Saturday, 4 May 2024

Noida News : बरनावा में मौजूद है महाभारत होने के पक्के सबूत, आज भी खड़ा है लाक्षागृह का टीला

Noida News : कुछ लोग अक्सर महाभारत को काल्पनिक कहानी बताते हैं। उनको शायद नहीं पता कि महाभारत होने के…

Noida News : बरनावा में मौजूद है महाभारत होने के पक्के सबूत, आज भी खड़ा है लाक्षागृह का टीला

Noida News : कुछ लोग अक्सर महाभारत को काल्पनिक कहानी बताते हैं। उनको शायद नहीं पता कि महाभारत होने के अनेक प्रमाण भारत के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं। NCR के शहर नोएडा से मात्र 64 किमी की दूरी पर मौजूद बरनावा कस्बे में तो वह टीला आज भी खड़ा हुआ है जहां पर कौरवों ने पांडवों के मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया था।

Noida News | Barnava

NCR के नोएडा शहर से थोड़ी ही दूरी पर UP का बागपत जिला है। इसी जिले का एक पौराणिक कस्बा है बरनावा। बरनावा नोएडा से मात्र 64 किमी दूर है। इस बरनावा में महाभारत होने की घटना का जीता-जागता पुख्ता सबूत मौजूद है। यहां पर एक विशाल टीला है। इस बात के पक्के सबूत भी बरनावा में मौजूद हैं कि इस स्थान पर कौरवों के बड़े भाई दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण कराया था। इस पौराणिक स्थल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग बरनावा आते रहते हैं।

महाभारत होने के पक्के प्रमाण हैं

आपको बता दें कि इतिहासकारों ने बरनावा को लेकर बहुत कुछ लिखा है। अनेक इतिहासकारों का मत है कि महाभारतकाल में बरनावा गांव को वार्णावर्त कहा जाता था। बरनावा गांव में लाक्षागृह कृष्णा और हिंडन नदी के संगम पर स्थित है। यहां दुर्योधन ने पांडवों को जिंदा जलाकर मारने के लिए लाख, मोम आदि ज्वलनशील पदार्थ से एक महल तैयार कराया। पांडव इसमें रहने के लिए गए तो विदुर ने उन्हें दुर्योधन की इस साजिश से अवगत कराया और पांडव लाक्षागृह से एक सुरंग के रास्ते सुरक्षित बाहर निकल गए और लाक्षागृह जल गया।

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लगातार कम हो रहा है टीले का साइज

बरनावा गांव के रहने वाले चौधरी अनिल सिंह ने चेतना मंच से बात करते हुए कहा कि मेरठ-बड़ौत मार्ग पर सडक़ किनारे स्थित बरनावा का ऐतिहासिक टीला बरसात के दिनों में मिट्टी कटान होने के कारण घटता जा रहा है। इसके चारों ओर दीवार होनी चाहिए ताकि किसी भी कारण से मिट्टी का कटान न हो सके। यदि कटान इसी तरह होता रहा तो आने वाले समय में यह ऐतिहासिक धरोहर समाप्त हो जाएगी। इसके समाप्त होने से भारत का इतिहास विलुप्त हो जाएगा।

ब्रह्मऋषि कृष्णदत महाराज ने की गुरुकुल की स्थापना

महाभारत कालीन ऐतिहासिक लाक्षाग्रह टीले पर पूर्व जन्म में श्रंगी ऋषि रहे कृष्णदत्त महाराज ने वर्ष 1977 में गुरुकुल की स्थापना की थी। इस गुरूकुल का प्रचार-प्रसार दूर-दूर तक फैला हुआ है। गुरूकुल के प्रधानाचार्य आचार्य अरविंद कुमार शास्त्री ने बताया कि इस समय गुरूकुल में यूपी, हरियाणा, छतीसगढ़, दिल्ली आदि विभिन्न प्रान्तों से 182 बच्चे संस्कृत के साथ वेदों और शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। Noida News

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