उत्तर प्रदेश में बीजेपी की अगली चाल क्या? पश्चिम को लेकर बढ़ी सियासी हलचल

खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज के संदर्भ में यह फैसला बीजेपी के लिए अहम परीक्षा बन सकता है, क्योंकि इन इलाकों ने लंबे समय तक पार्टी की चुनावी बढ़त को मजबूती देने में निर्णायक भूमिका निभाई है।

पूर्वांचल बनाम पश्चिम BJP के फैसले पर सियासी हलचल तेज
पूर्वांचल बनाम पश्चिम? BJP के फैसले पर सियासी हलचल तेज
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 12:14 PM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश की सियासत में बीजेपी ने 2027 की चुनावी तैयारी को अब संगठन के स्तर पर तेज कर दिया है। इसी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने जातीय-सामाजिक संतुलन साधने का संदेश तो दे दिया, लेकिन इसके साथ ही एक नई राजनीतिक बहस भी खुल गई है—क्या उत्तर प्रदेश में सत्ता और संगठन का तराजू एक ही क्षेत्र की ओर झुक रहा है? खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज के संदर्भ में यह फैसला बीजेपी के लिए अहम परीक्षा बन सकता है, क्योंकि इन इलाकों ने लंबे समय तक पार्टी की चुनावी बढ़त को मजबूती देने में निर्णायक भूमिका निभाई है।

‘मिशन-2027’ में संगठन बदला

बीजेपी के भीतर यह समझ बन रही है कि 2024 के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में पार्टी की पकड़ पहले जैसी मजबूत नहीं रही। इसी वजह से संगठन में बदलाव कर बीजेपी ने साफ संकेत दिया है कि 2027 से पहले वह हर मोर्चे पर “री-सेट” की रणनीति अपनाने जा रही है। पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने ओबीसी आधार और संगठनात्मक नियंत्रण को मजबूती देने का संदेश दिया, लेकिन राजनीति का दूसरा और उतना ही निर्णायक पहलू क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व भी है। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नए प्रदेश अध्यक्ष, दोनों की राजनीतिक पहचान गोरखपुर/पूर्वांचल से जुड़ी होने के चलते यह चर्चा तेज हो गई है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता और संगठन का केंद्रबिंदु कहीं पूर्वांचल की तरफ ज्यादा तो नहीं खिसक रहा।

सत्ता-संगठन में ‘पूर्वांचल स्ट्रॉन्ग’

अब तक बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में एक संतुलन बनाकर रखा था सत्ता का नेतृत्व योगी के जरिए पूर्वांचल से, और संगठन की कमान पश्चिमी यूपी के चेहरे के जरिए। भूपेंद्र चौधरी के रहते पार्टी के पास पश्चिमी यूपी को लेकर एक स्पष्ट “संदेश” था कि क्षेत्रीय भागीदारी बनी हुई है। अब संगठन की कमान भी पूर्वांचल से आने वाले नेता के पास जाने के बाद पश्चिमी यूपी, ब्रज और रुहेलखंड में संदेश-राजनीति को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के लिए यह चुनौती इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले एक दशक में पार्टी की चुनावी सफलता में पश्चिमी यूपी की भूमिका निर्णायक रही है। 2014, 2019 लोकसभा और 2017, 2022 विधानसभा में पश्चिमी यूपी बीजेपी के मजबूत स्तंभों में गिना जाता रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा। पश्चिमी यूपी में पार्टी ने कुछ अहम सीटें जरूर बचाईं, लेकिन कई पारंपरिक/महत्वपूर्ण सीटों पर झटके ने संगठन के भीतर मंथन बढ़ाया। रुहेलखंड और ब्रज क्षेत्र में भी पार्टी को नुकसान का सामना करना पड़ा, जिससे यह सवाल और गहरा हुआ कि उत्तर प्रदेश में क्षेत्रवार रणनीति को कैसे दुरुस्त किया जाएगा।

बीजेपी का ‘उत्तर प्रदेश मॉडल’

बीजेपी संगठनात्मक तौर पर उत्तर प्रदेश को छह बड़े क्षेत्रों अवध, ब्रज, काशी, पश्चिमी यूपी, कानपुर और गोरखपुर में देखती है। मौजूदा शीर्ष नेतृत्व में गोरखपुर/काशी/अवध से जुड़े चेहरे प्रभावी दिखते हैं, जबकि पश्चिमी यूपी और ब्रज में “टॉप-टियर राजनीतिक सिग्नल” उतना स्पष्ट नहीं दिखता। यही कारण है कि अब पार्टी के सामने 2027 से पहले यह साबित करना जरूरी हो गया है कि उत्तर प्रदेश का राजनीतिक संतुलन सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

पश्चिमी यूपी को साधने के संभावित कदम

उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन की चर्चा तेज होने के बीच बीजेपी के पास अब “मैसेज” और “मैनेजमेंट”दोनों मोर्चों पर कदम उठाने के विकल्प मौजूद हैं। पार्टी योगी सरकार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल के जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज के प्रभावशाली चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी देकर संकेत दे सकती है कि सत्ता में उनकी हिस्सेदारी कमजोर नहीं होगी। साथ ही संगठन में क्षेत्रीय समन्वयकों और प्रभारियों की भूमिका मजबूत कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेताओं को निर्णायक मंच देना भी एक अहम कदम होगा। माना जा रहा है कि भूपेंद्र चौधरी जैसे नेताओं को सरकार या संगठन में नई और प्रभावी भूमिका देकर पार्टी पश्चिमी यूपी को “पॉलिटिकल सिग्नल” दे सकती है। इसके अलावा 2027 की लड़ाई से पहले पश्चिमी यूपी में जातीय-सामाजिक समीकरणों के हिसाब से टिकट वितरण और नेतृत्व प्रबंधन पर अभी से होमवर्क शुरू करना बीजेपी की रणनीति का बड़ा हिस्सा बन सकता है। UP News

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

लखनऊ T20 मैच: शहीद पथ पर भारी वाहनों की नो-एंट्री, डायवर्जन रूट जारी

इसके साथ ही शहीद पथ और सर्विस रोड पर ई-रिक्शा व ऑटो भी प्रतिबंधित रहेंगे। हालांकि निजी वाहन और टैक्सी/कार पर रोक नहीं होगी, लेकिन उन्हें निर्धारित नियमों के तहत ही चलना होगा।

इंडिया vs साउथ अफ्रीका मैच के लिए लखनऊ ट्रैफिक पुलिस का बड़ा प्लान
इंडिया vs साउथ अफ्रीका: मैच के लिए लखनऊ ट्रैफिक पुलिस का बड़ा प्लान
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 11:03 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 17 दिसंबर को इकाना स्टेडियम में होने वाले भारत–दक्षिण अफ्रीका टी-20 मुकाबले को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने बड़ा डायवर्जन प्लान लागू किया है। बुधवार दोपहर 2 बजे से मैच समाप्ति तक शहीद पथ और स्टेडियम के आसपास यातायात व्यवस्था बदली रहेगी, ताकि दर्शकों को आवागमन में परेशानी न हो और सुरक्षा व्यवस्था सुचारु बनी रहे।

शहीद पथ पर बड़े वाहन प्रतिबंधित

ट्रैफिक एडवाइजरी के मुताबिक दोपहर 3 बजे से मैच खत्म होने तक शहीद पथ पर रोडवेज बसों सहित सभी बसें, भारी वाहन और कॉमर्शियल वाहनों का संचालन प्रतिबंधित रहेगा। इसके साथ ही शहीद पथ और सर्विस रोड पर ई-रिक्शा व ऑटो भी प्रतिबंधित रहेंगे। हालांकि निजी वाहन और टैक्सी/कार पर रोक नहीं होगी, लेकिन उन्हें निर्धारित नियमों के तहत ही चलना होगा।

सिटी बसों के लिए अलग निर्देश

मैच के दौरान सिटी बसें शहीद पथ पर हुसड़िया से सुशांत गोल्फ सिटी के बीच नहीं रुकेंगी। बसें सड़क की दाईं लेन से संचालित की जाएंगी। वहीं अर्जुनगंज की तरफ से आने वाले ई-रिक्शा/ऑटो को अहिमामऊ से बाएं मुड़कर पीएचक्यू, यूपी-112, मातृत्व अस्पताल के पीछे वाली सड़क से सवारी उतारनी होगी। इसके बाद वाहन पीएचक्यू के सामने से होकर जी-20 तिराहे से गोमतीनगर की ओर जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश पुलिस के निर्देशों के अनुसार ओला, ऊबर और अन्य टैक्सी सेवाएं शहीद पथ पर हुसड़िया से सुशांत गोल्फ सिटी के बीच न तो सवारी बैठाएंगी और न ही उतारेंगी।

पार्किंग व्यवस्था: पास वालों और बिना पास वालों के लिए गाइड

ट्रैफिक पुलिस के अनुसार जिनके पास वाहन पास होगा, वे अहिमामऊ से एचसीएल की ओर जाएंगे और वाटर टैंक तिराहे से प्लासियो होते हुए चिन्हित पार्किंग में वाहन खड़ा करेंगे। जिनके पास पास नहीं है, उन्हें भी इसी रूट (अहिमामऊ–एचसीएल) से आगे बढ़ना होगा और तय पार्किंग/निर्देशों का पालन करना होगा।

पार्किंग कैटेगरी

  1. P1: मीडिया और नॉर्थ हॉस्पिटैलिटी पास धारक
  2. P2: साउथ हॉस्पिटैलिटी मेहमान
  3. P3 और P3A: वीआईपी और टीम मालिकों के वाहन

स्टेडियम में एंट्री: किस गेट से जाएं?

  1. गेट 1 और 2: नॉर्थ पवेलियन और जनरल स्टैंड दर्शक
  2. गेट 3: केवल वीआईपी, खिलाड़ी और साउथ हॉस्पिटैलिटी पास धारक
  3. गेट 4 और 5: साउथ पवेलियन, प्रेसिडेंशियल गैलरी और अन्य सामान्य दर्शक

सुरक्षा व्यवस्था: 1000+ पुलिसकर्मी तैनात

इकाना स्टेडियम की सुरक्षा को 3 सुपर जोन, 6 जोन और 16 सेक्टर में बांटा गया है। एक हजार से अधिक पुलिसकर्मी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। सुपर जोन की कमान एसपी, जोन की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी, और सेक्टर का प्रभारी डिप्टी एसपी को बनाया गया है। यह जानकारी संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) बबलू कुमार ने दी। महत्वपूर्ण: दर्शकों के लिए डिजिटल टिकट मान्य नहीं होंगे—निर्देशों के अनुसार वैध/निर्धारित टिकट व्यवस्था का पालन करना होगा।

भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक रूट (डायवर्जन)

  1. कमता से शहीद पथ होकर सुल्तानपुर/रायबरेली/कानपुर रोड जाने वाले भारी वाहन अब कमता तिराहा–इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान–समतामूलक–लालबत्ती–करियप्पा–तेलीबाग–बाराबिरवा/इंदिरानहर चौराहा होते हुए किसान पथ से जाएंगे।
  2. सुल्तानपुर आदि मार्ग की बसें/बड़े वाहन कबीरपुर तिराहे से संचालित होंगे।
  3. उतरेठिया अंडरपास (रायबरेली रोड/कैंट रोड) से आने-जाने वाले बड़े वाहन मोहनलालगंज/तेलीबाग होकर हरीकंशगढ़ी के रास्ते किसान पथ से निकलेंगे।
  4. कमता-शहीद पथ तिराहे से अहिमामऊ चौराहे पर U-टर्न लेकर कैंट/पुलिस मुख्यालय की ओर जाने वाला यातायात प्रतिबंधित रहेगा।

स्टेडियम में कौन-कौन सी चीजें ले जाना मना है?

  1. तरल पदार्थ: पानी की बोतल, कोल्ड ड्रिंक, जूस, शराब, बाहर का खाना/टिफिन
  2. धातु/ज्वलनशील वस्तुएं: सिक्के, लाइटर, माचिस, सिगरेट/बीड़ी
  3. इलेक्ट्रॉनिक सामान: पावरबैंक, हेडफोन/ईयरफोन, दूरबीन
  4. अन्य: हेलमेट, बैग/झोला, बड़े पर्स, आपत्तिजनक नारे वाले बैनर/झंडे

लोगों से अपील

उत्तर प्रदेश ट्रैफिक पुलिस ने दर्शकों और आम नागरिकों से अपील की है कि वे समय से पहले निकलें, निर्धारित पार्किंग का ही उपयोग करें, और डायवर्जन रूट का पालन करें—ताकि मैच के दिन लखनऊ में ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था से बचा जा सके। UP News

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

धर्मांतरण पर विहिप की चेतावनी, मंदिर-दान के उपयोग पर भी उठाए सवाल

संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक 17 दिसंबर से शुरू होने वाली मुख्य बैठक में देशभर से करीब 450 प्रन्यासी और कार्यकर्ता हस्तिनापुर पहुंचेंगे, जहां आगामी रणनीति और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

विश्व हिन्दू परिषद
विश्व हिन्दू परिषद
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 09:36 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के ऐतिहासिक हस्तिनापुर में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की वार्षिक प्रन्यासी मंडल बैठक से पहले मंगलवार को प्रबंध समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। संगठन ने संकेत दिए कि इस बार विमर्श का फोकस सिर्फ संगठनात्मक फैसलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश सहित देशभर में चर्चा में रहे मुद्दों धर्मांतरण, मंदिरों की संपत्तियों/दानराशि के उपयोग में पारदर्शिता और “अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर भी मंथन होगा। विहिप के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने कहा कि धर्मांतरण से जुड़ी चुनौतियों पर गंभीर विचार जरूरी है और मंदिरों के दान का उपयोग “धर्महित” के अनुरूप, स्पष्ट नीति व जवाबदेही के साथ होना चाहिए। बैठक में विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय की मौजूदगी ने चर्चा को और वजन दिया। संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक 17 दिसंबर से शुरू होने वाली मुख्य बैठक में देशभर से करीब 450 प्रन्यासी और कार्यकर्ता हस्तिनापुर पहुंचेंगे, जहां आगामी रणनीति और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

मंदिर-दान और संस्थानों में उपयोग पर सवाल

बातचीत के दौरान विहिप के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने एक उदाहरण पेश करते हुए दावा किया कि श्री वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से जुड़े एक मेडिकल कॉलेज में छात्र-चयन के अनुपात को लेकर सवाल उठते हैं। उनका कहना था कि जिस ढांचे को देशभर और खासकर उत्तर प्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं सहित हिन्दू भक्तों की आस्था और दान से बल मिलता है, वहां संसाधनों के इस्तेमाल में पारदर्शिता और उद्देश्य की स्पष्टता होना जरूरी है। बांगड़ा ने जोर देकर कहा कि दानराशि और संस्थागत सुविधाओं का उपयोग “धर्महित” और “हिन्दू हित” के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए व्यापक स्तर पर नीति-आधारित विमर्श किया जाना चाहिए।

“अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग

विहिप के केंद्रीय महामंत्री ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और विशेष अधिकारों को लेकर समय-समय पर व्यापक विमर्श होता रहा है, लेकिन उनके मुताबिक कुछ मामलों में इन प्रावधानों की व्याख्या और लागू करने के तरीके पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने दावा किया कि कहीं-कहीं “गलत विवेचना” या “दुरुपयोग” जैसी स्थितियां भी उभरती हैं, जिससे व्यवस्था में असंतुलन की आशंका पैदा होती है। इसी पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्र स्तर पर “अल्पसंख्यक” की परिभाषा पर दोबारा गंभीरता से विचार किया जाए, ताकि अधिकारों और जिम्मेदारियों का ढांचा अधिक स्पष्ट, संतुलित और न्यायोचित बन सके।

“जिहाद” और आतंकवाद पर संगठन का दावा

बजरंग लाल बांगड़ा ने यह भी कहा कि देश में “जिहाद के नाम पर आतंकवाद” जैसी गतिविधियों को लेकर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कुछ जांच-पड़ताल के संदर्भों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि ऐसे मामलों में उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी शामिल पाए गए हैं। (यह संगठन का पक्ष है, जिस पर अलग-अलग मत हो सकते हैं।)

बैठक में यह भी कहा गया कि ‘वंदे मातरम्’ की रचना के 150वें वर्ष को देशभर में मनाया जाना गौरव की बात है और इससे राष्ट्रीय भावना को बल मिला है।

विदेशी प्रतिनिधियों की भागीदारी का दावा

संगठन के अनुसार वार्षिक प्रन्यासी मंडल बैठक में भारत के विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, श्रीलंका सहित कई देशों से जुड़े हिन्दू संगठनों/मंचों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। UP News

संबंधित खबरें