरीर में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। शरीफा न केवल पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, अपितु यह कब्ज़ की परेशानी से भी छुटकारा दिलाता है। शरीफा में पाया जाने वाला फाइबर और कॉपर पेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। • यदि शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता न हो या कमजोर हो, तो नई-नई बीमारियां हमला करती रहती हैं। शरीफा में प्रचुर मात्रा में मौजूद विटामिन-सी (Vitamin-C)  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर स्वस्थ रखने में सहायता करता है। • शरीफा एनीमिया(Anemia) में भी बहुत उपयोगी पाया गया है। इसमें पाए जाने वाले कॉपर (Copper)और आयरन (Iron) से शरीर में खून की कमी को आसानी से दूर किया जा सकता है। • नेत्र ज्योति बढ़ाने में शरीफा सहायता करता है विटामिन-ए(Vitamin-A) और विटामिन-सी (Vitamin-C) से भरपूर शरीफा का सेवन करने से आंखों की रोशनी स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। • शरीफा एंटी इनफ्लेमेटरी गुणों (Anti Inflammatory Properties) से युक्त होने के कारण जोड़ों की सूजन को दूर करता है और गठिया रोग में अप्रत्याशित लाभ पहुंचाता है। • शरीफा तनाव और चिड़चिड़ेपन से छुटकारा दिला सकने का गुण भी रखता है। शरीफा विटामिन-बी कांपलेक्स (Vitamin B Complex) का अच्छा स्रोत है, जो मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy)और शीतलता (Coolness)प्रदान कर शांत रखने में सहायता करता है। • दुबले-पतले लोग शरीफे का नियमित सेवन कर अपना वजन बढ़ाने में कामयाब हो सकते हैं। • सर्दी-जुकाम और कफ की समस्या से जूझते रहने वालों को शरीफा का सेवन बड़ा आराम दिला सकता है। दांत के दर्द में शरीफा के पेड़ की छाल से उपचार किया जा सकता है। • रक्तचाप(Blood pressure)  नियंत्रित रखने में भी शरीफा सहायता करता है। • शरीफा फल के बीजों को पीसकर सिर पर लगाने से जुओं से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन ध्यान रहे यह लेप आंखों पर न लगने पाए, आंखें खराब हो सकती हैं। जरूरी बात : शरीफा का ज्यादा सेवन करने से मतली और वमन की शिकायत हो सकती है। शरीफे के बीज जहरीले होते हैं। बीजों को चबाना सेहत के लिए नुकसानदायक है। कुछ लोगों को शरीफा खाने से एलर्जी हो जाती है, जिसके चलते खुजली हो सकती है और त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं। ऐसा कोई लक्षण देखें, तो शरीफा खाने का इरादा छोड़ दें।  विशेष : यहां शरीफा फल व पत्तियों के औषधीय गुणों तथा उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिसकी सफलता का दावा हम नहीं करते हैं। रोगों के उपचार में औषधि के रूप में शरीफे का उपयोग बिना योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श के करना नुकसानदायक हो सकता है।