दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सख्ती, द्वारका एक्सप्रेसवे पर लागू हुई हाईटेक निगरानी व्यवस्था
दिल्ली-एनसीआर एक्सप्रेसवे पर ऑटोमैटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) के अंतर्गत AI से लैस ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन कर रियल टाइम में VAHAN डेटाबेस से PUC की स्थिति जांचते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर मुद्दा बन गया है। प्रदूषण के प्रमुख कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अब बिना वैध पीयूसी (PUC) सर्टिफिकेट के सड़क पर वाहन चलाना भारी पड़ सकता है, क्योंकि चालान सीधे आपके घर पहुंच सकता है।
द्वारका एक्सप्रेसवे पर लागू हुई अत्याधुनिक तकनीक
बता दें कि NHAI ने दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाले द्वारका एक्सप्रेसवे पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक तकनीक आधारित व्यवस्था लागू की है। इसका उद्देश्य NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देना है।
AI कैमरों से होगी वाहनों की पहचान
नई व्यवस्था के तहत, जिन वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) वैध नहीं है या जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी है, उनकी पहचान ऑटोमैटिक रूप से की जाएगी। इसके लिए एक्सप्रेसवे पर ऑटोमैटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) के अंतर्गत AI से लैस ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन कर रियल टाइम में VAHAN डेटाबेस से PUC की स्थिति जांचते हैं।
24 दिसंबर 2025 से शुरू हुआ ई-चालान
गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस इस प्रणाली को सक्रिय रूप से संचालित कर रही है। जिन वाहनों का PUC एक्सपायर पाया जाएगा, उनके खिलाफ NIC के ई-चालान सिस्टम के जरिए ऑटोमैटिक चालान जारी किया जाएगा। यह व्यवस्था 24 दिसंबर 2025 से प्रभावी रूप से लागू कर दी गई है।
AQI सुधारने में मिलेगी मदद
अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीक आधारित पहल न केवल प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हतोत्साहित करेगी, बल्कि सड़क सुरक्षा और यातायात अनुशासन को भी मजबूत करेगी। इससे उन इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार की उम्मीद है, जहां वाहनों का दबाव अधिक रहता है।
वाहन मालिकों से NHAI की अपील
NHAI ने वाहन मालिकों से अपील की है कि वे समय पर अपने वाहन का PUC सर्टिफिकेट रिन्यू कराएं, नियमित मेंटेनेंस कराएं और जिम्मेदारी से वाहन चलाएं। प्राधिकरण का मानना है कि इस तरह की पहल देश में सुरक्षित, हरित और टिकाऊ राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर मुद्दा बन गया है। प्रदूषण के प्रमुख कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अब बिना वैध पीयूसी (PUC) सर्टिफिकेट के सड़क पर वाहन चलाना भारी पड़ सकता है, क्योंकि चालान सीधे आपके घर पहुंच सकता है।
द्वारका एक्सप्रेसवे पर लागू हुई अत्याधुनिक तकनीक
बता दें कि NHAI ने दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाले द्वारका एक्सप्रेसवे पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक तकनीक आधारित व्यवस्था लागू की है। इसका उद्देश्य NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देना है।
AI कैमरों से होगी वाहनों की पहचान
नई व्यवस्था के तहत, जिन वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) वैध नहीं है या जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी है, उनकी पहचान ऑटोमैटिक रूप से की जाएगी। इसके लिए एक्सप्रेसवे पर ऑटोमैटिक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) के अंतर्गत AI से लैस ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन कर रियल टाइम में VAHAN डेटाबेस से PUC की स्थिति जांचते हैं।
24 दिसंबर 2025 से शुरू हुआ ई-चालान
गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस इस प्रणाली को सक्रिय रूप से संचालित कर रही है। जिन वाहनों का PUC एक्सपायर पाया जाएगा, उनके खिलाफ NIC के ई-चालान सिस्टम के जरिए ऑटोमैटिक चालान जारी किया जाएगा। यह व्यवस्था 24 दिसंबर 2025 से प्रभावी रूप से लागू कर दी गई है।
AQI सुधारने में मिलेगी मदद
अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीक आधारित पहल न केवल प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हतोत्साहित करेगी, बल्कि सड़क सुरक्षा और यातायात अनुशासन को भी मजबूत करेगी। इससे उन इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार की उम्मीद है, जहां वाहनों का दबाव अधिक रहता है।
वाहन मालिकों से NHAI की अपील
NHAI ने वाहन मालिकों से अपील की है कि वे समय पर अपने वाहन का PUC सर्टिफिकेट रिन्यू कराएं, नियमित मेंटेनेंस कराएं और जिम्मेदारी से वाहन चलाएं। प्राधिकरण का मानना है कि इस तरह की पहल देश में सुरक्षित, हरित और टिकाऊ राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।












