जाट समाज ही नहीं भारत माता के सच्चे सपूत थे बाबा शाहमल तोमर
उत्तर प्रदेश की धरती पर अनेक वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है। UP की धरती पर भारत की आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी। आजादी की यह पहली जंग उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से शुरू हुई थी। 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुई आजादी की पहली जंग को सन् 1857 का पहला विद्रोह भी कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश की धरती पर अनेक वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है। उत्तर प्रदेश के इन योद्धाओं में सबसे बड़ा नाम है बाबा शाहमल तोमर का नाम। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में पैदा हुए बाबा शाहमल तोमर का जन्म जाट समाज में हुआ था। उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरी दुनिया में मौजूद जाट समाज बाबा शाहमल तोमर को अपना हीरो मानता है। भारत माता की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद होने वाले बाबा शाहमल तोमर भारत माता के सच्चे सपूत थे। Uttar Pradesh Samacharउत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले थे बाबा शाहमल तोमर
उत्तर प्रदेश की धरती पर भारत की आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी। आजादी की यह पहली जंग उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से शुरू हुई थी। 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से शुरू हुई आजादी की पहली जंग को सन 1857 का पहला विद्रोह भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में स्थापित बागपत जिला उस समय मेरठ जिले का हिस्सा हुआ करता था। बागपत जिले के छोटे से गाँव बिजरौल के रहने वाले बाबा शाहमल तोमर ने 1857 में अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिला दिया था। उत्तर प्रदेश के तमाम किसानों को साथ लेकर अंग्रेजों पर कहर बनकर टूटे थे बाबा शाहमल सिंह तोमर। बाबा शाहमल सिंह तोमर जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने भारत माता को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों को कभी भी चैन से सोने नहीं दिया था।
उत्तर प्रदेश के किसान अमीचंद तोमर के पुत्र थे बाबा शाहमल
बाबा शाहमल के परिचय की बात करें तो बाबा शाहमल सिंह तोमर का जन्म 11 फरवरी 1797 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बिजरौल गाँव में हुआ था। बाबा शाहमल सिंह तोमर के पिता जी का नाम अमीचंद तोमर था। बाबा शाहमल सिंह तोमर की माता जी का नाम ध्यानवंती देवी था। माता धनवंती देवी उत्तर प्रदेश के वर्तमान बागपत जिले के हेवा गाँव की बेटी थीं। उनका विवाह बिजरौल गाँव के रहने वाले अमीचंद तोमर के साथ हुआ था। बाबा शाहमल सिंह तोमर इन्हीं महानतम माता-पिता की संतान थे। बाबा शाहमल सिंह तोमर के परिवार की छठी पीढ़ी अभी भी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बिजरौल गाँव में रहते हैं। बाबा शाहमल सिंह तोमर की छठी पीढ़ी में चौधरी यशपाल सिंह, चौधरी सुखबीर सिंह, मांगेराम, बलजोर, बलवान सिंह तथा करताराम के नाम प्रमुख हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में बाबा शाहमल के परिवार को बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है। यह अलग बात है कि आजाद भारत की सरकारों ने उत्तर प्रदेश में जन्म भारत माता के लाल बाबा शाहमल सिंह तोमर को पर्याप्त सम्मान कभी नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश के जाट समाज ने उठाई बाबा शाहमल तोमर को सम्मान देने की मांग
उत्तर प्रदेश में जाट समाज का प्रमुख संगठन अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा सक्रिय है। उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हाल ही में अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा की एक गोष्ठी में बाबा शाहमल तोमर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की गई। आपको बता दें कि भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध हुई 1857 की क्रांति के नायक बाबा शाहमल तोमर थे। अखिल भारत उत्तर प्रदेश जाट महासभा ने आरोप लगाया कि बाबा शाहमल को पर्याप्त सम्मान नहीं दिया गया है। गोष्ठी में अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा ने कहा कि जाट महासभा चौधरी अमन सिंह के नेतृत्व में मांग करती है कि मेरठ में किसी उचित स्थान पर बाबा शाहमल की प्रतिमा स्थापित की जाए और मेरठ में उनके नाम का द्वार भी बनाया जाए। गोष्ठी में कहा गया कि भारत माता के वीर सपूत बाबा शाहमल का जीवन प्रेरणादाई है उनका बलिदान युगो तक अमर रहेगा देश के युवाओं को यह जानना चाहिए कि भारत की आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने कितना बलिदान किया है वह हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। जिन्होनें देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी अपना सर्वोच बलिदान किया इतिहास में उन्हें जगह ना मिले इसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। इस अवसर पर अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अमन सिंह, चौधरी कल्याण सिंह, मीडिया प्रभारी गजेंद्र सिंह पायल, डी.के. बालियान सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी, सुभाष लोहरी, विजेंद्र सिंह तोमर, एसपी सिंह तोमर, प्रमोद कुमार सागवान, विकास राणा सहित बड़ी सांख्य में उत्तर प्रदेश के लोग मौजूद थे। Uttar Pradesh Samacharयह भी पढ़े:VIP एरिया में भी चेन स्नैचिंग! कांग्रेस MP सुधा रामकृष्णन बनी शिकारउत्तर प्रदेश की बड़ौत तहसील पर बोला था बाबा शाहमल ने हमला
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से 1857 का विद्रोह शुरू हुआ था। यह विद्रोह उत्तर प्रदेश के मेरठ में 10 मई 1857 को शुरू किया गया था। इस विद्रोह के ठीक दो दिन बाद यानि 12 मई 1857 को बाबा शाहमल सिंह के नेतृत्व में जाति, बिरादरी के बंधनों को तोडक़र हजारों किसानों और आम लोगों ने उत्तर प्रदेश की बड़ौत तहसील पर हमला बोल दिया। यहां मौजूद अंग्रेज अधिकारियों व सैनिकों को मार भगाते हुए बाबा शाहमल सिंह ने बड़ौत तहसील पर उस समय के आजादी के प्रतीक ध्वज को फहराते हुए तहसील पर कब्जा कर लिया। बड़ौत तहसील से अंग्रेजी धन को लूटकर इसे अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मदद के लिए दिल्ली भिजवाया। बाबा शाहमल सिंह के सहयोगी मेहताब खां व बागपत के तत्कालीन थानेदार वजीर खां के माध्यम से बहादुर शाह जफर से मिलने बागपत जनपद का प्रतिनिधि मंडल दिल्ली गया। प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद बहादुर शाह जफर ने बाबा शाहमल सिंह को बड़ौत तहसील का सूबेदार घोषित कर दिया। इसके बाद अंग्रेजी हुकुमत से लड़ते हुए उन्होंने दो माह तक बड़ौत तहसील पर अपना शासन चलाया था।Uttar Pradesh Samacharउत्तर प्रदेश में किसानों की सेना का नेतृत्व किया बाबा शाहमल ने
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत कस्बे के निकटवर्ती गांव बिजरौल के निवासी बाबा शाहमल सिंह ने देशखाप चौरासी मुखिया चौधरी श्यो सिंह के आह्वान पर इस क्षेत्र में क्रांति की बागडोर संभाली और गांव-गांव घूम कर आजादी की चेतना पैदा की। उनकी जोशीली बातों से यहां का आमजन अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित हुआ। विभिन्न जाति-बिरादरी के मुखियाओं ने अपने-अपने समुदाय को क्रांति में शामिल होने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी ली। उनके सम्मिलित प्रयासों से 8000 साधारण किसानों की सेना का गठन हुआ जो उस युग की एक असाधारण घटना थी। इस सेना के मुखिया की जिम्मेदारी बाबा शाहमल के पास थी। बाबा शाहमल सिंह तोमर के नेतृत्व में ऐसे यौद्धा भी शामिल थे जिन्हें लड़ाई का कोई प्रशिक्षण नहीं था। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के हर नागरिक ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई में बाबा शाहमल सिंह तोमर का साथ दिया। बाबा शाहमल तोमर की सेना गौरिल्ला युद्ध करने में माहिर थी। अंग्रेजों के घुडसवार जब भी किसी रास्ते को गुजरते, जंगलों में छिपे क्रांतिकारी उन पर हमला बोलकर उनकी रसद, हथियार लूट लिया करते थे। Uttar Pradesh Samachar
उत्तर प्रदेश की धरती पर अनेक वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है। उत्तर प्रदेश के इन योद्धाओं में सबसे बड़ा नाम है बाबा शाहमल तोमर का नाम। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में पैदा हुए बाबा शाहमल तोमर का जन्म जाट समाज में हुआ था। उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरी दुनिया में मौजूद जाट समाज बाबा शाहमल तोमर को अपना हीरो मानता है। भारत माता की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद होने वाले बाबा शाहमल तोमर भारत माता के सच्चे सपूत थे। Uttar Pradesh Samacharउत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले थे बाबा शाहमल तोमर
उत्तर प्रदेश की धरती पर भारत की आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी। आजादी की यह पहली जंग उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से शुरू हुई थी। 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से शुरू हुई आजादी की पहली जंग को सन 1857 का पहला विद्रोह भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में स्थापित बागपत जिला उस समय मेरठ जिले का हिस्सा हुआ करता था। बागपत जिले के छोटे से गाँव बिजरौल के रहने वाले बाबा शाहमल तोमर ने 1857 में अंग्रेजों को छठी का दूध याद दिला दिया था। उत्तर प्रदेश के तमाम किसानों को साथ लेकर अंग्रेजों पर कहर बनकर टूटे थे बाबा शाहमल सिंह तोमर। बाबा शाहमल सिंह तोमर जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने भारत माता को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों को कभी भी चैन से सोने नहीं दिया था।
उत्तर प्रदेश के किसान अमीचंद तोमर के पुत्र थे बाबा शाहमल
बाबा शाहमल के परिचय की बात करें तो बाबा शाहमल सिंह तोमर का जन्म 11 फरवरी 1797 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बिजरौल गाँव में हुआ था। बाबा शाहमल सिंह तोमर के पिता जी का नाम अमीचंद तोमर था। बाबा शाहमल सिंह तोमर की माता जी का नाम ध्यानवंती देवी था। माता धनवंती देवी उत्तर प्रदेश के वर्तमान बागपत जिले के हेवा गाँव की बेटी थीं। उनका विवाह बिजरौल गाँव के रहने वाले अमीचंद तोमर के साथ हुआ था। बाबा शाहमल सिंह तोमर इन्हीं महानतम माता-पिता की संतान थे। बाबा शाहमल सिंह तोमर के परिवार की छठी पीढ़ी अभी भी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बिजरौल गाँव में रहते हैं। बाबा शाहमल सिंह तोमर की छठी पीढ़ी में चौधरी यशपाल सिंह, चौधरी सुखबीर सिंह, मांगेराम, बलजोर, बलवान सिंह तथा करताराम के नाम प्रमुख हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में बाबा शाहमल के परिवार को बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है। यह अलग बात है कि आजाद भारत की सरकारों ने उत्तर प्रदेश में जन्म भारत माता के लाल बाबा शाहमल सिंह तोमर को पर्याप्त सम्मान कभी नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश के जाट समाज ने उठाई बाबा शाहमल तोमर को सम्मान देने की मांग
उत्तर प्रदेश में जाट समाज का प्रमुख संगठन अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा सक्रिय है। उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हाल ही में अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा की एक गोष्ठी में बाबा शाहमल तोमर की मूर्ति स्थापित करने की मांग की गई। आपको बता दें कि भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध हुई 1857 की क्रांति के नायक बाबा शाहमल तोमर थे। अखिल भारत उत्तर प्रदेश जाट महासभा ने आरोप लगाया कि बाबा शाहमल को पर्याप्त सम्मान नहीं दिया गया है। गोष्ठी में अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा ने कहा कि जाट महासभा चौधरी अमन सिंह के नेतृत्व में मांग करती है कि मेरठ में किसी उचित स्थान पर बाबा शाहमल की प्रतिमा स्थापित की जाए और मेरठ में उनके नाम का द्वार भी बनाया जाए। गोष्ठी में कहा गया कि भारत माता के वीर सपूत बाबा शाहमल का जीवन प्रेरणादाई है उनका बलिदान युगो तक अमर रहेगा देश के युवाओं को यह जानना चाहिए कि भारत की आजादी के लिए क्रांतिकारियों ने कितना बलिदान किया है वह हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। जिन्होनें देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी अपना सर्वोच बलिदान किया इतिहास में उन्हें जगह ना मिले इसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। इस अवसर पर अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अमन सिंह, चौधरी कल्याण सिंह, मीडिया प्रभारी गजेंद्र सिंह पायल, डी.के. बालियान सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी, सुभाष लोहरी, विजेंद्र सिंह तोमर, एसपी सिंह तोमर, प्रमोद कुमार सागवान, विकास राणा सहित बड़ी सांख्य में उत्तर प्रदेश के लोग मौजूद थे। Uttar Pradesh Samacharयह भी पढ़े:VIP एरिया में भी चेन स्नैचिंग! कांग्रेस MP सुधा रामकृष्णन बनी शिकारउत्तर प्रदेश की बड़ौत तहसील पर बोला था बाबा शाहमल ने हमला
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से 1857 का विद्रोह शुरू हुआ था। यह विद्रोह उत्तर प्रदेश के मेरठ में 10 मई 1857 को शुरू किया गया था। इस विद्रोह के ठीक दो दिन बाद यानि 12 मई 1857 को बाबा शाहमल सिंह के नेतृत्व में जाति, बिरादरी के बंधनों को तोडक़र हजारों किसानों और आम लोगों ने उत्तर प्रदेश की बड़ौत तहसील पर हमला बोल दिया। यहां मौजूद अंग्रेज अधिकारियों व सैनिकों को मार भगाते हुए बाबा शाहमल सिंह ने बड़ौत तहसील पर उस समय के आजादी के प्रतीक ध्वज को फहराते हुए तहसील पर कब्जा कर लिया। बड़ौत तहसील से अंग्रेजी धन को लूटकर इसे अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मदद के लिए दिल्ली भिजवाया। बाबा शाहमल सिंह के सहयोगी मेहताब खां व बागपत के तत्कालीन थानेदार वजीर खां के माध्यम से बहादुर शाह जफर से मिलने बागपत जनपद का प्रतिनिधि मंडल दिल्ली गया। प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद बहादुर शाह जफर ने बाबा शाहमल सिंह को बड़ौत तहसील का सूबेदार घोषित कर दिया। इसके बाद अंग्रेजी हुकुमत से लड़ते हुए उन्होंने दो माह तक बड़ौत तहसील पर अपना शासन चलाया था।Uttar Pradesh Samacharउत्तर प्रदेश में किसानों की सेना का नेतृत्व किया बाबा शाहमल ने
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत कस्बे के निकटवर्ती गांव बिजरौल के निवासी बाबा शाहमल सिंह ने देशखाप चौरासी मुखिया चौधरी श्यो सिंह के आह्वान पर इस क्षेत्र में क्रांति की बागडोर संभाली और गांव-गांव घूम कर आजादी की चेतना पैदा की। उनकी जोशीली बातों से यहां का आमजन अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित हुआ। विभिन्न जाति-बिरादरी के मुखियाओं ने अपने-अपने समुदाय को क्रांति में शामिल होने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी ली। उनके सम्मिलित प्रयासों से 8000 साधारण किसानों की सेना का गठन हुआ जो उस युग की एक असाधारण घटना थी। इस सेना के मुखिया की जिम्मेदारी बाबा शाहमल के पास थी। बाबा शाहमल सिंह तोमर के नेतृत्व में ऐसे यौद्धा भी शामिल थे जिन्हें लड़ाई का कोई प्रशिक्षण नहीं था। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के हर नागरिक ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई में बाबा शाहमल सिंह तोमर का साथ दिया। बाबा शाहमल तोमर की सेना गौरिल्ला युद्ध करने में माहिर थी। अंग्रेजों के घुडसवार जब भी किसी रास्ते को गुजरते, जंगलों में छिपे क्रांतिकारी उन पर हमला बोलकर उनकी रसद, हथियार लूट लिया करते थे। Uttar Pradesh Samachar







