अकाउंट जीरो, फिर भी मिलेंगे 10,000 रुपये! जानिए यह आसान तरीका

इस खाते में न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं होती, और सबसे अहम बात यह कि जरूरत पड़ने पर आप अपने जीरो बैलेंस अकाउंट से भी 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाल सकते हैं। मतलब, जेब खाली हो या खाता इमरजेंसी में आपके पास हमेशा एक भरोसेमंद कैश बैकअप मौजूद रहता है।

जनधन खाते के जरिए बिना बैलेंस भी मिल सकता है तगड़ा कैश बैकअप
जनधन खाते के जरिए बिना बैलेंस भी मिल सकता है तगड़ा कैश बैकअप
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar28 Nov 2025 04:28 PM
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Jan Dhan Account Overdraft : अगर आपके बैंक खाते में बैलेंस शून्य हो और अचानक पैसों की सख्त जरूरत पड़ जाए, तो घबराहट स्वाभाविक है। लेकिन जनधन खाता रखने वालों के लिए यह चिंता अब पुरानी बात हो चुकी है। आमतौर पर हम सोचते हैं कि खाली खाते से एटीएम क्या, एक रुपया भी नहीं निकाला जा सकता मगर प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) इस सोच को पूरी तरह उलट देती है। इस खाते में न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं होती, और सबसे अहम बात यह कि जरूरत पड़ने पर आप अपने जीरो बैलेंस अकाउंट से भी 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाल सकते हैं। मतलब, जेब खाली हो या खाता इमरजेंसी में आपके पास हमेशा एक भरोसेमंद कैश बैकअप मौजूद रहता है।

जीरो बैलेंस अकाउंट से भी निकलेगा पैसा

जनधन खाता एक तरह का बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA) होता है, जिसमें न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की कोई अनिवार्यता नहीं है। इसके बावजूद ऐसे खाते के धारक को, बैंक की शर्तों के अनुसार, 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट मिल सकता है।

सीधी भाषा में समझें तो:

  1. खाते में बैलेंस जीरो हो
  2. फिर भी इमरजेंसी में आप बैंक से कुछ रकम निकाल सकते हैं
  3. बाद में जब भी खाते में पैसा आएगा, बैंक अपनी दी हुई रकम और उस पर ब्याज काट लेगा

ओवरड्राफ्ट क्या होता है?

ओवरड्राफ्ट दरअसल बैंक की ओर से दी जाने वाली एक तरह की अल्पकालिक उधार सुविधा है।

  1. आपके खाते में पैसे न हों या बैलेंस जीरो के आसपास हो
  2. फिर भी बैंक आपको तय सीमा तक पैसा निकालने देता है
  3. यह रकम आपके खाते में भविष्य में आने वाली इनकम के खिलाफ एडजस्ट हो जाती है

ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस रकम पर ब्याज लगता है। हालांकि प्रक्रिया लोन जैसी लंबी और जटिल नहीं होती, इसलिए अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर यह विकल्प बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।

जनधन अकाउंट में और क्या-क्या सुविधाएं?

PMJDY के तहत खुलने वाले ज्यादातर खातों के साथ RuPay डेबिट कार्ड दिया जाता है।

  1. इस कार्ड से एटीएम, POS मशीन और ऑनलाइन पेमेंट किए जा सकते हैं
  2. कार्ड के साथ दुर्घटना बीमा कवर भी मिलता है, जिसकी राशि आमतौर पर 2 लाख रुपये तक होती है (बैंक और नियमों के आधार पर)

ओवरड्राफ्ट सुविधा कैसे मिलेगी?

सिर्फ जनधन अकाउंट होना ही काफी नहीं, ओवरड्राफ्ट एक्टिव कराने के लिए कुछ औपचारिकताएँ भी हैं–

  1. ग्राहक को अपने बैंक ब्रांच से संपर्क कर ओवरड्राफ्ट के लिए आवेदन करना होता है
  2. बैंक आपकी ट्रांजैक्शन हिस्ट्री, खाते की एक्टिविटी और पुराने व्यवहार को देखकर फैसला करता है
  3. जिन ग्राहकों का खाता नियमित रूप से संचालित हो रहा हो, उनके आवेदन को आमतौर पर जल्दी मंजूरी मिल जाती है

हर बैंक की पॉलिसी अलग हो सकती है, इसलिए सीमा, ब्याज दर और अन्य शर्तों की जानकारी अपने शाखा से लेना जरूरी है।

ओवरड्राफ्ट के फायदे

  • इमरजेंसी में तुरन्त राहत – मेडिकल इमरजेंसी, अचानक सफर, फीस या जरूरी पेमेंट जैसे कामों के लिए तुरंत पैसा मिल जाता है।
  • लोन जैसी भागदौड़ नहीं – न लंबा फॉर्म, न बार–बार कागज जमा करने की झंझट।
  • जीरो बैलेंस में भी मदद – खाते में रकम न होने के बावजूद खर्च संभालने के लिए एक सुरक्षा कुशन जैसा काम करता है।

क्या हैं जोखिम और नुकसान?

फायदे के साथ कुछ सावधानियाँ भी जरूरी हैं

  • इस पर सामान्य सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है
  • बार–बार ओवरड्राफ्ट लेने और समय पर भुगतान न करने पर खाता लंबे समय तक निगेटिव बैलेंस में जा सकता है
  • तय समय पर रकम वापस न करने से आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और बैंक के साथ विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है
  • अलग–अलग बैंकों की फीस, चार्ज और शर्तें अलग होती हैं, जिसे समझे बिना इस्तेमाल करना महंगा साबित हो सकता है

कब और कैसे करें ओवरड्राफ्ट का इस्तेमाल?

ओवरड्राफ्ट को हमेशा अपनी फाइनेंशियल लाइफ का इमरजेंसी ब्रेक समझें, न कि रोजमर्रा के खर्च चलाने का साधन। इसे तभी इस्तेमाल करें, जब हालात वाकई आपके हाथ से निकलते दिखें, जैसे–

  1. अचानक मेडिकल इमरजेंसी आ जाए
  2. किसी जरूरी बिल या किस्त का तुरंत भुगतान करना हो
  3. थोड़ी सी कमी की वजह से बड़ा नुकसान या शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती हो

ऐसी परिस्थितियों में यह सुविधा आपकी तुरंत मदद कर सकती है, लेकिन याद रखिए, यह राहत अस्थायी होती है, स्थायी आमदनी का विकल्प नहीं।

कुछ जरूरी सावधानियाँ हमेशा ध्यान में रखें–

  1. ओवरड्राफ्ट से उतनी ही राशि निकालें, जितनी वास्तव में मजबूरी हो
  2. जैसे ही आपके खाते में सैलरी या कोई इनकम आए, सबसे पहले ओवरड्राफ्ट की रकम और उस पर लगा ब्याज चुका दें
  3. समय पर भुगतान करने की आदत न सिर्फ आपका क्रेडिट रिकॉर्ड बेहतर बनाती है, बल्कि बैंक की नजर में आपकी साख भी मजबूत करती हैJan Dhan Account Overdraft


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खुशखबरी: मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए RBI का बड़ा तोहफा

इसके बाद अब ऐसा नहीं होगा कि आपका क्रेडिट स्कोर सुधरे और बैंक सालों तक चुप बैठा रहे। जो ग्राहक समय पर EMI भरते हैं और जिनका क्रेडिट स्कोर मजबूत है, उन्हें पहले के मुकाबले ज़्यादा जल्दी और सीधे तौर पर कम ब्याज दर का फायदा मिल सकेगा।

RBI का बड़ा फैसला मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए घर का सपना हुआ और करीब
RBI का बड़ा फैसला: मजबूत क्रेडिट स्कोर वालों के लिए घर का सपना हुआ और करीब
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userअभिजीत यादव
calendar01 Dec 2025 03:35 PM
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RBI Spread Rule Change : अगर आप अपना पहला घर खरीदने का सपना देख रहे हैं या पहले से होम लोन की किस्तें भर रहे हैं, तो आरबीआई का नया फैसला आपके लिए किसी ‘गुड न्यूज़ अलर्ट’ से कम नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फ्लोटिंग-रेट लोन पर लगने वाले स्प्रेड के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके बाद अब ऐसा नहीं होगा कि आपका क्रेडिट स्कोर सुधरे और बैंक सालों तक चुप बैठा रहे। जो ग्राहक समय पर EMI भरते हैं और जिनका क्रेडिट स्कोर मजबूत है, उन्हें पहले के मुकाबले ज़्यादा जल्दी और सीधे तौर पर कम ब्याज दर का फायदा मिल सकेगा।

पहले क्या था नियम, अब क्या बदला?

होम लोन ही नहीं, ज्यादातर फ्लोटिंग–रेट लोन की ब्याज दर असल में दो हिस्सों से मिलकर बनती है। पहला हिस्सा होता है एक्सटर्नल बेंचमार्क जैसे RBI का रेपो रेट, टी–बिल यील्ड वगैरह, जो बाज़ार की बड़ी तस्वीर से जुड़ा रहता है। दूसरा हिस्सा है स्प्रेड, जिसे बैंक अपने खर्च, आपके क्रेडिट रिस्क और मुनाफे को ध्यान में रखते हुए जोड़ते हैं। अब तक खेल यह था कि बैंक आम तौर पर हर तीन साल में ही स्प्रेड की समीक्षा करते थे। मतलब बीच में आपका क्रेडिट स्कोर चाहे जितना अच्छा हो जाए, बैंक पर स्प्रेड घटाने की कोई मजबूरी नहीं थी। आरबीआई के नए नियमों ने इसी ‘लॉक–इन पीरियड’ की जंजीर तोड़ी है। अब जैसे ही किसी ग्राहक का क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है, बैंक उसके लोन पर लगने वाला स्प्रेड कम कर सकते हैं और इसका सीधा असर दिखेगा ।

कैसे मिलेगा कम ब्याज का फायदा?

आरबीआई ने साफ संदेश दे दिया है कि सिर्फ चुपचाप बैठे रहने से सस्ता होम लोन अपने–आप नहीं मिलने वाला, इसके लिए कदम आपको ही बढ़ाना होगा। सबसे पहले तो आपको अपने क्रेडिट स्कोर पर नियमित नज़र रखनी होगी। अगर लोन लेने के बाद आपका स्कोर पहले से बेहतर हो गया है, तो अगला कदम आपका है आप अपने बैंक को इंट्रेस्ट रेट रिव्यू के लिए लिखित तौर पर रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके बाद बैंक आपकी पूरी क्रेडिट प्रोफाइल और रीपेमेंट हिस्ट्री का दोबारा आकलन करेगा। अगर बैंक की नज़र में आपका रिस्क अब कम हो चुका है, तो वह या तो आपके लोन पर लगने वाला स्प्रेड घटाकर ब्याज दर नीचे ला सकता है, या फिर लोन की अवधि कम करके कुल ब्याज का बोझ हल्का कर सकता है। दोनों ही हालात में फायदा आपके ही नाम लिखा है – या तो हर महीने की किस्त कम होगी, या फिर वही किस्त चुकाते–चुकाते लोन पहले खत्म हो जाएगा।

छोटी सी कटौती, लेकिन बड़ी बचत

होम लोन आमतौर पर लंबे समय के लिए लिया जाता है और रकम भी 50–60 लाख रुपये या उससे ज़्यादा तक पहुंच जाती है। ऐसे में अगर ब्याज दर में सिर्फ 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की ही कमी हो जाए, तो भी महीने की ईएमआई में सीधे हजारों रुपये की बचत हो सकती है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर लगातार अच्छा रहता है या और बेहतर होता है, तो आगे चलकर यह बचत और भी बढ़ सकती है।

पुराने और नए ग्राहकों को बराबरी का मौका

अभी तक होता यह था कि: नए ग्राहक – बैंक कम रेट वाली नई स्कीम लेकर आते तो नए ग्राहकों को उसका फायदा तुरंत मिल जाता। पुराने ग्राहक – उन्हें वही फायदा पाने के लिए स्प्रेड रिव्यू या रीप्राइसिंग के नाम पर 3 साल तक इंतज़ार करना पड़ता था। आरबीआई के नए नियमों के बाद अब मौजूदा और नए दोनों तरह के ग्राहकों को समान मौका मिलेगा। जैसे ही किसी मौजूदा ग्राहक के क्रेडिट स्कोर में सुधार दिखेगा, वह भी तुरंत कम ब्याज दर की मांग कर सकता है।

आपके लिए सीधी सलाह

  • समय–समय पर अपना क्रेडिट स्कोर जांचते रहें।
  • लोन लेते समय और उसके बाद भी क्रेडिट कार्ड की लिमिट, रीपेमेंट, ओवरड्यू EMI जैसी चीज़ों पर सख्ती से कंट्रोल रखें।
  • अगर स्कोर बेहतर हुआ है, तो खुद बैंक के पास जाएं, सिर्फ SMS या नोटिफिकेशन का इंतज़ार न करें।
  • लिखित में स्प्रेड रिव्यू की मांग करें और जरूरत हो तो बैंक के कस्टमर केयर या ब्रांच मैनेजर से डिटेल में बात करें। RBI Spread Rule Change
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अगर स्टॉक क्रैश हो गया तो कैसे बचेगा आपका पैसा? पूरा हिसाब–किताब समझिए

फर्क सिर्फ इतना है कि यहां आपका सोना नहीं, बल्कि आपके डीमैट अकाउंट में पड़े शेयर गिरवी रखे जाते हैं। बैंक या NBFC आपको फंड देता है, आप ब्याज चुकाते हैं और लोन खत्म होते ही वो शेयर्स फिर से आपके पूरी तरह कंट्रोल में आ जाते हैं।

लाल ग्राफ, बढ़ती टेंशन – स्टॉक क्रैश में कैसे बचाएँ अपनी जेब
लाल ग्राफ, बढ़ती टेंशन – स्टॉक क्रैश में कैसे बचाएँ अपनी जेब?
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userअभिजीत यादव
calendar27 Nov 2025 02:18 PM
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Stock Market : सोने पर लोन लेने के बारे में तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आप अपने शेयरों के बदले भी लोन ले सकते हैं? आज के दौर में फाइनेंशियल जरूरतें कई बार अचानक सामने आ जाती हैं ऐसे में शेयर को कोलैटरल बनाकर लिया गया लोन एक आसान विकल्प बन सकता है। यह बिल्कुल उसी तरह काम करता है जैसे बैंक में सोने की ज्वेलरी गिरवी रखने पर पैसा मिलता है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां आपका सोना नहीं, बल्कि आपके डीमैट अकाउंट में पड़े शेयर गिरवी रखे जाते हैं। बैंक या NBFC आपको फंड देता है, आप ब्याज चुकाते हैं और लोन खत्म होते ही वो शेयर्स फिर से आपके पूरी तरह कंट्रोल में आ जाते हैं।

शेयर गिरवी रखने पर आपकी ओनरशिप बनी रहती है

लोन लेने पर आपके शेयर किसी और के नाम नहीं हो जाते, बस उन पर लीन मार्क लगा दिया जाता है यानि बैंक एक तरह से निशान लगा देता है कि ये शेयर अभी गिरवी हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान शेयरों की ओनरशिप पूरी तरह आपके पास ही रहती है। कंपनी डिविडेंड बांटे, बोनस दे या शेयर स्प्लिट हो ये सारे फायदे आपके ही डीमैट अकाउंट में आते रहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि लोन चुकाने से पहले आप इन शेयरों को बेच या ट्रांसफर नहीं कर सकते। बाकी हर मायने में वे आपके ही बने रहते हैं।

RBI का नियम

RBI ने शेयरों पर लोन देने के लिए एक साफ और सख्त नियम तय किया है अधिकतम 50% LTV। मतलब, आपके शेयर जितनी भी कीमत के हों, बैंक उसके सिर्फ आधे मूल्य तक ही लोन देगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पोर्टफोलियो की मौजूदा वैल्यू 20 लाख रुपये है, तो आपके हाथ में आने वाली अधिकतम लोन राशि 10 लाख रुपये ही होगी। यह लिमिट इसलिए रखी गई है ताकि मार्केट गिरावट के दौरान न तो बैंक को बड़ा झटका लगे और न ही निवेशक को।

लोन लेते समय किन बातों का रखें ध्यान?

VSRK कैपिटल के डायरेक्टर स्वप्निल अग्रवाल साफ चेतावनी देते हैं कि निवेशकों को कभी भी मैक्सिमम 50% LTV तक लोन खींचने की गलती नहीं करनी चाहिए। उनके मुताबिक, समझदार इन्वेस्टर वही है जो थोड़ा कंजरवेटिव रहकर कम LTV पर लोन लेता है। इससे तीन बड़े फायदे मिलते हैं मार्केट गिरने पर बार–बार मार्जिन कॉल आने का खतरा बहुत कम हो जाता है, अचानक कैश का जुगाड़ करने की टेंशन घटती है और ओवरऑल फंड मैनेजमेंट भी आसान रहता है। इस बीच RBI ने भी शेयरों पर लोन के नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है LTV लिमिट को 50% से बढ़ाकर 60% करने और अधिकतम लोन अमाउंट को 20 लाख से सीधा 1 करोड़ रुपये तक ले जाने की बात चल रही है। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं, नियम भले ढीले हों, समझदारी अभी भी उसी में है कि आप खुद अपनी रिस्क लिमिट टाइट रखें।

जब मार्केट गिर जाए तब क्या होता है?

मान लीजिए, आपके पास 20 लाख रुपये के शेयर हैं और आपने उनके बदले 10 लाख रुपये का लोन लिया है। शुरुआत में LTV आराम से 50% है, सब कुछ कंट्रोल में दिखता है। लेकिन जैसे ही मार्केट 20% फिसलता है और आपके शेयरों की वैल्यू 20 लाख से गिरकर 15 लाख रह जाती है, पूरा गणित बदल जाता है। अब वही 10 लाख का लोन 15 लाख के कोलैटरल पर टिकता है और LTV सीधा करीब 66% पर पहुँच जाता है – जो लेंडर की सुरक्षित लिमिट से काफी ऊपर है। ऐसी स्थिति में बैंक या NBFC तुरंत एक्टिव मोड में आ जाता है। आपको मार्जिन कॉल किया जाएगा – साफ शब्दों में कहा जाएगा कि या तो लोन का कुछ हिस्सा तुरंत चुका दीजिए या फिर अतिरिक्त शेयर/कैश गिरवी रखकर LTV को दोबारा नीचे लाइए। आमतौर पर आपके पास सिर्फ 2–3 दिन की ही मोहलत होती है। यदि इस अवधि में आप प्रतिक्रिया नहीं देते, तो लेंडर को पूरा हक होता है कि वह आपके गिरवी शेयरों को मार्केट में बेचकर अपना बकाया वसूल ले। यानी अगर LTV पर नज़र नहीं रखी, तो आपका इन्वेस्टमेंट, आपके सामने ही जबरन बेच दिया जा सकता है।

कौन-सा पोर्टफोलियो प्लेज करें और कौन-सा नहीं?

1. प्लेजेबल पोर्टफोलियो - ब्लूचिप शेयर, मजबूत बैलेंस शीट वाली हाई–क्वालिटी मिडकैप कंपनियाँ और रोज़ाना अच्छे वॉल्यूम में ट्रेड होने वाले लिक्विड, स्थिर स्टॉक इन्हें ही सच मायनों में ‘प्लेजेबल पोर्टफोलियो’ कहा जाता है। ऐसे शेयरों पर ब्रोकर भी अपेक्षाकृत बेहतर मार्जिन देने को तैयार रहते हैं, क्योंकि इनके फिसलने का रिस्क तुलनात्मक रूप से कम होता है। फिर भी समझदार निवेशक यहां भी पूरा ज़ोर लगाने की भूल नहीं करते।

2. जिन्हें कभी प्लेज न करें - स्मॉलकैप, SME शेयर, नई–नई लिस्टेड कंपनियां, कम लिक्विडिटी वाली स्क्रिप्ट्स और तेज़ी-मनोरथ पर चलने वाले मोमेंटम स्टॉक ये सभी पोर्टफोलियो में जितने चमकदार दिखते हैं, जोखिम में उतने ही खतरनाक साबित होते हैं। इन शेयरों की कीमतें पलभर में ऊपर जाती हैं, तो अगले ही पल धड़ाम से नीचे भी गिर सकती हैं। ऐसी अचानक गिरावट सबसे पहले मार्जिन कॉल को ट्रिगर करती है और कई बार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि ब्रोकर को मजबूरन आपके शेयर बेचने पड़ते हैं। यही वजह है कि एक्सपर्ट साफ चेतावनी देते हैं ऐसे अस्थिर स्टॉक्स को कभी भी लोन लेकर या गिरवी रखकर खेलने की गलती न करें, वरना आपका पोर्टफोलियो एक झटके में ‘हाई-रिस्क गेम’ बन सकता है।

अगर स्टॉक डूब गया तो? पूरी गणित समझें

मान लीजिए आपके पास 20 लाख रुपये के शेयर हैं, जिनके बदले आपने 10 लाख का लोन लिया है। शुरुआत में LTV 50% था, सब नॉर्मल लग रहा था। लेकिन जैसे ही मार्केट फिसला और आपके शेयरों की वैल्यू गिरकर 15 लाख पर आ गई, पूरा हिसाब गड़बड़ा गया। अब LTV बढ़कर करीब 66% पहुँच जाता है, जो बैंक की तय लिमिट से काफी ऊपर है। यहीं से असली दबाव शुरू होता है। ऐसी स्थिति में बैंक हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठता। लेंडर की तरफ से आपको तुरंत मार्जिन कॉल किया जाता है। मतलब साफ-साफ संदेश या तो कुछ हिस्सा लोन का तुरंत चुका दें, या फिर अतिरिक्त शेयर/कैश गिरवी रखें ताकि LTV दोबारा सुरक्षित दायरे में आ सके। आम तौर पर आपके पास केवल 2–3 दिन का ही समय होता है। अगर इस डेडलाइन के भीतर आप कदम नहीं उठाते, तो बैंक को अधिकार होता है कि वह आपके गिरवी शेयरों को मार्केट में बेचकर अपना पैसा निकाल ले। यानी अगर आप सतर्क नहीं रहे, तो आपकी लॉन्ग–टर्म इन्वेस्टमेंट मजबूरी में डिस्ट्रेस सेल बन सकती है। Stock Market