Saturday, 18 May 2024

बड़ी खबर : बड़ी कोर्ट का बड़ा फैसला, गौ रक्षकों को दिया झटका

UP News : प्रयागराज। यह खबर उन लोगों को बेहद झटका देने वाली है, जो खुद को गौरक्षक या गोसेवक…

बड़ी खबर : बड़ी कोर्ट का बड़ा फैसला, गौ रक्षकों को दिया झटका

UP News : प्रयागराज। यह खबर उन लोगों को बेहद झटका देने वाली है, जो खुद को गौरक्षक या गोसेवक बताते हैं और ट्रक या अन्य वाहन में गाय को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाले लोगों को गौ वंश तस्कर बताकर बखेड़ा खड़ा करते हैं। उत्तर प्रदेश की हाईकोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले में हाईाकोर्ट इलाहाबाद ने कहा कि गाय-बैल को रखना या उन्हें उत्तर प्रदेश के भीतर एक से दूसरे स्थान पर ले जाना गो हत्या निषेध कानून-1955 के तहत अपराध के दायरे में नहीं आएगा। UP News

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हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने कुशीनगर जिले के रहने वाले कुंदन यादव की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि अपर शासकीय अधिवक्ता ने यह साबित करने के लिए कोई तथ्य पेश नहीं किया है कि याचिकाकर्ता ने गाय की हत्या की या फिर गोहत्या का कारण बना।

कोर्ट ने कहा कि जीवित गाय-बैल को रखना या उन्हें प्रदेश में एक से दूसरे स्थान पर ले जाना मात्रा उक्त कानून के दायरे में नहीं आएगा। किसी गाय या उसके बछड़े को किसी तरह की चोट पहुंचाई गई, जिससे उसका जीवन खतरे में आ गया, यह प्रदर्शित करने के लिए अपर शासकीय अधिवक्ता द्वारा कोई तथ्य पेश नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त बातों को देखते हुए प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता गो हत्या निषेध कानून के प्रावधानों के तहत दोषी नहीं है। इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता को जमानत दिए जाने का मामला बनता है। इसलिए जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है।

याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि उसके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि गोमांस की बरामदगी का कोई गवाह नहीं है। एक वाहन से छह गायें बरामद की गई थीं, लेकिन कथित अपराध से याचिकाकर्ता का संबंध साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं।

वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता छह मार्च 2023 से जेल में बंद है, जबकि सह-आरोपी गोलू और गुड्डू यादव को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है। अदालत द्वारा यह आदेश 24 मई 2023 को पारित किया गया था। हाल ही में इसे उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

क्या है गो हत्या निषेध कानून-1955

गौ तस्करी की घटनाएं आए दिन देश में कहीं न कहीं सामने आती ही रहती हैं। अनुरूप विभिन्न कुछ राज्यों में गौ वंश के संरक्षण हेतु कानून बनाए गए हैं।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त बैल और सांडों की हत्या तभी की जा सकती है, जब उनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन क्षमता या कृषि कार्य योग्य न हों। इसके लिए ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इस कानून की अवहेलना करने पर 2 वर्ष तक का सश्रम कारावास और एक हजार रुपया जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।

बिहार

बिहार संरक्षण और पशु सुधार अधिनियम, 1955 के तहत गाय और बछड़े की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैल और सांड यदि 15 वर्ष से अधिक उम्र के हों या फिर किसी असाध्य रोग से ग्रस्त होने के कारण प्रजनन और कृषि योग्य न हों, तो उनकी हत्या की जा सकती है। अगर इन नियमों का उल्लंघन किया गया तो अधिकतम छह महीने की सजा या 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त गायों, बछड़ों, बैलों और सांड़ों को बिहार से बाहर निर्यात करने पर भी प्रतिबंध है।

दिल्ली

दिल्ली कृषि पशु संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत गोवंश (सभी उम्र की गायों, बछड़े, बैल और सांड) की हत्या पर पूर्णतः प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त इनके परिवहन और निर्यात पर भी प्रतिबंध है। अगर संबंधित अधिकारी को यह आश्वासन दिया जाता है कि जिस राज्य में पशु को भेजा जा रहा है, वहां मवेशियों की हत्या नहीं किया जाएगी, तो इस स्थिति में निर्यात की अनुमति मिल सकती है। अगर इस कानून को तोड़ा जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को अधिकतम 10 हजार रुपये का जुर्माना और 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।

गोवा

गोवा में दमन और दीव गोहत्या निवारण अधिनियम, 1978 के तहत गाय, बछड़े और बछिया की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गाय को दर्द होने, छूत की बीमारी या फिर चिकित्सा अनुसंधान के लिए उसकी हत्या की जा सकती है। इसके अतिरिक्त राज्य में बीफ या बीफ के उत्पादों पर भी पूर्ण प्रतिबंध हैं। इस कानून की अवहेलना करने वालों को अधिकतम दो वर्ष की कैद और 1000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।

UP News  – गुजरात

गुजरात में बंबई पशु संरक्षण अधिनियम, 1954 के तहत गाय, बछड़ा, बैल या सांड के वध पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त कुछ शर्तों पर भैंस की हत्या करने की अनुमति है। इस कानून की अवहेलना करने पर अधिकतम छह साल का कारावास और 1 हजार रुपये जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।

पंजाब

पंजाब गोहत्या निषेध अधिनियम, 1955 के तहत अगर गोवंश की हत्या की जाती है, तो दोषी व्यक्ति के लिए 5 वर्ष का कठोर कारावास या 5 हजार रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।

जम्मू और कश्मीर

रणबीर दंड संहिता, 1932 के तहत गोवंश की स्वेच्छा से हत्या करने पर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है और कोर्ट द्वारा पशु की कीमत के पांच गुना ज्यादा राशि जुर्माने के रूप में निर्धारित की जाती है।

कर्नाटक

कर्नाटक गोवध निवारण और पशु संरक्षण अधिनियम, 1964 के तहत गाय, गाय का बछड़ा या भैंस के बछड़े की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। 12 वर्ष से अधिक उम्र के बैल, सांड और भैंस, जो चोटिल हों या फिर प्रजनन और दूध देने में अक्षम हों, को ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद हत्या की अनुमति है। इसके साथ ही राज्य के बाहर हत्या के लिए परिवहन की अनुमति नहीं है। ऐसा करने पर अधिकतम छह महीने तक की कैद और 1000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।

केरल

केरल पंचायत (वधशाला और मांस स्टाल) नियम, 1964 के तहत बैल, सांड, गाय का बछड़ा, भैंस का बछड़ा, भैंस या भैंसे की हत्या तभी की जा सकती हैं, जब उसकी उम्र 10 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन और अन्य कार्यों में अक्षम हो। इसके लिए भी ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसके अतिरिक्त 1976 में केरल सरकार ने सभी उपयोगी पशुओं की हत्या पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश कृषि पशु संरक्षण अधिनियम, 1959 के तहत गाय, गाय का बछड़ा, बैल और भैंस के बछड़े की हत्या वर्जित है। इसके अतिरिक्त बैल और सांड़ों की हत्या तभी की जा सकती है, जब मवेशी 15 वर्ष से अधिक उम्र का हो या कृषि कार्य तथा प्रजनन में अयोग्य हो। अगर इस कानून की अवहेलना की जाती है, तो संबंधित व्यक्ति को अधिकतम 3 वर्ष तक की कैद और 5 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है।

 UP News – महाराष्ट्र

महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैल और भैंसों की हत्या की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब मवेशी प्रजनन और अन्य कार्यों में अक्षम हो। इसके लिए भी ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। नियम की अवहेलना करने पर अधिकतम छह महीने की कैद और 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

मणिपुर

1936 में मणिपुर के महाराजा ने एक प्रस्ताव पास करके यह आदेश दिया था कि हिंदू धर्म के अनुसार गाय की हत्या पाप है और मणिपुर की रीति के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि अगर कोई गाय की हत्या करते पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उड़ीसा

उड़ीसा गोवध निवारण अधिनियम, 1960 के तहत गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध हैं। इसके अतिरिक्त यदि बैल और सांड की उम्र 14 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन में अयोग्य हो तो ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र के साथ उसकी हत्या की जा सकती है। कानून की अवहेलना करने पर अधिकतम 2 वर्ष का कारावास और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।

पंजाब

पंजाब गोवध निषेध अधिनियम, 1955 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गोहत्या के लिए पशुओं के निर्यात की भी अनुमति नहीं है और बीफ की बिक्री भी नहीं की जा सकती है। इस कानून की अवहेलना किए जाने पर दो वर्ष तक की कैद और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

 UP News – राजस्थान

गोवंश पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत राज्य में गोवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गोवंश के मांस की बिक्री और परिवहन वर्जित है। इस कानून की अवहेलना करने पर दो वर्ष तक के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

तमिलनाडु

तमिलनाडु पशु संरक्षण अधिनियम, 1958 के तहत गोवंश के सभी पशुओं को ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद हत्या की जा सकती है। ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र तभी मिलेगा, जब पशु दस वर्ष से अधिक उम्र का हो और प्रजनन में अयोग्य तथा असाध्य रोग से पीड़ित हो। कानून की अवहेलना करने पर 3 वर्ष तक की सजा और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त तमिलनाडु सरकार ने 1976 में एक आदेश जारी करके गायों और बछिया की हत्या करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल पशु वध अधिनियम, 1950 के तहत राज्य में यदि गोवंश के पशु, भैंस या भैंसे अगर 14 वर्ष से अधिक उम्र के हों और उनकी प्रजनन क्षमता और कृषि योग्य न हो, तो उनकी हत्या ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद की जा सकती है। अगर इस कानून की अवहेलना की जाती है, तो अधिकतम छह महीने की जेल और 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।

UP News – असम

असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 के तहत यदि मवेशी (जिनमें बैल, गाय, बछड़ा, बछिया, भैंस और उसके बछड़े शामिल) 14 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या फिर किसी असाध्य रोग से ग्रस्त होने के कारण प्रजनन या कृषि योग्य नहीं रह गए हैं, तो ऐसे मवेशियों की हत्या की जा सकती है। इसके लिए भी संबंधित अधिकारी से ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र लेना होगा। अगर इन नियमों का उल्लंघन किया गया, तो दोषी को 6 महीने की जेल और 1000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों सजा हो सकती है।

हालांकि, 2021 में असम सरकार ने राज्य विधानसभा से असम मवेशी संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2021 पारित कराया है, जिसमें गोवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है। इस कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 3 से 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 से 8 वर्ष का कारावास या फिर दोनों सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त हिंदू, सिख, जैन और बीफ नहीं खाने वाले अन्य समुदाय के लोगों के धार्मिक स्थलों के पांच किलोमीटर के दायरे में बीफ की खरीद-बिक्री को भी प्रतिबंधित किया गया है।  UP News

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