Sunday, 24 November 2024

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी के पूजन का विशेष समय

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी की पूजा का समय होता है. यह नवरात्रि कन्या…

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी के पूजन का विशेष समय

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी की पूजा का समय होता है. यह नवरात्रि कन्या पूजन का समय भी होता है. माता के कन्या रुप की पूजा इस समय पर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है. नवरात्रि अष्टमी पूजन का समय 29 मार्च 2023 को संपन्न होगा.

Chaitra Navratri 2023 :

 

माँ महागौरी की पूजा करने से, भक्तों को मन की शांति प्राप्त होती है. जीवन में चले आ रहे उतार-चढ़ाव शांत होने लगते हैं. भ्रम की स्थिति दूर होती है. इस दिन की जाने वाली साधना द्वारा भक्त अपने मार्ग के अवरोधों को दूर करने में सफल होते हैं.  देवी महागौरी का पूजन जीवन में धन, समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य को प्रदान करने वाला होता है.

मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

 

माता ने ऎसे पाया महागौरी नाम 
माँ गौरी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया ओर उनकी कठिन और लंबी तपस्या में उन्होंने कई तरह से अपनी उपासना को जारी रखा. अपनी तपस्या उन्होंने बड़ी कठिनाइयों और कष्टों का सामना किया. उसने अत्यंत कठोर मौसम में अपनी तपस्या जारी रखी, शुरू में केवल फल और पत्ते खाकर और बाद में सब कुछ त्याग दिया. भगवान शिव जब उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए, और उनके विवाह प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं. माता की तपस्या इतनी कठिन थी की माता का रंग भी सांवला हो जाता है तब भगवान ने स्वयं गंगा के जल से माता को स्नान करया तब माता का रंग स्वर्ण की भांति चमक उठा ओर माता गौरा कहलाईं.

महागौरी पूजन से मिलता है सौभाग्य का आशीर्वाद 
जब माता को महागौरी नाम प्राप्त हुआ तब से माता का यह पूजन जीवन में सौभाग्य एवं सुखों का आगमन लाने वाला होता है.  माँ महागौरी को एक बैल पर विराजमान दिखाया गया है और इस कारण से उन्हें ‘वृषारूढ़ा’ के नाम से भी जाना जाता है. माता के चार हाथ हैं जिसमें उन्होंने त्रिशूल, डमरु धारण किया है तथा अभय मुद्रा द्वारा माता भक्तों को निर्भयता प्रदान करने वाली हैं. माँ महागौरी की कृपा जिसे प्राप्त होती है वह पूर्व कर्मों के पाप प्रभावों से मुक्त होकर शुभ कर्मों को पाता है. जीवन के सभी नकारात्मक कर्मों या पापों से छुटकारा मिलता है.

अष्टमी हवन और कन्या पूजन 
29 मार्च बुधवार के दिन अष्टमी पूजन किया जाएगा. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी का आरंभ 28 मार्च को 19:04 पर होगा, और अष्टमी तिथि की समाप्ति बुधवार के दिन 21:08 पर होगी. इस दिन शोभन योग व्याप्त रहेगा. माता का पूजन एवं हवन करने के लिए प्रात:काल का समय अत्यंत शुभ होता है. प्रात:काल समय माता का पूजन एवं हवन करने के पश्चात ही कन्या पूजन किया जाता है. अष्टमी के दिन कन्या पूजन नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है जिसे अनुष्ठान रुप में किया जाता है. कन्या पूजन में कन्याओं को भोजन और उपहार दे कर उनका आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए. इस दिन किया गया हवन एवं कन्या पूजन भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देने वाला होता है. माता के मंत्र जाप एवं भजन द्वारा पूजन संपन्न होता है.

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