Saturday, 18 May 2024

Special Story : विधायक राजू पाल की तरह ही क्यों हुई उमेश पाल की हत्या! जानिए इसके पीछे की असली वजह

  Special Story : लखनऊ: देश और प्रदेश में बाहुबली और माफिया के रूप में अपनी छवि को स्थापित करने…

Special Story : विधायक राजू पाल की तरह ही क्यों हुई उमेश पाल की हत्या! जानिए इसके पीछे की असली वजह

 

Special Story : लखनऊ: देश और प्रदेश में बाहुबली और माफिया के रूप में अपनी छवि को स्थापित करने वाले अतीक अहमद का नाम पहली बार 1979 में हत्या के आरोप में सामने आया था । उस दौरान वो महज 17 साल का था। पढ़ाई में मन न लगने की वजह से उसके दिमाग में ज्यादा पैसे कमाने का फितूर  छाने लगा। इसके बाद वो जरायम की दुनिया मे दाखिल हो गया हर तरह का गलत काम और बुरे धंधे  करने लगा। जैसे- जैसे उम्र बढ़ती गई वैसे- वैसे अतीक का नाम यूपी की राजनीति और माफियाओं की जुबान पर आने लगा। अतीक की जिंदगी किसी फिल्मी दुनिया के डॉन से कम नहीं है अतीक ने अपराध की दुनिया से लेकर राजनीति में अपनी अलग ही पहचान बनाई। एक तरफ अपराध जगत में नाम बढ़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ राजनीति में अपनी साख जमा रहा था। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अतीक का नाम लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा।

Special Story :

अतीक लोगों में फैलाना चाहता था अपनी दहशत

एक समय ऐसा आया कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का नामी गिरामी  बदमाशों की लिस्ट में अतीक अहमद का नाम शामिल हो गया। इसके बाद उसमे लोगों में दहशत बनाने का जुनून भी चढ़ने लगा। फिर साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकाण्ड में नाम आया। जानकारों मानना है कि इस हत्याकाण्ड को दिन दहाड़े अंजाम देने के पीछे की वजह सिर्फ एक थी कि लोगों में दहशत स्थापित हो सके। वहीं कोई भी उसके खिलाफ चुनावी मैदान में खड़ा न हो सके। क्योंकि उसका भाई अशरफ  विधानसभा का चुनाव हार गया था वो समय ऐसा था जो अतीक के लिए एक टर्निग प्वाइंट था। वहीं अपराध की दुनिया में अतीक का नाम इसलिए भी चर्चा में था क्योंकि मामला एक वर्तमान विधायक की हत्या से जुड़ा था।

2005 में हुई थी राजू पाल की हत्या

दरअसल, 25 जनवरी 2005 में राजू पाल के विधायकी जीतने के बाद अतीक ने शहर में दहशत फैलाने की दृष्टि से राजू पाल की हत्या की साजिश रची थी। फिर वारदात को अंजाम दिया गया। समय बीतता गया और अतीक और उसके गैंग का आतंक चलता रहा। सत्ता बदलते ही खुद को उस पार्टी में शामिल होकर बचाना उसके लिए आम बात हो गई। लेकिन 2017 में योगी सरकार आने के साथ कहीं न कहीं अतीक और उसके गैंग की  दहशत कम होने लगी । इसलिए उस हनक को बरकरार रखने के लिए उसका बेटा असद भी उसी के नक्शेकदम पर चला और राजू पाल के जैसे ही दिन दहाड़े उमेश पाल की हत्या को अंजाम दिया।

यूपी पुलिस ने असद को घोषित किया 2.50 लाख का इनामी

जानकारी के मुताबिक, अतीक के बेटों की निर्भीकता देखने को तब मिली जब एक राजनीतिक सभा में अतीक के बेटे अली ने दो साल पहले भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था कि मछली के बच्चे को तैरना नहीं सिखाना पड़ता है। ये बोल अतीक के बेटों के हैं। जिससे ये साफ जाहिर होता हैं कि अतीक के बेटे भी अतीक के जैसे ही दहशतगर्दी को फैलाने वाली दृष्टि के है। बता दें कि 24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद अतीक का तीसरे नंबर का बेटा असद समेत 5 अन्य बदमाश फरार है। वहीं उमेश पाल की हत्या के बाद यूपी पुलिस इनामी असद की तलाश में लगी हुई हैं। असद समेत सभी नामजद बदमाशों के खिलाफ यूपी पुलिस ने 2.50 लाख का इनामी बदमाश घोषित किया है। उसके साथ घटना में मौजूद शूटर्स को भी पुलिस और एसटीएफ ढूंढने का प्रयास कर रही हैं। हालांकि इस दौरान यूपी एसटीएफ और पुलिस की 15 टीमें देश के अलग अलग राज्यों में छापेमारी कर रही हैं। लेकिन 14 दिन बाद भी पुलिस के हाथ कोई बड़ी सफलता नहीं लगी है।

पिछले काफी समय से रची जा रही थी हत्या की साजिश

राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या भी किसी फिल्मी सीन से कम नहीं है। बता दें कि इस हत्या को अंजाम देने के लिए असद ने कई दिनों पहले से ही तैयारी कर ली थी। यही वजह हैं कि असद ने घटना को अंजाम देने से पहले अपनी सोशल मीडिया अकाउंट को डीएक्टिवेट कर दिया। जिससे उस तक पहुंचना आसान न हो। जानकारों का कहना है कि इस हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया , अपनी दहशत फैलाने के लिए  उसने मुंह भी नहीं ढका था। कहा जा रहा है कि इसके पीछे की वजह सिर्फ यह थी कि लोगों में उसका रसूख और खौफ कायम रहे।

लंदन पढ़ाई के लिए भेजना चाहती थी मां

उमेश पाल हत्याकाण्ड का मास्टरमाइंड असद अभी तक फरार है। जिसकी तलाश में यूपी पुलिस और एसटीएफ लगी हुई हैं। जानकारों का कहना है कि असद को अपराधिक छवि विरासत में  मिली है । लेकिन उसका परिवार नहीं चाहता था कि असद अपराध की दुनिया में जाए। बता दें कि असद ने डीपीएस एकेडमी लखनऊ से 12वीं की परीक्षा 85% से पास की। मां शाइस्ता चाहती थीं कि असद लॉ की पढ़ाई करने के लिए लंदन जाए। जिसके लिए असद ने वीजा के लिए आवेदन भी किया। लेकिन वीजा परिवार की अपराधिक छवि होने के कारण निरस्त हो गया।

2017 के बाद लोगों में कम हुआ खौफ!

असद स्कूल के समय से ही अपराधिक प्रवृत्ति का था। वो अपने सहपाठी और शिक्षकों को हमेशा डरा कर रखता था। अपराध की दुनिया से ताल्लुक रखने की वजह से कोई उसपर एक्शन भी नहीं लेता था। इसी के चलते असद लोगों को डराने  , धमकाने  और रंगदारी जैसे काम करने लगा। असद ने दिनदहाड़े अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उमेश पाल की हत्या को अंजाम भी इसलिए दिया क्यूंकि 2017 में बीजेपी सरकार आने के बाद से अतीक और उसके  बेटों पर शिकंजा कसा जाने लगा। पिता चाचा और दो भाईयों के गिरफ्तार होने के बाद असद की अपराधिक छवि दिन पर दिन बढ़ती दिखीं।

अंडरग्राउंड था असद अहमद

असद पिछले कुछ दिनों से ही अंडरग्राउंड रह कर हत्या की साजिश रच रहा था। असद चाहता था कि प्रयागराज में एक बार फिर से अहमद परिवार का डर लोगों के दिलों में बस जाएं। जिससे की कोई दुबारा उनके खिलाफ़ खड़े होने की जुर्रत ना कर सकें। असद के ये मंसूबे कामयाब हुए। उसने बिना मुंह ढकें पूरी घटना को अंजाम दिया। जिसके चलते उसका चेहरा वही पास की दुकान में लगे सीसीसीटीवी कैमरा में रिकॉर्ड हो गया। इसका सीधा मतलब तो यही है कि असद चाहता था कि लोग उसे इस वारदात को करते हुए देखे।

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हॉस्टल में रची गई थी हत्या की साजिश

जिससे लोगों के बीच भय को फैलाया जा सकें। इस घटना को अंजाम देने के लिए असद, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम, सदाकत खान और अन्य लोग भी शामिल थे। इस घटना की साजिश बॉयज हॉस्टल के एक रूम में की गई थीं। इसी रूम में कुछ दिनों से असद और उसके साथ अंडर ग्राउंड थे। घटना से कुछ दिनों पहले ही असद और उसके साथियों ने अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को डीएक्टिवेट कर दिया था। जिससे उनकी हिस्ट्री का पता न लगाया जा सके।

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संदीप तिवारी

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