उत्तर प्रदेश की राजनीति से एक बड़ी खबर आई है। उत्तर प्रदेश की यह बड़ी खबर समाजवादी पार्टी के खेमे से आई है। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल है। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव-2027 में प्रदेश की सरकार की सबसे बड़ी दावेदार है। उत्तर प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का 2027 का चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए करो या मरो वाला चुनाव होने वाला है। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी शिद्दत के साथ कर रही है। यही कारण है कि यह ताजा समाचार उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए बड़ी खबर बन गया है।
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नेतैनात कर दिए खास जासूस
खबर यह है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे प्रदेश में अपने खास जासूस तैनात कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग जासूस को तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश के किस जिले में किसको जासूस बनाया गया है इस बात की जानकारी अखिलेश यादव के अलावा समाजवादी पार्टी के एक-दो बड़े नेताओं को छोड़कर किसी के भी पास नहीं है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री माना जा रहा है। इस कारण सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी भविष्य की रणनीति बहुत ही सोच-समझकर बना रहे हैं। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के हर जिले में जो जासूस तैनात किए हैं उनसे अलग-अलग जिलावार रिपोर्ट देने को कहा गया है।
उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर जिताऊ प्रत्याशी तलाश करेंगे अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने खास जासूसों को बहुत ही खास काम सौंपा है। अखिलेश यादव ने जासूसों से कहा है कि वें अपने-अपने जिलों की प्रत्येक विधानसभा सीट पर जिताऊ प्रत्याशी का नाम उन्हें गुप्त रूप से बताएं। प्रत्याशी का नाम तय करने की प्रक्रिया में जासूस समाजवादी पार्टी के किसी नेता अथवा कार्यकर्ता के सामने यह जाहिर नहीं करेगा कि वह विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तलाश कर रहा है। वैसे तो प्रत्येक राजनीति पार्टी ही चुनाव में जिताऊ प्रत्याशी उतारती है, किन्तु यदि ग्राउंड स्तर से जुटाई गई जानकारी के आधार पर प्रत्याशी उतारे जाएं तो प्रत्याशी के चुनाव जीतने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में माना जा सकता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा जासूस लगाकर प्रत्याशी तय करने की रणनीति उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का बेड़ा पार करने वाली रणनीति साबित हो सकती है।
अपनी पूरी रणनीति किसी को भी नहीं बता रहे हैं अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बेहतरीन नेता के साथ ही साथ बेहतरीन इंसान भी माना जाता है। आपसी व्यवहार के मामले में अखिलेश यादव के व्यवहार की खूब तारीफ होती है। यही कारण है कि अखिलेश यादव अपनी रणनीति ज्यादा दिन तक छुपाकर नहीं रख पाते हैं। इस बार स्थिति अलग है। इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां करते समय अखिलेश यादव अपनी रणनीति किसी को भी नहीं बता रहे हैं। हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस का उदाहरण सामने है। इस प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव से पूछा गया कि उनकी पार्टी की चुनावी रणनीति क्या है? इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि उनके PDA वाला संदेश घर-घर तक पहुंचाने तथा प्रदेश की हर विधानसभा सीट पर बूथ मैनेजमेंट का काम अच्छी तरह से हो जाए बस यही समाजवादी पार्टी की रणनीति है।
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समाजवादी पार्टी जल्दी घोषित नहीं करेगी प्रत्याशी
इस बीच यह भी पता चल रहा है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के लिए पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा करने में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का मत है कि जल्दी प्रत्याशी घोषित करने के ढ़ेर सारे खतरे रहते हैं। उनका मानना है कि अभी से टिकट तय करने का मतलब है कि गुटबाजी बढ़ना। यही नहीं पिछड़ों, अतिपिछड़ों व दलितों के बीच थोड़ी बहुत पैठ रखने वाले भाजपा के सहयोगी दलों की कोशिश भी अधिक से अधिक लोगों को टिकट दिलाने की है।
समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस की संयुक्त रणनीति की बात करें तो अभी यह भी तय नहीं है कि सपा कांग्रेस को गठबंधन में कितनी सीट देगी और कितने पर खुद लड़ेगी। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद पता चलेगा कि वहां कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा या कम हुआ है। सपा यूं तो सभी 403 सीटों पर तैयारी कर रही है। इसकी वजह है कि अगर बदले हालात में उसे चुनाव में अकेले जाने की नौबत आए तो सभी सीटों पर मजबूती से लड़ने की स्थिति में रहे। समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस के गठबंधन की असली तस्वीर बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाने के बाद ही सामने आएगी।
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